Places To Visit in Jaisalmer: जैसेलमेर शहर चारों तरफ से रेगिस्तान से घिरा हुआ है| यहाँ के इमारतों मे पीले बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ है तो दूर से देखने पर सूरज की किरण पड़ने पर सोने के रंग मे चमकता है| यहाँ के पुरुषों की पोशाक मे आपको रंगबिरंगी पगड़ी और बड़ी बड़ी मूंछें दिखेंगी वही महिलाएं सितारे और शीशे जड़ित लहंगे पहने हुए दिखेंगी|
जैसलमेर को सोनार किला” या “गोल्डन सिटी” भी कहा जाता है जो एक बेहद ऐतिहासिक और खूबसूरत शहर है| इस शहर का संस्कृति, कला, इतिहास और वास्तुकला इसे राजस्थान का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं|
जैसेलमेर कैसे पहुंचे (How to reach Jaisalmer)
वायुमार्ग (By Air)
अगर आप फ्लाइट से जैसलमेर जाना चाहते है तो आपको पहले जोधपुर आना होगा| जोधपुर हवाई अड्डा देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है| जोधपुर जैसलमेर से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| आप जोधपुर हवाई अड्डे के बाहर से बस या कैब लेकर जैसलमेर पहुँच सकते थे|
सड़क मार्ग (By Road)
जैसेलमेर सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप आस पास के शहर से आरामदायक डीलक्स बस या कैब लेकर बड़े आराम से जैसेलमेर पहुँच सकते हैं|
रेल मार्ग (By Train)
जैसेलेमर मे अपना खुद का रेल्वे स्टेशन है जो देश के सभी बड़े सहारों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप जैसेलमेर स्टेशन से बाहर आकर ऑटो या टैक्सी लेकर अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं| अगर आप जैसलमेर के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
आइए जानते हैं जैसलमेर मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे
1. जैसलमेर किला (Jaiselmer Fort)
इस किले को सोनार किला भी कहते हैं क्यूँ की सूरज की रोशनी जब इस पर जड़ित बलुआ पत्थर पर पड़ती है तो ये सोने के रंग का प्रतीत होता है| ये किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल मे शामिल है जिसे 1156 ईस्वी में राजा जैसल द्वारा बनवाया गया था| इस विशाल किले के अंदर आपको घर मंदिर, दुकान और रेस्तरा देखने को मिलेंगे|
ये किला राजपूतों की शान और बहादुरी बयाँ करता है| किले की विशालता का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं की इस किले के अंदर 3000 से ज्यादा लोग रहते है| 250 फीट ऊंचाई पर स्थित ये किला 30 फीट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है| शुरुआत मे इसका नाम ‘त्रिकूट गढ़’ था क्यूँ की इसका आकर त्रिकोण था और जिस पहाड़ी पर ये बनाया गया था वह त्रिकुटा पहाड़ी थी|
इस किले के अंदर उत्कृष्ट पत्थर द्वारा निर्मित कई जैन मंदिर हैं| जब भी आप इस किले का दौरा करें प्रयास करें की सुबह का समय हो ताकि आप तीक्ष्ण गर्मी से बचकर ठंड के माहौल मे किले को घूम सकें| इस किले को देखने हजारों की तादाद मे पर्यटक आते हैं| निश्चित तौर पर ये किला जैसलमेर मे घूमे जाने वाली जगहों (Places to Visit in Jaisalmer) मे आता है|
2. पटवों की हवेली (Patwon Ki Haveli)
19वीं शताब्दी में निर्मित ये हवेली पाँच छोटी हवेलियों का समूह है जिसका निर्माण पटवा परिवार ने किया था जो जैसलमेर के प्रमुख व्यापारी और अमीर आदमी थे| यह हवेली अपनी जटिल और सुंदर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सभी पांचों हवेली मिलकर शहर की सबसे बाड़ी हवेली बनाती हैं|
