Places to Visit in Dharamshala: समुद्र तल से करीबन 1475 मीटर की ऊंचाई पर स्थित धर्मशाला एक बेहद ही शांत, सुंदर और प्राचीन हिल स्टेशन है जो हिमालय की धौलाधार रेंज मे बसा हुआ है| धर्मशाला शहर अपने शांत वातावरण, आध्यात्मिक शिक्षा और हरे भरे पहाड़ों के लिए मशहूर है|
ये कम इक्स्प्लोर की हुई जगह है लेकिन सुंदरता मे ये शहर किसी भी हिल स्टेशन से कम नहीं है| यहाँ पर दलाई लामा और निर्वासित तिब्बती भिक्षु रहते हैं| ये शहर ऊपरी और निचला डिवीजन 2 भागों मे बटा हुआ है ऊपरी डिवीजन को मैकलोडगंज के नाम से और निचला डिवीजन धर्मशाला शहर के नाम से जाना जाता है|
धर्मशाला कैसे पहुंचे (How to reach Dharamshala)
वायुमार्ग (By Air)
धर्मशाला का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है लेकिन इसकी कनेक्टिविटी बाकी शहरों से अच्छी नहीं है इसलिए आप चंडीगढ़ हवाई अड्डे मे उतरकर वहाँ से बस या टैक्सी लेकर 275 किलोमीटर की यात्रा करके धर्मशाला पहुँच सकते हैं| अगर आप धर्मशाला के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
सड़क मार्ग (By Road)
सड़क मार्क से धर्मशाला बढ़िया तरीके से जुड़ा हुआ है आप हिमाचल प्रदेश के सभी बड़े शहरों से बस या टैक्सी लेकर धर्मशाला पहुंच सकते हैं| देश की राजधानी दिल्ली से भी आप आरामदायक लक्जरी बस या टैक्सी लेकर धर्मशाला पहुँच सकते है| दिल्ली से इसकी दूरी 520 किलोमीटर है|
रेल मार्ग (By Train)
धर्मशाला का अपना कोई स्टेशन नहीं है इसलिए आप पठानकोट रेल्वे स्टेशन मे उतरकर बस या टैक्सी लेकर 85 किलोमीटर की यात्रा करके धर्मशाला पहुँच सकते हैं| पठानकोट देश के सभी बड़े शहरों से ट्रेन मार्ग से जुड़ा हुआ है|
आइए जानते है धर्मशाला मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे
1. त्रिउंड हिल (Triund Hill)
2828 मीटर की ऊंचाई पे स्थित त्रिउंड हिल जहां से आप पूरे कांगड़ा घाटी के सुंदर और मनोरम दृश्य देख सकते हैं| यह जगह ट्रैकिंग के लिए परफेक्ट है जो सरल और छोटा है| यहाँ से आप शाम का बेहद शानदार नजारा देख सकते हैं साथ आप यहाँ पर कैंपिंग भी कर सकते हैं| ये पूरा एरिया एक तरफ धौलाधार पर्वतमाला और दूसरी तरफ घुमावदार घाटियों से घिरा हुआ है|
त्रिउंड हिल पिकनिक मनाने के लिए भी एक उत्तम जगह है| यह हिल मैकलोडगंज से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह बहुत ऊंचाई पर स्थित है जहां से आप मून पीक-इंदेरा पास का मंत्रमुग्ध करने वाला नजारा देख सकते हैं| ये हिल प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त है| ये हिल धर्मशाला की सबसे खूबसूरत जगहों मे आती है| एडवेंचर चाहने वालों के लिए ये जगह जन्नत से कम नही है| त्रिउंड हिल धर्मशाला के घूमे जाने वाली जगहों (Places to Visit in Dharamshala) मे से एक है|
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2. डल झील (Dal Lake)
डल झील समुद्र तल से 1,775 मीटर की ऊंचाई पर मैक्लोडगंज में तोता रानी गांव के पास स्थित है जो धर्मशाला से 11 किमी दूरी पर स्थित है| डल झील एक छोटी लेकिन बहुत ही मनमोहक झील है| इसकी सुंदरता के कारण ही इसका नाम श्रीनगर की प्रसिद्ध और सुंदर डल झील से लिया गया है| चारों तरफ हरे भरे पहाड़ों और देवदार के पेड़ों से घिरी ये झील प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है|
