जयपुर मे घूमने के लिए 10 जगहें (Top 10+ Places to Visit in Jaipur)

Places To Visit in Jaipur: जयपुर हमारे देश के क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान की राजधानी है जिसे  “पिंक सिटी” भी कहते हैं क्यूँ की शहर की अधिकांश पुरानी इमारतें और घर गुलाबी रंग की हैं| इस परंपरा की शुरुआत 1876 में हुई थी| उस समय गुलाबी रंग सौभाग्य और स्वागत का प्रतीक माना जाता था|

आज ये रंग इस शहर की पहचान बन गई है| जयपुर अपनी ऐतिहासिक महल, खूबसूरत वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए दुनियाभर मे मशहूर है| जयपुर की हर छोटी मोटी गली भी रंग-बिरंगे बाजारों और हस्तशिल्प की दुकानें से भरी हुई हैं जो आपको जीवंत अनुभव देगा|

जयपुर कैसे पहुंचे (How to reach Jaipur)

वायुमार्ग (By Air)

जयपुर महानगर का अपना खुद का एयरपोर्ट है जिसका नाम सांगानेर हवाई अड्डा है और ये हवाई अड्डा देश के सबी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है|आप हवाई अड्डे से बाहर आकर कैब या टैक्सी लेकर अपने गंतब्य तक पहुँच सकते हैं| अगर आप जयपुर जाने के लिए फ्लाइट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

सड़क मार्ग (By Road)

जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 8, 11 और 12 के नेटवर्क के माध्यम से देश की राजधानी दिल्ली समेत आस पास के सभी बड़े शहरों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है|आप अपने नजदीकी शहर से आरामदायक लक्जरी बस लेकर जयपुर पहुँच सकते हैं|

रेल मार्ग (By Train)

जयपुर का अपना खुद का रेल्वे स्टेशन है जो देश के लगभग सभी बड़े रेल्वे स्टेशनो से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है|आप रेल्वे स्टेशन से बाहर आकर कैब या टैक्सी लेकर अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं|

आइए जानते हैं जयपुर मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे

1. अमेर किला (Amer Fort)

जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर आमेर गांव में एक पहाड़ी के शिखर पर स्थित आमेर किला भारत के सबसे शानदार और बेहतरीन महलों में से एक है जिसकी स्थापना वर्ष 1592 में अकबर के सबसे भरोसेमंद सेनापतियों में से एक महाराजा मान सिंह ने करवाया था| यह किला राजपूत शासकों के निवास के रूप में कार्य करता था|

यह भव्य इमारत अपने भूलभुलैया वाले रास्तों और सांप की तरह दिखने वाली सीढ़ियों के लिए प्रसिद्ध है| किला इतना विशाल है की इसको पूरा घूमने मे आपको आराम से 2-3 घंटे का समय लग जाएगा| इस किले को देखने प्रतिदिन 5000-6000 पर्यटक आते हैं|

ये किला वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है| इस किले के निर्माण में संगमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है जो इसकी सुंदरता मे चार चाँद लगाता है|

2. सिटी पैलेस (City Palace)

ये शानदार महल पुराने जयपुर मे बना हुआ है जिसका निर्माण 1729 से 1732 के दौरान महाराजा सवाई जय सिंह ने किया था| यह जयपुर के सबसे ज्यादा देखे जाने वाला आकर्षणों मे से एक है जिसमे कुल 3 द्वार हैं उदय पोल, जंतर मंतर के पास वीरेंद्र पोल और त्रिपोलिया द्वार जिनमें से वीरेंद्र पोल और उदय पोल जनता के लिए खुले हैं।

इस महल मे आपको मुगल और राजपूत वास्तुकला शैलियों का संगम मिलेगा| समय के साथ साथ इस महल मे कई बदलाव किए गए हैं| सिटी पैलेस का प्रमुख और सबसे बड़ा महल है चंद्र महल जिसमे एक सुंदर बाग़ीचा और संग्रहालय है|