अगर आप पटवा परिवार का शाही जीवन देखना चाहते हैं तो आपको एक बार यहाँ जरूर आना चाहिए| इस हवेली के अंदर की सजावट भी अत्यंत खूबसूरत है| हवेली को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है की सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग किया जा सके| इस हवेली मे 60 से ज्यादा बालकनी हैं|
अगर आप इस हवेली की असली भव्यता देखना चाहते हैं तो आपको हवेली के अंदर आना पड़ेगा| ये हवेली शहर के 3 सबसे प्रभावी हवेली मे गिनी जाती है| आप इस हवेली को देखने साल मे किसी भी महीने मे आ सकते हैं लेकिन ठंड के मौसम मे आना ज्यादा आरामदायक रहेगा|
3. गड़ीसर झील (Gadisar Lake)
ये झील जैसेलमेर के गर्म रेगिस्तानी इलाके मे शहर के बाहरी इसके मे स्थित है| मध्य काल मे पानी की जरूरत पूरी करने के लिए कोई तरीका नहीं था तब राजा रावल जैसल ने इस जलाशय का निर्माण किया ताकि स्थानीय लोगों की पानी की जरूरत को पूरा किया जा सके|
यह झील जैसेलमेर किले के नजदीक स्थित है जहां से आप किले की भव्यता को निहार सकते हैं| अगर आप कुछ समय अकेले मे या परिवार के साथ बिताना चाहते हैं तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट है|गड़ीसर झील शांतिपूर्ण वातावरण और हरी-भरी छांव मे एक आरामदायक अनुभव प्रदान करती है|
इस झील पर आप नाव की सवारी भी कर सकते हैं| इस झील मे आप फोटोग्राफी भी कर सकते हैं| बाहरी इलाके मे स्थित होने के कारण आपको यहाँ तक पहुँचने के लिए ऑटो या टैक्सी लेना पड़ेगा|
4. सलीम सिंह की हवेली (Salim Singh Ki Haveli)
यह जैसेलमेर की प्रसिद्ध हवेली है जिसका निर्माण उस समय के जैसेलमेर के प्रधान सलीम सिंह ने कराया था इसलिए इसका नाम सलीम सिंह हवेली पड़ा| इस हवेली का निर्माण 1815 मे किया गया था|हवेली में कुल 38 बालकनियाँ हैं और सभी 38 बालकनियों की रूपरेखा अलग अलग है|
ऐसा माना जाता है की सलीम सिंह इस हवेली को जैसलमेर के किले से ऊंचा बनवाना चाहते थे लेकिन राजघराने ने इस पर आपत्ति जताई इसलिए इसका काम बीच मे ही रोकना पड़ा| इसका एक दूसरा नाम भी है “जहाज महल” क्यूँ की हवेली का अगला हिस्सा जहाज के पिछले हिस्से जैसा प्रतीत होता है|
इस हवेली के प्रवेश द्वार की रक्षा दो पत्थर के नक्काशीदार और सुंदर हाथी करते हैं| हवेली में एक अद्भुत और सुंदर मोती महल भी है| ये हवेली अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है जिसे देखने प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटक आते हैं|
5. सम सैंड ड्यून्स (Sam Sand Dunes)
जैसेलमेर शहर से 40 किलोममेटर की दूरी पर स्थित सम सैंड ड्यून्स जैसलमेर के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक हैं। यह स्थान थार रेगिस्तान के खूबसूरत रेतीले टीलों को दिखाता है| यहाँ फैले दूर दूर तक शांत रेगिस्तान आपको भाव विभोर कर देगा|
यहाँ पर आप ऊंट की सवारी, जीप सफारी, कैम्पिंग, संगीत और नाइट स्काई और स्टार गेजिंग जैसी एक्टिविटी कर सकते हैं| ये जगह सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखने के लिए भी जानी जाती है| सैम सैंड ड्यून्स देश के सबसे बेहतरीन ड्यून्स में से एक हैं| इनमे से कुछ की ऊंचाई तो 30-60 मीटर तक होती है|
आप शाम को कैंपसाइट में होने वाले उत्सव मे स्थानीय लोगों के साथ शामिल हो सकते हैं| ये अनुभव आपको कभी भी न भूलने वाला अनुभव होगा| जैसेलमेर की यात्रा के दौरान सैम सैंड ड्यून्स घूमना बिल्कुल भी मिसस न करें|
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6. नथमल की हवेली (Nathmal Ki Haveli)
1885 मे निर्मित इस भव्य और ऐतिहासिक हवेली का निर्माण जैसलमेर के प्रधान नथमललाल भाटिया ने करवाया था| ये हवेली अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए जानी जाती है जिसकी रूपरेखा दो भाईयों लल्लू और हथमल द्वारा डिजाइन कि गई थी| दोनों भाइयों ने 2 अलग अलग डिजाइन बनाया था|