प्रकृति के गोद मे बसे इस झील मे आप अपने परिवार के साथ क्वालिटी समय बिता सकते हैं| रोमांच और ट्रैकिंग चाहने वालों के लिए ये बहुत ही आदर्श स्थान है| यहाँ एक शिव मंदिर है और हर साल सितंबर महीने मे डल झील के तट पर एक भव्य मेला लगता है| इस झील के आस पास से अन्य पहाड़ों का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं|
3. भागसू जलप्रपात (Bhagsu Fall)
30 फीट की ऊँचाई से गिरता ये झरना मैक्लॉडगंज और धर्मशाला को जोड़ने वाली मुख्य रोड पर स्थित है| मैक्लोडगंज से इस झरने की दूरी महज 2 किमी है |अगर आप प्रकृति को नजदीक से देखना और सुकून से कुछ समय बिताना चाहते हैं तो आपको धर्मशाला के सबसे प्रसिद्ध भागसू झरना मे जरूर आना चाहिए|
अपने परिवारजनों और मित्रजनों के साथ पिकनिक मनाने के लिए ये एक बेहतरीन जगह है| यहाँ का प्रसिद्ध और मुख्य आकर्षण सुंदर भागसूनाथ मंदिर है। यह झरना धौलाधार घाटी के निचले हिस्से से शुरू होता है और इसकी धारा भगवान भागसूनाथ मंदिर से भी होकर निकलती है।
इस झरने मे आप स्नान भी कर सकते हैं| यहाँ आप स्वादिष्ट नाश्ता भी कर सकते हैं और कॉफी पीते हुए झरने को निहार सकते हैं| जब भी आपका धर्मशाला आना होता है भागसू झरने को घूमने वाली जगहों मे जरूर शामिल करें|
4. कांगड़ा किला (Kangra Fort)
हिमालय का सबसे बड़ा किला और भारत के सबसे पुराने और किलो मे से एक इस किले का निर्माण ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में कटोच साम्राज्य द्वारा किया गया था| कांगड़ा शहर मे ब्यास और उसकी सहायक नदियों की घाटी पर स्थित यह किला हज़ारों सालों की भव्यता, संस्कृति, आक्रमण, युद्ध, धन और विकास का गवाह रहा है।
इस किले के अंदर एक बड़ा गर्भगृह था जिसमे असीमित धन होता था जो किले के अंदर विराजमा बृजेश्वरी मंदिर में चढ़ाया जाता था। इसी अकल्पनीय खजाने की वजह से इस मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए|अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए मशहूर ये किला वर्तमान समय मे खंडहर हो चुका है लेकिन अभी भी ये किला तितिहास प्रेमियों और वास्तुकला के जानकारों को आकर्षित करता है| इस किले के अंदर कई छोटे छोटे मंदिर स्थापित है| ये धर्मशाला शहर से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
5. नड्डी (Naddi)
समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई और कांगड़ा घाटी के ऊपरी इलाकों स्थित है नड्डी गाँव| जो हिमालय के सुंदर, मनमोहक और खूबसूरत दृश्यों के लिए जाना जाता है| यह एक बहुत ही मशहूर ट्रेकिंग प्लेस है जो आपको खूबसूरत और हरे भरे जंगलों से होते हुए नड्डी व्यू पॉइंट तक का ले जाता है| यह ट्रैक बेहद सुविधाजनक है|
इस गाँव मे आने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का होता है| प्रसिद्ध दलाई लामा भी इस गाँव मे आते जाते रहते हैं| यहाँ आकर आपको मानसिक और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा जिसे आप जीवन पर्यंत नहीं भूल पाएंगें| यहाँ आते समय अपने साथ कैमरा जरूर लाएं ताकि यहाँ की खूबसूरत वादियों को आप कमरे मे कैद कर पाए|