इस इमारत मे गमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है जो इसे और भी ज्यादा भव्य बनाता है|अगर आप राज्य और महाराजाओं की शैलियों के बीच फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो ये जगह आपको बुला रही है|

3. हवामहल (Hawa Mahal)

ये एक 5 मंजिला इमारत है जिसको लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बनाया गया है और इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा कराया गया था| यह एक बेहद ही ऐतिहासिक इमारत है जिसे “विंड पैलेस” भी कहा जाता है| शहर की पहचान के रूप जाना जाने वाली ये इमारत शहर के बीचों बीच स्थित है|

इस महल की 953 खिड़कियां इसे अत्यंत ही विशेष बनाती हैं जो “झरोखा” शैली में बनी हुई हैं| इन खिड़कियों का निर्माण शाही परिवार के महिलाओं के लिए किया गया था ताकि वो बिना बाहर गए बाहर की गतिविधियां देख सकें| ये महल राजस्थानी वास्तुकला का एक अद्भुत और अद्वितीय उदाहरण है|

महल के अंदर आपको एक आकर्षक फव्वारा भी मिलेगा| महल की छत से आप सिटी पैलेस, जंतर मंतर और सिरेदोरी बाजार का विहंगम दृश्य दिखाई देगा| रात के समय जब इस महल को रोशनी से सजाया जाता है तो इसकी सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है| हवा महल जयपुर की घूमे जाने वाली जगहों (Places To Visit in Jaipur) मे से एक है|

4. जंतर मंतर (Jantar Mantar)

खगोल विज्ञान और वास्तुकला का अद्भुत संगम यह एक खगोलीय वेधशाला है जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह ने कराया था| इस जगह को 2010 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल मे शामिल किया गया है| यहाँ पर कुल 19 खगोलीय यंत्र है जो खगोलीय घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए उपयोग किए जाते थे|

यहाँ पर दुनिया की सबसे बड़ी एक सूर्यघड़ी भी है जिसका उपयोग समय मापने के लिए किया जाता था। यहाँ के यंत्र अभी भी पुराने समय की तरह काम करते हैं| यहाँ के यंत्रों का आकार और संरचना इतनी सटीक है कि इनसे खगोलीय घटनाओं का मापन आज भी सटीकता से किया जा सकता है। यह संरचना इंजीनियरिंग कौशल का एक बेजोड़ नमूना है|

जंतर मंतर को एक शैक्षणिक स्थल के रूप में भी काम करता है जहां आए विद्यार्थियों को खगोलीय गणनाओं और उपकरणों के बारे मे जानकारी दी जाती है| यहाँ पर आकर खगोल विज्ञान के बारे मे गहरा ज्ञान अर्जित कर सकते हैं| यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का रहेगा|

इनके बारे में भी जाने:

5. राजमहल पैलेस (Raj Mahal Palace)

वर्ष 1729 मे निर्मित राजमहल पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह ने करवाया था जो राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक महलों में से एक है| इस महल का उपयोग राजा के शाही निवास के लिए किया जाता है| इस महल मे आपको राजपूत और मुग़ल दोनों की शैलियों का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलेगा|

महल के चारों ओर सुंदर बाग़ान और हरियाली फैली हुई है साथ मे यहाँ विभन्न प्रकार के फूल और पेड़ इसकी खूबसूरती मे चार चाँद लगा देते हैं| इस महल मे आपको कई शाही कमरे देखने को मिलेंगे जिनका अपना अपना महत्व है|

इस समय इसको एक लग्जरी होटल मे तब्दील कर दिया गया है जिसमे शाही आतिथ्य के साथ साथ आपको राजस्थानी संस्कृति भी देखने को मिलेगी| इस महल की खूबसूरती को कई फिल्मों और टीवी सीरीयल मे भी दिखाया गया है| यह महल अपने आप मे एक समृद्ध इतिहास समेटे हुए है इसलिए राजस्थान जब भी आप आयें इसे देखना बिल्कुल भी मिस न करें|

