Places to Visit in Ladakh: हिमालय की गोद मे समुद्र तल से 3542 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख प्रकृति की अद्भुत सुंदरता से घिरा हुआ है| आज लद्दाख कई घूमने का शौक रखने वालों के लिए एक ड्रीम डेस्टिनेशन है| आपको लद्दाख मे हिमालय के बर्फ से ढके सुंदर पहाड़, जगह जगह बहते साफ पानी के स्वच्छ झरने, कम तापमान वाले हिमालय की चोटियाँ देखने को मिलेंगे| एडवेंचर लवर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए लद्दाख किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
लेह लद्दाख भारत के सबसे खूबसूरत और अद्भुत केंद्र शासित प्रदेश है। लद्दाख की राजधानी लेह शहर अपने खूबसूरत बाजार और और सुंदर मठों के लिए प्रसिद्ध है| यहाँ बौद्ध धर्म की गहरी जड़ें हैं और ये तिब्बत के साथ सीमा साझा करता है| इसे “छोटा तिब्बत” भी कहते है क्योंकि इसकी सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताएँ तिब्बत के समान हैं।
लद्दाख कैसे पहुंचे (How to reach Ladakh)
वायुमार्ग (By Air)
लेह अपना खुद का हवाई अड्डा है जिसका नाम है कुशोक बकुला रिंपोची हवाई अड्डा| यह हवाई अड्डा दिल्ली सहित देश के कुछ अन्य बड़े शहरों जैसे श्रीनगर, जम्मू और चंडीगढ़ से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| हवाई अड्डे से बाहर निकलकर आप टैक्सी लेकर अपने होटल को जा सकते हैं| अगर आप लद्दाख के लिए फ्लाइट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
सड़क मार्ग (By Road)
सड़क मार्ग से लद्दाख आने के 2 रास्ते हैं| पहला है श्रीनगर से जोजिला दर्दा होते हुए जो जून से अक्टूबर तक खुला रहता है और दूसरा है मनाली से रोहतांग दर्रे से होते हुए जो जून से सितंबर तक खुला रहता है|
रेल मार्ग (By Train)
लेह का नजदीकी रेल्वे स्टेशन जम्मू तवी है जो लेह से 650 किलोमीटर की दूरी पर है| आप जम्मू तवी मे उतरकर बस या कैब लेकर लेह पहुँच सकते हैं| जम्मू तवी के अलावा अन्य नजदीकी रेल्वे स्टेशन चंडीगढ़ और पठानकोट हैं| रेल मार्ग की अपेक्षा वायु मार्ग और सड़क मार्ग आपके लिए ज्यादा सुलभ रहेंगे|
आइए जानते है लद्दाख मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे
1. पैंगोंग झील (Pangong Tso Lake)
4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और 134 किलोमीटर लंबी झील लद्दाख मे सबसे ज्यादा देखे जाने वाला आकर्षण है| ये झील लेह से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां पहुँचने मे आपको लगभग 5-6 घंटे लगते हैं लेकिन ये यात्रा आपकी बेहद ही रोमांचक होती है और कई खूबसूरत दर्रे से होकर जाती है| ये सुरम्य झील भारत से लेकर तिब्बत तक फैली हुई है| झील का 60% तिब्बत मे है और 40% भारत मे| झील का रंग मौसम के अनुसार बदलता रहता है|
चूंकि ये झील भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित है इसलिए आपको झील तक जाने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होगी| पैंगोंग झील का तापमान -5°C से 10°C तक रहता है| मशहूर फिल्म “3 इडियट्स” मे इस झील को दिखाया गया है| इस झील के पास कई तरह के गतिविधियां कर सकते हैं| ठंड के महीने मे ये झील बर्फ मे बदल जाती है जो एक अद्भुत नजारा होता है|
सर्दियों के मौसम मे आप यहाँ पर कई प्रवासी पक्षियों को देख सकते है| ये विश्व की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है| इस क्रिस्टल पानी वाले झील की अधिकतम चौड़ाई 5 किलोमीटर है| पैंगोंग झील लद्दाख मे घूमे जाने वाली जगहों (Places to Visit in Ladakh) मे से एक है|
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2. खारदुंग ला (Khardung La)
ये लद्दाख क्षेत्र में एक ऊंचा पर्वतीय दर्रा है जिसकी ऊंचाई 5602 मीटर है जहां तक आप वाहन की सहायता से बड़ी आसानी से पहुँच सकते हैं| खारदुंग ला दर्रा श्योक और नुबरा घाटी के प्रवेश द्वार के रूप मे जाना जाता है| यह दर्रा रोमांच और शांति चाहने वालों के लिए एक खजाना है| यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है| भारी बारिश और बर्फबारी के कारण अक्टूबर से मई तक बंद रहता है।