आपको हवेली के अंदर कई तरह की सुंदर पेंटिंग्स भी देखने को मिलेगी| यह हवेली नथमललाल की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक थी। इस हवेली के प्रवेश द्वार पर चूना पत्थर से बने दो हाथी आपका स्वागत करते हैं| इस पूरे किले को बनाने मे पीले बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ है इसलिए जब सूरज की किरने इस पर पड़ती है तो उए सोने के रंग का प्रतीत होता है|
इस हवेली के निर्माण में इस्तेमाल की गई नक्काशी और वास्तुकला जैसलमेर के स्वर्ण युग को दर्शाती है जिसको देखने हर साल हजारों पर्यटक यहाँ आते हैं|
7- कुलधरा गांव (Kuldhara Village)
जैसेलमेर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुलधरा गाँव को हिंदुस्तान का सबसे डरावने गाँव का दर्जा प्राप्त है| ये एक जैसेलमेर की बेहद दिलचश्प जगह है| इस गाँव की एक से बढ़कर एक कहानियाँ प्रचलित हैं लेकिन उनका कोई ठोस सुबूत नहीं है| यह गाँव थार रेगिस्तान के बीचों बीच बसा हुआ है जिसे देखने लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं|
ऐसी मान्यता है की इस गाँव को 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था जो उस समय के सबसे धनी और प्रतिष्ठित समुदाय मे आते थे|
ऐसा माना जाता है की जैसलमेर के एक शक्तिशाली मंत्री सालम सिंह की बुरी नजर कुलधरा की एक सुंदर लड़की पर पड़ गई थी और वो उसे जबरन शादी के लिए मजबूर करने लगा जिससे आहत होकर रातों रात सभी ब्राह्मणों ने कुलधारा गाँव छोड़ने का फैसला किया और जाते जाते इस गाँव को आजीवन वीरान रहने का श्राप दिया|
इस गाँव की वीरानता ही आपको भयानक डर का अनुभव कराएगी| ये पूरा गाँव अब खंडहर बन चुका है| राजस्थान सरकार ने इस भूतिया गाँव को संरक्षित किया है और यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराती हैं। यहाँ पर आप फोटोग्राफी भी कर सकते हैं|
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8. डेजर्ट नेशनल पार्क (Desert National Park)
जैसलमेर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में फैला हुआ है और यह भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है जिसका क्षेत्रफल लगभग 3,162 वर्ग किलोमीटर है|
यहाँ पर आपको मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान ऊँट, रेगिस्तानी लोमड़ी, बंगाल लोमड़ी, चिंकारा, भेड़िये, रेगिस्तानी बिल्ली और काला हिरण जैसे कई वन्यजीवों को आपको देखने का मौका मिलेगा| अगर आप जीप सफारी से इस रेगिस्तानी पार्क का भ्रमण करते है तो आप इस पार्क ज्यादा लुत्फ उठा पाएंगे|
यह पार्क विभिन्न प्रकार के प्रवासी और रेगिस्तानी पक्षियों के लिए एक अद्भुत और अद्वितीय आश्रय स्थल है| इस पार्क का प्रमुख उद्देश्य थार रेगिस्तान के वातावरण को संरक्षित करना था| यहाँ पर आपको रेगीस्तानी जीवों के अलावा विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों को भी देखने का मौका मिलेगा| फोटोग्राफी करने के लिए भी ये एक उपयुक्त जगह है|
9- खाबा किला (Khaba Fort)
जैसेलमेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी और थार रेगिस्तान की गोद मे स्थित ये एक बेहद रहस्यमयी किला है| यह किला अपने शानदार दृश्य, इतिहास, और खंडहरों के लिए मशहूर है| इस किले का निर्माण 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने कराया था| और इसके खंडहर होने का कारण भी वही है जो कुलधारा गाँव के खंडहर होने का है|