6. जयगढ़ किला (Jaigarh fort)

अरावली पर्वतमाला की ‘चील का टीला’ चोटी यह किला एक बहुत ही उच्च संरचना है जिसका निर्माण 1726 मे जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह ने आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया था| यह शानदार किला जमीन के अंदर रास्तों से आमेर किले से जुड़ा हुआ है|

वर्तमान मे इस किले मे दुनिया की सबसे बड़ी पहियों वाली तोप  ‘जयवाना’ रखी हुई है जो इस किले की शान को बढ़ाती है| यहाँ से आप जयपुर शहर का मन मोहक नजारा भी देख सकते हैं| इस किले को जयपुर का सबसे मजबूत किला माना जाता है जिसे काभी आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा|

ऐसा माना जाता है की इस किले मे कोई गड़ा हुआ खजाना है| इस किले मे वर्षा जल संचयन की बेहतरीन व्यवस्था है| यह किला अपने मनमोहक वास्तुकला के लिए भी मशहूर है| इसकी छत से आप सूर्योदय और सूर्यास्त का मंत्रमुग्ध करने वाला नजारा देख सकते हैं|

7. नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort)

नाहरगढ़ का अर्थ है “बाघों का निवास”| अरावली पर्वतमाला की चोटी पर स्थित इस किले का निर्माण 1734 में महाराजा सवाई जय सिंह ने करवाया था| जिसका उद्देश्य जयपुर शहर को संरक्षित करना था| इस किले के ऊंचाई मे स्थापित होने के कारण यहाँ ने निगरानी करना आसान होता था| 

इस किले की वास्तुकला मे आपको राजपूत और मुग़ल शैली का मिश्रण देखने को मिलेगा| इस किले से आप सूर्यास्त, सूर्योदय और अरावली पर्वत के सुंदर दृश्यों को देख सकते हैं| ये किला जयपुर के इतिहास और संस्कृति का एक अखंड हिस्सा है जो देखने मे बहुत सुंदर, अद्भुत और अद्वितीय है|

अगर आप इस किले की भव्यता को देखना चाहते हैं तो आपको एक बार यहाँ जरूर आना चाहिए|

8. जल महल (Jal Mahal)

यह एक बेहद अनूठा और आकर्षक महल है जो मान सागर झील के ठीक बीच में स्थित है| चारों ओर से पानी से घिरा होने के कारण इसको “पानी के महल” भी कहते है| इस महल मे 5 मंजिले है जिसमे से 4 मंजिले पानी के नीचे डूबी हुई है पानी के ऊपर केवल आखिरी मंजिल ही दिखाई देती है|

इस महल का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा करवाया गया था| इस महल को पहले सूखी झील मे बनाया गया था बाद मे इसे पानी से भर दिया गया| इस महल का उपयोग राजा महाराजा शिकार के बाद विश्राम के लिए करते थे|

जिस झील के बीच मे ये स्थित है मन सागर झील वो चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई है जो इसकी सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देते हैं| वर्तमान मे इसके अंदर जाने की अनुमति नहीं है लेकिन आप झील के किनारे या नाव की सवारी करते हुए इसे बिल्कुल नजदीक से देख सकते हैं|

9. बिड़ला मंदिर (Birla Temple)

यह एक भव्य हिन्दू मंदिर है जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर भी कहा जाता है जो मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थित है| इस मंदिर का निर्माण 1988 मे बिरला ने करवाया था और इस मंदिर के लिए जमीन महाराज से मात्र 1 रुपये की धनराशि लेकर दान कर दी थी| यह पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है|

इस मंदिर मे आपको प्राचीन हिन्दू वास्तुकला और आधुनिकता का संगम दिखेगा| इस मंदिर मे जन्माष्टमी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है| यह विशेष और अद्भुत मंदिर पूरी तरह से जगतपालक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है|  इस मंदिर को चारों तरफ से हरे भरे पेड़ पौधे और बागीचों ने घेर रखा है|