इस दर्रे का निर्माण 1976 मे हुआ था लेकिन आम जनता के लिए इसको 1988 मे खोला जाता है| यह दर्रा देश की सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दर्रे का उपयोग सियाचिन ग्लेशियर में आपूर्ति ले जाने के लिए किया जाता है| इस दर्रे से आप बर्फ से लदी कराकोरम रेंज और हिमालय की अन्य पहड़ियों को निहार सकते हैं|
इसे दुनिया भर में सबसे ऊँचा मोटरेबल दर्रा होने का दर्जा प्राप्त है। खारदुंग ला प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है इसलिए ये भारी संख्या मे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है|
3. मैग्नेटिक हिल (Magnetic Hill)
समुद्र तल से 14000 फीट की ऊँचाई और लेह से 30 किलोमीटर की दूरी और लेह-कारगिल-बाल्टिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है मैग्नेटिक हिल जो सिंधु नदी से घिरी हुई है| ये एक ऐसा पॉइंट है जो गुरुत्वाकर्षण नियम का विरोध करता है, जहां निश्चित जगह गाड़ी पार्क पार्क करने के बावजूद ऊपर की ओर बढ़ने लगती है|
इस घटना का अनुभव करने के लिए आपको थोड़ा आगे आकर पीले बॉक्स के पास कार को न्यूट्रल गियर में पार्क करें और आप देखेंगे की कार 20 किमी प्रति घंटे रफ्तार चलना शुरू कर देती है। यह एक ऐसा अनुभव है जो दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है| यह जगह प्रकृति की गोद मे स्थापित है इसलिए आप यहाँ सुंदर सुंदर फ़ोटोज़ भी क्लिक कर सकते हैं|
4. ज़ांस्कर घाटी (Zanskar Valley)
समुद्र तल से लगभग 3,500 से 7,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ज़ांस्कर घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और रोमांचक गतिविधियों के लिए जानी जाती है| ज्यादातर पर्यटक यहाँ ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग के लिए आते हैं| वर्ष के 9 महीने ये क्षेत्र भारी बर्फ गिरने के कारण दुनिया से कटा रहता है| यहाँ से आप बर्फ से ढके ग्लेशियर, साफ सुथरी नदियां और ऊंचे ऊंचे पहाड़ देख सकते हैं|
एडवेंचर के शौकीनों के लिए ये एक जन्नत है| ज़ांस्कर घाटी में आपको बौद्ध संस्कृति का गहरी छाप दिखेगी| ज़ांस्कर नदी की घाटी के बीचों बीच बहती है जो यहाँ की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाती है। इस घाटी का अनुभव आपके लिए जीवन पर्यंत न भूलने वाला अनुभव होगा इसलिए जब भी आप इस घाटी मे आयें अपने साथ कैमरा जरूर लाएं|
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5. नुब्रा घाटी (Nubra Valley)
लेह शहर से 140 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है अद्भुत और खूबसूरत नुब्रा घाटी| ये घाटी अपने अप्रतिम सुंदरता और संस्कृति के लिए जानी जाती है| क्रिस्टल पानी वाली श्योक और नुब्रा नदियां का संगम और सुंदर पहाड़ इस घाटी की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देते हैं| यह घाटी सांस्कृतिक समृद्धि और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है|
नुब्रा घाटी मे आप बहुत सारी गतिविधियां कर सकते हैं जैसे ट्रैकिंग, कैंपिंग, स्टारगेज़िंग और बैक्ट्रियन ऊंट (दो कूबड़ वाले ऊँट) की सवारी कर सकते हैं| यहाँ पर आप स्वादिष्ट लद्दाखी भोजन का भी लुत्फ उठा सकते हैं| इस घाटी को “फूलों की घाटी” भी कहा जाता है| खारदुंग ला पास को नुब्रा घाटी का मुख्य प्रवेश द्वार कहा जाता है जो लेह शहर को नुब्रा घाटी से जोड़ता है।
फोटोग्राफर्स के लिए भी ये एक उत्तम जगह है| नुब्रा घाटी में कई पुराने और विशाल बौद्ध मठ स्थित हैं जैसे कि दिस्कित मठ और सुमुर मठ। दिस्कित मठ नुब्रा घाटी का सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ है|
6. त्सो मोरीरी (Tso Moriri Lake)