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6. लहेश गुफा (Lahesh Cave)
3500 मीटर ऊंचाई पर स्थित लहेश गुफा जो धौलाधार पर्वतमाला में स्थित है जहां तक पहुँचने के लिए ट्रेकर्स को 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ सकती है| रास्ते मे आपको बर्फ से ढकी शानदार और मनोरम पहाड़ियों को देखने का मौका मिलेगा|
इस पहाड़ी तक पहुँचने का ट्रेक मैक्लॉडगंज से चालू होता है ओक, पाइन और देवदार के मंत्रमुग्ध करने वाले जंगलों से होकर के गुजरता है| जब आप पहाड़ी से नीचे उतरते हैं तो आपको भागसू नाग मंदिर और अद्भुत भागसू जलप्रपात देखने का मौका मिलेगा|
7. धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम (Dharmshala Cricket Stadium)
धौलाधार पर्वत श्रृंखला मे 1,457 मीटर की ऊंचाई पर स्थित राजसी हिमालय पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम दुनिया के सबसे ऊंचे खेल मैदानों में से एक है। आप इस स्टेडियम को बिना कोई मैच होते हुए भी घूम सकते हैं|
इस स्टेडियम मे लगभग 23,000 लोगों के बैठने की क्षमता है। बर्फ से ढकी पहाड़ियों और 23000 दर्शकों के बीच मैच देखना एक बहुत ही सुखद अनुभव होगा| यह दुनिया का सबसे ऊंचा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है इसलिए पूरी दुनिया मे पहचाना जाता है| यह धर्मशाला मे घूमने लायक सबसे रोमांचक और अद्भुत जगह है|
8. ग्युतो मठ (Gyuto Monastery)
ग्युतो मठ की स्थापना 1474 में तिब्बत मे किया गया था लेकिन 1959 मे चीनी आक्रमण के बाद इसकी स्थपना भारत के धर्मशाला मे की गई| इस मठ का मकसद तांत्रिक ध्यान, दर्शन और लोकप्रिय काले जादू की शिक्षा को शिक्षा संरक्षित करने और बढ़ावा देना था| इस बेहतरीन मठ ने ये साबित किया है की की आम जनता की सोच के उलट काले जादू का इस्तेमाल लोगों की अच्छाई के लिए किया जा सकता है।
ग्युतो मठ एक संदर और मनमोहक पहाड़ी की चोटी के ऊपर स्थित है जहाँ से आप सुरम्य धौलाधार पर्वतमाला और मनोरम ब्यास नदी का शानदार नज़ारा देख सकते है। यहाँ का मुख्य आकर्षण सोने की परत चढ़ी सुंदर भगवान बुद्ध की मूर्ति है जो सुबह सुबह सूर्य की किरने पड़ते ही चमक उठती है| ये मठ पर्यटकों, तिब्बती संस्कृति में रुचि रखने वाले और बौद्ध धर्म के चाहने वालों को खासा आकर्षित करता है|
9. धर्मशाला से मैक्लॉडगंज रोपवे (Dharamshala To McLeodganj Ropeway)
रोपवे से यात्रा करना और शहर के घने पहाड़ों, चारों ओर फैली हरियाली के शानदार नज़ारे देखना और ऊंचाई से प्राकृतिक नजारों के फ़ोटोज़ क्लिक करना किसे पसंद नहीं| धर्मशाला मे भी आप रोपवे यात्रा का लुत्फ उठा सकते हैं| धर्मशाला और मैक्लॉडगंज के बीच 1.8 किमी लंबा रोपवे जिसको 5 मिनट पूरा किया जा सकता है|
रोपवे का संचालन पूरे सुरक्षा मानकों और आधुनिक सुविधाओं के साथ किया जाता है| इस प्रक्रिया से यातायात का दवाब कम होता है साथ मे पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर होता है| ऊंचाई से कांगड़ा घाटी और हिमालय ले जंगलों को देखना एक अप्रतिम अनुभव है जिसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता| आप जब भी धर्मशाला जाने की योजना बनाये इस रोपवे की यात्रा का लुत्फ जरूर उठायें|