ये मंदिर भारत की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को दर्शाती है क्यूँ की आपको यहाँ पर अन्य धर्मों के महान विभूतियों के चित्रण भी देखने को मिलेंगे| यहाँ आकर आपको अद्भुत आध्यात्मिक शांति का अनुभव मिलेगा जिसे आपको बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए|

10. गलताजी मंदिर (Galta Ji Temple)

यह बेहतरीन और प्राचीन मंदिर अरावली पहाड़ी के तट पर स्थित है| इस जगह पर गालव ऋषि ने तपस्या किया था इसलिए इस मंदिकर का नाम गलताजी मंदिर पड़ा जो भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान के लिए समर्पित है| इस मंदिर को बंदर मंदिर भी कहते हैं क्यूँ की इस मंदिर के आस पास भारी संख्या मे बंदर रहते हैं|

यह मंदिर गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है जो इसकी सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देता है और इसमें कई भव्य मंडप, स्तंभ, और पवित्र कुंड हैं| इस मंदिर मे एक बेहद ही पवित्र कुंड है जिसे “गलग कुंड”कहते हैं और ऐसा माना जाता है की ये कुंड कभी भी नहीं सूखता और इसमे स्नान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है|

इस मंदिर मे एक प्राकृतिक झरना भी है जिसका बहता हुआ पानी कुंड मे गिरता है| इस मंदिर मे मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है| यह एक बेहद ही सुंदर और भव्य मंदिर है जो अपने प्राकृतिक और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है|

11. पन्ना मीना का कुंड (Panna Meena ka Kund)

16वीं शताब्दी मे निर्मित ये कुंड आमेर किले के पास स्थित है| इस कुंड को बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए बनाया गया था ताकि पानी की कमी से निपटा जा सके| यह कुंड वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना दिखाता है| इस कुंड की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी सीढ़ीनुमा वास्तुकला है| इसकी सीढ़ियों की बनावट इसको अद्वितीय बनाती हैं| 

इस कुंड के आस पास पर्याप्त जगह होने के कारण इस कुंड का इस्तेमाल जल संचयन के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे भी किया जाता था| यह कुंड चारों तरफ से अरावली के हरे भरे पर्वतों से घिरा हुआ है जिससे आसपास के क्षेत्रों का दृश्य अत्यंत सुंदर और शांतिपूर्ण हो जाता है|

फोटोग्राफी करने के लिए ये एक बेहद ही बढ़िया जगह है| यह कुंड अब उपयोग मे नहीं है लेकिन इसके प्राचीन महत्व को देखते हुए इसे संरक्षित किया गया है|

12. गोविंद जी मंदिर (Govindji Temple)

भगवान श्री कृष्ण को समर्पित ये मंदिर जिसका निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह ने 1590 में जयपुर के सिटी पैलेस परिसर के भीतर बनवाया था| भगवान की यह मूर्ति महाराजा सवाई जय सिंह को वृंदावन से प्राप्त हुई थी| भगवान की मूर्ति अत्यंत मनमोहक और आकर्षक है जिसे देखकर आप भाव विभोर हो जाएंगे|

इस मंदिर की यहाँ की मंगला आरती और शयन आरती प्रसिद्ध है| इस मंदिर का निर्माण अद्भुत, खूबसूरत और पारंपरिक राजपूत शैली मे किया गया है| इस मंदिर मे जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और होली का विशेष आयोजन होता है| महाराजा सवाई जय सिंह ने इस मंदिर को कुछ इस तरह से बनाया था की वो अपने महल से ही भगवान के दर्शन कर सकें|

यह मंदिर जयपुर की धरोहर का एक अखंड हिस्सा है| भगवान के दर्शन से भक्तगणों को आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करेगी|

 


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