वाराणसी मे घूमने के लिए 12+ जगहें (Top 12+ Places to Visit in Varanasi)

Places To Visit In Varanasi: वाराणसी उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है जिसे सनातन धर्म के एक विशेष तीर्थ स्थल में गिना जाता है| वाराणसी का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है| गंगा किनारे स्थित ये शहर अपने घाटों के लिए प्रसिद्ध है| वाराणसी का सबसे प्रमुख मंदिर काशी विश्वनाथ है जो देवों के देव महादेव को समर्पित है| 

वाराणसी शहर अपने संकरी गलियाँ, पारंपरिक हस्तशिल्प, और अद्भुत बनारसी साड़ियाँ केलिए भी जाना जाता है। वाराणसी शहर अपनी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा व्यवस्था के लिए भी जाना जाता है जहां पर आपको काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) देखने को मिलेगा जो दुनिया भर में अपनी यूनिक एजुकेशन के लिए मशहूर है| वाराणसी को भारत की “आध्यात्मिक राजधानी” भी कहते हैं|

वाराणसी कैसे पहुंचे (How to reach Varanasi)

वायुमार्ग (By Air)

अगर आप वाराणसी फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो बढ़िया ऑप्शन है| वाराणसी का खुद का हवाई अड्डा है लाल बहादुर शास्त्री| ये हवाई अड्डा देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| एयरपोर्ट से बाहर आकर आप कैब या ऑटो लेकर अपने होटल की ओर प्रस्थान कर सकते हैं| अगर आप वाराणसी के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

सड़क मार्ग (By Road)

वाराणसी शहर उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है जो आस पास के सभी बड़े शहरों सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप आस पास सभी बड़े शहरों से बस या कैब लेकर वाराणसी पहुँच सकते हैं|

रेल मार्ग (By Train)

वाराणसी जंक्शन देश के लगभग सभी प्रचलित जंक्शन और बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है| वाराणसी जंक्शन के बाहर आकर आप ऑटो या कैब लेकर अपने गंतव्य तक जा सकते हैं|

आइए जानते हैं वाराणसी मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे

1. काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)

यह एक विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो गंगा किनारे स्थापित है| यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है| इस मंदिर को “काशी विश्वनाथ” के नाम से भी जाना जाता है, जिनका अर्थ है “काशी के स्वामी” और “विश्व के स्वामी”। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है जिसको कई बार मुस्लिम आक्रान्ताओं ने ध्वस्त किया|

आखिरी बार 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका निर्माण करवाया था| वैसे तो इस मंदिर में 12 महीनो भक्तगणों की भीड़ रहती है लेकिन शिवरात्रि के अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इस मंदिर के चोटी पर 800 किलो सोने की परत चढ़ी हुई जो मंदिर को और भी ज्यादा खूबसुरत बनाती है|

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है| इस मंदिर में कैमरा, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है लेकिन मंदिर के बाहर आपको लाकर्स मिल जायेगे वहाँ आप ये सब चीजे रख सकते हैं| इस मंदिर का उल्लेख आपको कई पवित्र ग्रंथों में भी देखने को मिलेगा| ये मंदिर वाराणसी मे घूमे जाने वाली जगहों (Places to visit in Varanasi) मे से एक है|

2. सारनाथ (Sarnath)

यह एक बेहद महत्वपूर्ण स्थल था जो भगवान बुद्ध को समर्पित है| ऐसा माना जाता है की भगवान बुद्ध ने यहाँ अपना पहला उपदेश दिया था| यहाँ पर आपको धर्म चक्र प्रवर्तन स्तूप देखने को मिलेगा जो प्राचीन बौद्ध वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ पर एक मंदिर है महाबोधि मंदिर जो भगवान बुद्ध को समर्पित है|

यह जगह वाराणसी से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यह जगह आपने धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाएगी| यहाँ पास आपको एक अशोक स्तम्भ भी देखने को मिलेगा जिसका निर्माण राजा अशोक ने किया था|

इस जगह पर एक संग्रहालय भी है जहाँ पर आपको बौद्ध धर्म से जुड़ी कई कला और पुरानी वस्तुएं देखने को मिलेगी| यहाँ का शांत और अध्यात्मिक वातावरण आपके रोम रोम को रोमांच से भर देगा|

3. दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)

दशाश्वमेध घाट वाराणसी के सबसे ज्यादा घूमें जाने वाला घाट है| यह घाट धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कामों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है| ऐसी मान्यता है की भगवान शिव ने दस अश्वमेध यज्ञ किए थे इसलिए इस घाट का नाम “दशाश्वमेध” पड़ा। इस घाट पर दोनों टाइम सुबह शाम मंत्रमुग्ध करने वाली गंगा आरती होती है जो पर्यटकों को भाव विभोर कर देती है| 

शाम की गंगा आरती बहुत भव्य तरीके से की जाती है जहां दियों, मंत्रों, और शहनाई की धुन के साथ साथ जीवित और रोचक दृश्य प्रस्तुत करता है लेकिन सुबह की आरती बहुत ही शांत वातावरण में होती है| यह घाट वाराणसी की सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है|