120 वर्ग किलोमीटर मे फैली और 4,595 मीटर की ऊँची ये झील लद्दाख और तिब्बत के बीच स्थित है जिसे पैंगोंग झील की जुड़वाँ बहन कहा जाता है| इस 28 किलो मीटर लंबी और 8 किलोमीटर चौड़ी झील को घूमने के लिए लाइन परमिट की जरूरत होती है| सुरम्य त्सो मोरीरी झील को केवल मई, जून, जुलाई और अगस्त महीने मे देखा जा सकता है बाकी के महीनों मे ये जमी रहती है|
यहाँ पास आप कई प्रवासी पक्षियों को भी देख सकते हैं| यहाँ से आप प्रकृति की खूबसूरती को नजदीक से निहार सकते हैं| इस झील की सुंदरता आपका समय रोक देगी| यह झील लेह का छिपा हुआ रत्न है जिसके चारों ओर 2000 मीटर की ऊँचाई के पर्वत हैं जिनका प्रतिबिंब झील के साफ पानी मे आप देख सकते हैं|
इस झील की औसत गहराई 100 फीट है| इस झील के बारे मे ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है इसलिए भीड़भाड़ से दूर यहाँ आकर आप परिवार के साथ क्वालिटी समय बिता सकते हैं
7. हॉल ऑफ फेम संग्रहालय (Hall Of Fame Museum)
लेह में हॉल ऑफ फेम संग्रहालय माँ भारती की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बलिदान देने वाले बहादुर भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है| ये संग्रहालय लेह से लगभग 4 किमी दूर लेह-कारगिल रोड पर बनाया गया है| इस संग्रहालय मे भारतीय सेना से जुड़ी हुई कई वस्तुएं देख सकते हैं|
हॉल ऑफ फेम भारतीय सेना द्वारा संचालित किए जाते है। आप यहाँ पर युद्ध स्मारक, विभिन्न प्रकार के हथियार और उपकरण, युद्ध के दौरान ले गई दस्तावेज, तस्वीरें और सेना की वर्दी और उपकरण देख सकते हैं| यहाँ पर आप युद्धों मे बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में भी देख सकते हैं|
इस संग्रहालय का निर्माण और रखरखाव भी भारतीय सेना द्वारा किया जाता है| यहाँ से आप पश्मीना शॉल, पोस्टकार्ड और अन्य कई चीज़ें खरीद सकते हैं।
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8. लद्दाख में राफ्टिंग (Rafting in Ladakh)
लद्दाख मे राफ्टिंग बहुत ही लोकप्रिय और साहसिक गतिविधि है| ज़ांस्कर नदी पर राफ्टिंग करके आपका दिल खुश हो जाएगा जो आपको एक खास अनुभव देगा| यह सबसे चुनौतीपूर्ण ऐक्टिविटी है| लद्दाख की राफ्टिंग बेहद ही रोमचक होती है| जो ऊंचे ऊंचे चट्टानों, सुंदर और सुरम्य वातावरण से होकर जाती है|
राफ्टिंग के दौरान आपको गाइड द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना पड़ेगा| राफ्टिंग मे जाने से पहले पीने का पानी पर्याप्त मात्र मे रख लें| जून से लेकर सितंबर के महीने राफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा माना जाता हैं। मौसम, फ़िटनेस और बजट के अनुसार आपको यहाँ विकल्प मिल जायेगें|
ज़ांस्कर नदी पर राफ्टिंग विश्व की सबसे ऊंची रिवर राफ्टिंग है जिसकी ऊंचाई 12000 फीट है|
9. पत्थर साहिब गुरुद्वारा (Gurudwara Pathar Sahib)
ये खूबसूरत गुरुद्वारा कारगिल रोड पर लेह से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| ये गुरुद्वारा एक बेहद ही शांत वातावरण मे स्थित है जो गुरुनानक देव को समर्पित है| ऐसा माना जाता है की 15वीं शताब्दी में गुरु नानक इस स्थान पर रुके थे और यहाँ पर एक राक्षस का वर्चस्व था जिसका सामना गुरुनानक से होता है तो वो राक्षस उनके ऊपर एक पत्थर से हमला करता है जो गुरुनानक के पीठ को छूते ही मोम मे बदल जाता है और उनके पीठ का आकार ले लेता है|
आज यही पत्थर आपको गुरुद्वारे मे देखने को मिलेगा जो बहुत ही ज्यादा पूजनीय है| इस गुरुद्वारे की देखभाल भारतीय सेना द्वारा किया जाता है| कारगिल जाने वाले सभी यात्री यहाँ रुकते है और अपनी आस्था प्रकट करते हैं| ये गुरुद्वारा अद्भुत सुंदरता और समृद्ध इतिहास का संगम है| चारों तरफ बर्फ से लदी हिमालय की पहाड़ियाँ इस गुरुद्वारे की सुंदरता मे चार चाँद लगा देते हैं|
10. त्सो कार (Tso Kar Lake)