क्षेत्र के एक शक्तिशाली मंत्री के अत्याचारों से तंग आकर पालीवाल ब्राह्मणों ने खाबा किला और इसके आसपास के गाँव को छोड़ने का निर्णय लिया। इस किले से आप सूर्योदय, सूर्यास्त और रेगिस्तान के खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं| इस किले से आप इतिहास, रहस्य, और रेगिस्तान की तीनों का आनन्द ले सकते हैं|
ऐसा माना जाता है की यहाँ रात में अजीबो-गरीब घटनाएँ होती हैं| भूतिया कारणों से यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय दिन का होता है| यह किला राजस्थान की एक बेहतरीन धरोहर है जिसे हर पर्यटक को देखना चाहिए|
10. अमर सागर झील (Amar Sagar Lake)
17वीं शताब्दी मे बनी इस खूबसूरत झील का निर्माण महारावल अकाई सिंह द्वारा किया गया था जो जैसेलमेर शहर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| ये झील प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और शांत वातावरण के लिए पूरे शहर मे जानी जाती है| ये झील चारों तरफ से हरे भरे पेड़ों और स्मारकों से घिरी हुई है|
इस झील के पास ही एक अमर सागर मंदिर है जो देवों के देव महादेव को समर्पित है| ऐसा माना जाता है की अमर सिंह भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे| झील की किनारे स्थित आप अमर सिंह पैलेस को भी विज़िट कर सकते हैं| झील के किनारे बैठकर आप शांत हवा के बीच पक्षियों की मधुर चहचहाहट सब सकते हैं|
इस झील मे घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है क्यूँ की यहाँ से आप सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं| अमर सागर झील सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अतुलनीय हिस्सा है जिसे पर्यटकों को जरूर देखना चाहिए|
11.लोधरवा (Lodhruva)
थार रेगिस्तान के बीच और जैसेलमेर शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है| इस शहर को कई दफा मुस्लिम आक्रमणकारियों ने लूटा लेकिन शहर का प्रमुख आकर्षण इसके स्थापत्य खंडहर हैं।
यहाँ पे एक बेहद प्रसिद्ध जैन मंदिर है जो 23वें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है| लोध्रुवा का इतिहास 9वीं शताब्दी का है जो उस समय बहुत ही समृद्ध शहर था और आप इसके खंडहर देखने पर इस शहर की भव्यता का अनुभव करेंगे| रेगिस्तान के बीचों बीच स्थित होने के कारण आप यहाँ से रेगिस्तान का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं|
अपने समय पर ये गाँव जैन धर्म के तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थान था जो पूरी तरह विकसित था| यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय ठंड का है| ये गाँव जैसेलमेर का एक धार्मिक धरोहर है जिसे आप लोगों को जरूर घूमना चाहिए| लोध्रुवा गाँव के अन्य दूसरे आकर्षण हिंगलाज माता मंदिर और चामुंडा माता मंदिर भी हैं।
12. तणोट माता मंदिर (Tanot Mata Temple)
यह एक बेहद महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो जैसेलमेर शहर से 120 किलोमीटर दूर भारतीय-पाकिस्तानी सीमा के नजदीक स्थित है| 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से इस मंदिर को सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा देखरेख किया जा रहा है|
कहानी कुछ इस प्रकार है की 1971 भारत पाक युद्ध मे पाकिस्तानी सेना ने इस मंदिर पर 3000 बमों की बौछार कर दी थी लेकिन मंदिर के पास कोई भी बम नहीं फटा| BSF ने मंदिर के भीतर एक विजय स्तंभ बनाया और हर साल 16 दिसंबर को पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं|
यह जैसेलमेर का एक छिपा हुआ रत्न है जिसका चित्रण आपको मशहूर हिन्दी फिल्म बॉर्डर मे देखने को मिली है| इस मंदिर मे घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है|