इस घाट के किनारे से आप माँ गंगा की अद्भुत लहरों का आनंद ले सकते हैं या नौका विहार भी कर सकते हैं| यहाँ की गंगा आरती का समय शाम को करीब 6 बजे से 7 बजे के बीच होता है लेकिन यह समय मौसम के अनुसार बदलता रहता है|

4. रामनगर किला (Ramnagar Fort)

गंगा किनारे तुलसी घाट के सामने स्थित यह किला वाराणसी से लगभग 14 किलोमीटर दूर है जो रामनगर शहर में स्थित है| इसका निर्माण पूर्व महाराजाओं द्वारा किया गया था| इस किले को 11750 में प्रमुख राजपूत शासक महाराज बलवंत सिंह ने बनवाया था|  इस किले की डिजाईन में स्थापत्य शाही कला और ऐतिहासिक शैलियों का मिश्रण है|

इस किले में एक संग्रहालय भी है जिसमे आपको पुराने समय की वस्तुएँ, चित्र, हथियार और शाही वस्त्र देखने को मिलेंगे| यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अखंड हिस्सा है। किले से आप गंगा नदी के शानदार नज़ारे देख सकते हैं| वर्तमान समय में ये किला महाराजाओं के परिवार के सदस्यों के नियंत्रण में है|

5. मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat)

गंगा नदी के किनारे स्थित ये घाट धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थल है जो  हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद पवित्र माना गया है| यहाँ का श्मशान घाट वाराणसी के प्रमुख श्मशान घाटों में से एक हैं| यहाँ पर बहुत से लोग अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं|

ऐसा माना जाता है की देवी सती का मणि यहीं पर गिरा था इसलिए इसका नाम “मणिकर्णिका” पड़ा। घाट के किनारे आपको हमेशा जलती हुई चिताएं देखने को मिलेगी जो जीवन की सच्चाई बयाँ करती है| यह घाट वाराणसी के पुराने शहर में स्थित है|

इस घाट पर आप नौका विहार का भी आनंद ले सकते हैं| ऐसा माना जाता है जी इस जगह पर जिस इन्सान जा अंतिम संस्कार होता है वो इन्सान जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है|

6. अस्सी घाट (Assi Ghat)

शहर के दक्षिणी हिस्से में एवं अस्सी और गंगा नदियों के संगम पर स्थित अस्सी घाट एक  शांतिपूर्ण वातावरण और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है| अस्सी घाट पर हर सुबह और शाम गंगा आरती का आयोजन किया जाता है जो पर्यटकों और भक्तो को भाव विभोर कर देता है|

यहाँ पर संगम पर स्थित पीपल के पेड़ के नीचे बड़े शिवलिंग स्थापित है| इस घाट का वर्णन हमारे पुराणों में किया गया है| अस्सी घाट बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पास स्थित है इसलिए यहाँ विद्यार्थियों का आना जाना लगा रहता है| अगर आप खास वाराणसी का अनुभव करना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर जरुर आना चाहिए|

अस्सी घाट पर आप नौका विहार भी कर सकते हैं| इस घाट पर आप ध्यान, योग या कसरत भी कर सकते हैं|

इनके बारे में भी जाने

7. संकट मोचन हनुमान मंदिर (Sankat Mochan Hanuman Temple)

अस्सी नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का निर्माण 1990 में स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा किया गया था। ये मंदिर मर्यादा पुरषोत्तम भगवन राम और राम भक्त हनुमान जी को समर्पित है| इस मन्दिर में घूमते समय बंदरों से आपको सावधान रहना चाहिए| यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है|

यहाँ हनुमान जी की एक भव्य मूर्ति स्थापित है जिसके दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं| मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तगण आते हैं| यह मंदिर शहर के केंद्र से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर आपको आध्यात्मिक शांति प्रदान करेगा|

इस मंदिर मे बजरंगवाली की मूर्ति की स्थापना महान संत तुलसीदास जी ने किया था| ऐसी मान्यता है की इसी जगह पर पवनपुत्र हनुमान जी ने तुलसीदास जी को साक्षात दर्शन दिए थे|

8. श्री सत्यनारायण तुलसी मानस मंदिर (Shri Satyanarayan Tulsi Manas Mandir)

1964 में निर्मित, यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और इसका नाम संत कवि तुलसी दास के नाम पर रखा गया है। यह वास्तुकला की शिखर शैली को प्रदर्शित करता है और मंदिर की दीवारों पर राम चरित मानस के विभिन्न शिलालेख प्रदर्शित करता है। मंदिर की ऊपरी मंजिल पर रामायण के विभिन्न प्रसंगों को भी नक्काशी के रूप में दर्शाया गया है।

सावन (जुलाई-अगस्त) के महीनों के दौरान मंदिर अवश्य जाना चाहिए, जब यहां रामायण से संबंधित कठपुतलियों का एक विशेष प्रदर्शन होता है और यह हर किसी के लिए एक मजेदार अनुभव होता है।