“सफेद झील” के नाम से मशहूर ये झील समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध ये एक खारी पानी की झील है| ये झील त्सो मोरीरी झील के नजदीक स्थित है दोनों के बीच 50 किलोमीटर की दूरी है| त्सो कार लेह से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
यहाँ आने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच का होता है| यह झील पैंगोंग झील और त्सो मोरीरी झील से आकार मे छोटी है| यहाँ पास आप प्रवासी पक्षी मे भी देख सकते हैं| रात मे इस झील का नजारा और भी सुंदर हो जाता है| यह झील दक्षिणी लद्दाख में रूपशु घाटी पर स्थित है साथ मे ये फोटोग्राफी के लिए एक उत्तम स्थान है|
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11. हुंडर गांव (Hunder Village)
10,000 फीट की ऊंचाई और लेह शहर से 160 किलोमीटर की दूरी स्थित यह गाँव अपनी अनुपम रेत के टीलों, दो-कूबड़ वाले बैक्ट्रियन ऊंटों और अद्भुत मठों के लिए मशहूर है। ये सुरम्य और खूबसूरत गाँव दीक्षित मठ से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| ये गाँव ट्रेकर्स के लिए प्रसिद्ध है आप यहाँ पर निजी ऑपरेटरों से टेंट भी किराये से ले सकते हैं| यह गाँव पाकिस्तान सीमा पर सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक स्थित है|
बॉलीवुड फिल्म “दिल से” मे इस गाँव को दिखाया गया है| आप यहाँ से अनंत दूरी तक फैले हरियाली, नीले आसमान और बर्फ से लदी हिमालय की पहाड़ियों को निहार सकते हैं| सुरम्य और क्रिस्टल पानी वाली श्योक नदी और इसके आस पास रंग बिरंगे फूल इस गाँव की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं|अगर आप अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाना चाहते हैं या शांति से कुछ पल बिताना चाहते हैं तो आपको यहाँ जरूर आना चाहिए|
12. चांग ला दर्रा (Chang La Pass)
लेह और पैंगोंग झील के बीच स्थित यह एक ऊंचा पर्वतीय दर्रा है जो 17,590 फीट की ऊंचाई पर स्थित है| ये दर्रा दुनिया की तीसरी सबसे ऊंचे और सुंदर मोटरेबल दर्रों में से एक है| इसे नुब्रा घाटी क्षेत्र का मुख्य प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक होता है| चीनी बॉर्डर नजदीक होने के कारण यहाँ की देखरेख भारतीय सेना करती है|
15 किमी लंबा यह दर्रा बाइक लवर्स के बीच बहुत ज्यादा मशहूर है| बहुत ज्यादा ऊंचाई पर होने के कारण डॉक्टर यहाँ पर 20 मिनट से ज्यादा रुकने की सलाह नहीं देते| यह दर्रा सालभर बर्फ से ढका रहता है| विश्व का सबसे ऊंचा अनुसंधान केंद्र DRDO चांगला में स्थित है। मान्यता के अनुसार दर्रे का नाम साधु चांगला बाबा के नाम पर रखा गया है और यहाँ पर चांगला बाबा को समर्पित एक मंदिर भी है|
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13. ड्रक व्हाइट लोटस स्कूल (Druk White Lotus School)
यह एक मशहूर बौद्ध सांस्कृतिक स्कूल है जिसकी स्थापना 2001 मे हुई थी| इसका उद्देश्य लद्दाखी बच्चों आधुनिक शिक्षा के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा भी देना है| बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ आने के बाद ये स्कूल दुनिया भर मे प्रसिद्ध हो गया है|
यहाँ का मुख्य आकर्षण का केंद्र एक ‘दीवार’ है जहां पर 3 इडियट्स के प्रसिद्ध किरदार “चतुर” को लघुशंका करते समय ऊपर से बिजली का बल्ब झुलाकर उसको झटका दिया गया था जो मूवी का क्लाइमैक्स सीन था| जब भी आपका लेह आना होता है इस स्कूल को एक बार जरूर देखें|
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निष्कर्ष
लेह हिमालय की तलहटी मे बसा एक स्वर्ग है| यहाँ पर आपको अद्वितीय अनुभव का एहसास होगा| यहाँ की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और रोमांचक गतिविधियाँ पर्यटकों के रोम रोम को तारों ताजा कर देती है| यहाँ मिले अनुभव को आप जीवन पर्यंत नहीं भूल पाएंगे| बर्फ से लदे पहाड़, ऊंचाई पर बसे मठ और सुंदर दर्रे आपके आत्मा को खुश कर देंगे| यहाँ पर आपको एक से बढ़कर एक नीले पानी की झील देखने को मिलेगी|