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10. वार मेमोरियल (War Memorial)
धर्मशाला स्थित युद्ध स्मारक शहर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीचों बीच स्थित है। यह स्मारक कांगड़ा के बहादुर सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने 1947-48, 1962, 1965 और 1971 के युद्ध मे देश और संयुक्त राष्ट्र के अभियानों के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था| यहाँ पर आप एक पाकिस्तानी टैंक को भी देख पाएंगे जो कायर पाकिस्तानी सेना 1965 के युद्ध मे छोड़कर भाग गई थी|
इस मेमोरियल के चारों ओर सुंदर बाग है जहां आपको अद्भुत शांति का अनुभव होगा| यह मेमोरियल बहादुर जवानों की कहानियों को बयां करता है जो आने वाले पर्यटकों को देशभक्ति की भावना से भर देता है| यहाँ पर आप युद्ध मे इस्तेमाल हुए टैंकों को भी देख सकते हैं| इस मेमोरियल के आस पास की हरे भरे पेड़ और जंगल इसकी सुंदरता मे चार चाँद लगा देते हैं|
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11. धर्मशाला में पैराग्लाइडिंग (Paragliding in Dharmshala)
हिमालय की खूबसूरत वादियों और पहाड़ी इलाकों मे पैराग्लाइडिंग का अनुभव न केवल रोमांचक होगा बल्कि आप हिमालय की मनमोहक वादियों को भी देख सकते हैं| साफ नीले आसमान और ठंडी हवाओ के झोंकों के बीच पैराग्लाइडिंग करना एक अद्भुत अनुभव होगा जिसे आप जीवन पर्यंत नहीं भूल पाएंगें| धर्मशाला मे इंद्रुनाग और बीर बिलिंग 2 जगह है जहां पर आप पैराग्लाइडिंग का आनंद ले सकते हैं|
12. कालचक्र मंदिर (Kalchakra Temple)
यदि सबसे शांत और पवित्र स्थानों को विज़िट करना चाहते हैं तो आपको धर्मशाला मे एक लोकप्रिय तिब्बती मंदिर मे जाना चाहिए जिसको 1992 में बनाया गया था| कालचक्र का शाब्दिक अर्थ है ‘समय का पहिया’ है| मंदिर की दीवारे सुंदर तिब्बती थंगका से सजी हुई है|
यह मंदिर मैक्लॉडगंज में मुख्य चौक के नजदीक स्थित है जहां पर आप पैदल चलकर पहुँच सकते हैं| ये धर्मशाला स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है जो पर्यटकों और बौद्ध धर्म के मनाने वालों को आकर्षित करता है| यहाँ आकर आपको अद्भुत अध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा|
13. ज्वाला देवी मंदिर (Jwala Devi Temple)
कांगड़ा जिले में स्थित ये मंदिर ज्वाला देवी जी को समर्पित है जो धर्मशाला से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है| ऐसा माना जाता है की यहाँ पर देवी सती की जीभ गिरी थी| मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर ज्वालामुखी गुफा स्थित है। य
ह एक आलोकिक मंदिर है जिसमे कोई मूर्ति नहीं है| यहाँ का मुख्य आकर्षण अनवरत और बिना ईधन के जलने वाली ज्वाला और इस मंदिर मे की जाने वाली पाँच आरतियाँ है| लोगों की मान्यता है की माता ज्वाला मंदिर की पवित्र ज्वालाओं में निवास करती हैं| माता ज्वाला को रबड़ी का भोग लगाया जाता है| ये एक अत्यधिक प्रतिष्ठित मंदिर है जो दुनिया भर के पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करती है|