यह मंदिर  धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण बेहद महत्वौर्ण है| यहाँ पर जन कल्याण की सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक शिक्षा भी प्रदान की जाती है| यह मंदिर शहर के मुख्या भाग में स्थित है आप आसान तरीके कोई भी साधन लेकर यहाँ पहुंच सकते हैं|

9. दुर्गा मंदिर (Durga Temple)

शक्ति और विजय की देवी माँ दुर्गा को समर्पित इस मंदिर को “दुर्गा कुण्ड मंदिर” भी कहते हैं| यहाँ पर नवरात्री में विशेष भक्तों की भीड़ होती है। मंदिर में भव्य माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित है जो भक्तों को आध्यात्मिकता का अनुभव कराती है|

यह मंदिर शहर के बीचो बीच स्थित है जहां पर आप आसानी से पहुँच सकते हैं| इस मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गयी थी| अद्भुत और सुन्दर लाल रंग में रंगा ये मंदिर आपके मन को सकारात्मक विचारो और उर्जा से भर देगा|

10. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University)

300 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा की गयी थी| यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है जहाँ लगभग 30,000 छात्र रहते हैं| यह विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बहुत महत्वपूर्ण जगह रखता है|

यह विश्वविद्यालय भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति के साथ साथ आधुनिक उच्च शिक्षा भी उपलब्ध कराना है| इस विश्वविद्यालय कई संकाय, प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय, स्विमिंग पुल और खेल के मैदान उपलब्ध हैं|

यहाँ से आप विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और प्रबंधन से आप अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टोरल जैसे कई विषयों की पढाई कर सकते हैं|

11. नेपाली मंदिर (Nepali Temple)

19वीं सदी में निर्मित इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा ने किया था| यह वाराणसी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है| इस मंदिर में आपको विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की एक उभरती हुई छवि देखने को मिलेगी जहां आकर आपको अत्यंत शांति की प्राप्ति होगी|

हर वर्ष इस मंदिर मर बड़ी संख्या में पर्यटक आते है| इस मंदिर के देखरेख काकाम नेपाली सरकार ही करती है| ललिता घाट पर इस मंदिर की नक्काशी कशी के बाकि शिव मंदिर जैसे नही है बल्कि इसे बनाने में नेपाली लकड़ी का प्रयोग हुआ है| आपको यहाँ के दर्शन करने से वही फल मिलेगा जो काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ के दर्शन से मिलेगा|

12. बटुक भैरव मंदिर (Batuk Bhairav Temple)

ये भव्य मंदिर भगवान बटुक भैरव को समर्पित है जो भगवन शिव के ही एक रूप मने जाते हैं| इस मंदिर की विशेषता यहाँ जलता एक पवित्र अखंड दीप है और ऐसी मान्यता है की यह दीप यहाँ पर सदियों से जल रहा है| वाराणसी में इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है|

बटुक भैरव को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि का देवता माना गया है| भगवन बटुक भैरव की सुन्दर मूर्ति भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है| इस मंदिर में अघोरियों और तांत्रिकों विशेष पूजा करते हैं| मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण इस मंदिर तक पहुँचाना बेहद पहुंचना बेहद आसान है|

13. ज्ञान वापी कुआँ (GyanVapi Kuan)

हिन्दू धर्म में ज्ञान वापी कुएं का अत्यधिक धार्मिक महत्व है| ऐसा माना जाता है की इस कुएं का निर्माण स्वयं देवों के देव महादेव ने अपने त्रिशूल से किया था जिसक जल बेहद पवित्र और मुक्तिदायक माना गया है|ज्ञान वापी का अर्थ है “ज्ञान का कुआँ” |

मुस्लिम आक्रान्ताओं से विश्वनाथ के पवित्र शिवलिंग को बचाने के लिए यहाँ के पुजारी ने शिवलिंग को इसी कुएं में फेक दिया और उस पुजारी ने भी इसी कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी इसलिए इस कुएं का धार्मिक महत्त्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है| इस कुएं का पानी गंगा के पानी की तरह ही पवित्र माना गया है इसलिए श्रद्धालु इस कुएं के जल को भरके साथ ले जाते हैं|

14. भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple)

यह मंदिर भारत माता को समर्पित है| ये एक अनोखा मंदिर है जिसमे किसी देवी देवता की मूर्ति नही है बल्कि भारत का उभरा हुआ नक्शा है जो भारत के भौगोलिक स्वरूप को दर्शाता है|

महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिव प्रसाद गुप्ता द्वारा निर्मित इस मंदिर का उद्घाटन 1936 में महात्मा गांधी ने किया था और तभी से यह मंदिर दुनिया में किसी देश को समर्पित एकमात्र विशिष्ट मंदिर है| यह मंदिर वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित है|

यह नक्शा न केवल भारत के भौगोलिक स्वरूप को दिखाता है बल्कि यह भारत की विविधता और एकता को भी दिखाता है| इस मंदिर का निर्माण भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय हुआ था जिसका उद्देश्य देश के प्रति सम्मान और देशभक्ति की भावना को दिखाता है|




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