14. मसरूर रॉक कट मंदिर (Masroor Rock Cut Temple)
मसरूर रॉक कट मंदिर एक पुरातात्विक स्थल है जो वर्तमान में खंडहर हो चुका है जो कांगड़ा से से 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित है| ऐसा माना जाता है की इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में बनाया गया था| यह पूरा परिसर इंडो-आर्यन शैली मे बना हुआ है| यह मंदिर 15 रॉक कट मंदिरों का एक संयोजन है|
यह मंदिर भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित है| इस मंदिर का ज़्यादतर हिस्सा भूकंप के कारण नष्ट हो चुका है| ये मंदिर नागर शैली मे एक ही चट्टान को काटकर बनाए गए हैं| खूबसूरत धौलाधार पहाड़ों से घिरा ये मंदिर हमेशा पर्यटकों से भरा रहता है| इतिहास प्रेमियों के लिए ये मंदिर एक जन्नत है| इस खूबसूरत मंदिर को हिमाचल प्रदेश का “एलोरा” भी कहा जाता है|
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15. अघंजर महादेव मंदिर (Aghanjar Mahadev Temple)
500 साल ये पुराना मंदिर एक बेहद ही पवित्र और प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है| ये मंदिर बेहद ही शांत और हरे भरे पहाड़ों मे स्थित है जो प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है| ये मंदिर धर्मशाला शहर से 5 किलोमीटर धौलाधार की तलहटी स्थित है|
मंदिर के पास बहता हुआ एक छोटा स झरना इसकी सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ा देता है| पवित्र शिवलिंग एक छोटी सी गुफा मे विराजमान है| अगर आप शांति के साथ साथ अध्यात्म का अनुभव करना चाहते हैं तो आपको यहाँ जरूर आना चाहिए| ये मंदिर प्रकृति प्रेमी, पिकनिक मनाने और फोटोग्राफी करने वालों के लिए भी एक अद्भुत जगह है|
16. पोंग बांध (Pong Dam)
पोंग बांध मिट्टी से बना जलाशय है जिसका इस्तेमाल जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई उद्देश्यों मे किया जाता है| 1975 मे निर्मित ये बांध व्यास नदी पर बना हुआ है जो शिवालिक पहाड़ियों के तट पर स्थित है| इस बांध को महाराणा प्रताप सागर भी कहते हैं|
इस बांध के आस पास बहुत से पक्षी रहते हैं इसलिए इस एरिया को पक्षी अभयारण्य मे बदल दिया गया है| पोंग बांध कांगड़ा जिले मे धर्मशाला से लगभग 50-60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| पक्षी प्रेमियों के लिए ये जगह आकर्षण का केंद्र है|
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निष्कर्ष
धर्मशाला एक ऐसी जगह है जो आपको अंदर तक शांत कर देगा, आपके रोम रोम को रोमांच से भर देगा| इस शहर ने सुंदरता और आध्यात्मिकता को सदियों से सहेज कर रखा हुआ है| यहाँ पर आपको एक तरफ बर्फ से ढकी खूबसूरत पहाड़ी दिखेगी तो दूसरी तरफ हरे भरे जंगल दिखेंगे| हर किसी का सपना होता है की वो बहते झरने के बीच मे मैगी और चाय का आनंद ले वो सभी सपने आपके यहाँ पूरे होंगे| यहाँ पर आपको प्राचीन मंदिर और किले भी देखने को मिलेंगे जिससे आप हमारे देश के स्वर्ण इतिहास के बारे मे जान पाएंगे| यहाँ पर आप ट्रेकिंग और पराग्लाइडिंग जैसे साहसिक ऐक्टिविटी भी कर सकते हैं|