कच्छ मे घूमने के लिए 12+ जगहें (Top 12+ Places to Visit in Kutch)

Places To Visit In Kutch: किसी भी शहर की सांस्कृतिक धरोहर किस शैली की हैं ये इस बात पर निर्भर करता है की उस शहर मे किसका शासन था| कच्छ एक ऐसी जगह है जहां पर सिंध के राजपूत, मुग़ल और फिर अंग्रेज सभी ने शासन किया इसलिए आपको यहाँ अलग अलग राजाओ द्वारा निर्मित इमारते दिखेंगी|

कच्छ मे आपको रेत के टीलें, पहाड़ियों, ऐतिहासिक स्थलों, वन्यजीव अभयारण्यों रेगिस्तान और पुरातात्विक स्थलों को देखने का मौका मिलेगा| कछ आपको एक अद्भुत अनुभव प्रदान करेगा जिसे आप जीवन पर्यंत नहीं  भूल पाएंगे|

कच्छ कैसे पहुंचे (How to reach Kutch)

वायुमार्ग (By Air)

कच्छ का नजदीकी हवाई अड्डा भुज का हवाई अड्डा है जिसका नाम श्यामजी कृष्ण वर्मा हवाई अड्डा है| ये हवाई अड्डा कच्छ से मात्र 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| आप भुज हवाई अड्डे से बाहर आकर कैब या बस लेकर कच्छ पहुँच सकते हैं|

सड़क मार्ग (By Road)

अगर आप सड़क मार्ग से कच्छ पहुंचना चाहते हैं तो आपको आस पास के शहरों से सीधी और आरामदायक लक्जरी बस मिल जाएगी| बस से उतरकर आउटों या कैब लेकर आप अपने होटल को निकाल सकते हैं|

रेल मार्ग (By Train)

कच्छ का नजदीकी रेलवे स्टेशन भुज का रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी बड़े शहरों से कनेक्टेड है| यहाँ से कच्छ की दूरी महज 70 किलोमीटर है| भुज रेलवे स्टेशन के बाहर से आप कैब या बस लेकर कच्छ पहुँच सकते हैं| अगर आप भुज के लिए टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

आइए जानते हैं कच्छ मे सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगहों के बारे मे.

Top 12 Places to Visit in Kutch for an Unforgettable Experience

1. कच्छ का महान रण (Rann of Kutch)

कच्छ का रण एक विशाल रेगिस्तान है जो नमक के दलदल से बना है| हिंदी में “रण” शब्द का अर्थ रेगिस्तान से है और कच्छ का रण दुनिया मे सबसे बड़े नमक के रेगिस्तानों मे से एक है| इस खूबसूरत रेगिस्तान मे कई हिन्दी और दक्षिण भारत की फिल्मे जैसे रिफ्यूजी, मगधीरा, गोलियों की रासलीला राम लीला और सराइनोडु आदि की शूटिंग हुई है| इस अद्भुत रेगिस्तान से सूर्यास्त का नजारा आपके जीवन का कभी ना भूलने वाला अनुभव होगा|

यह रेगिस्तान नवंबर से फरवरी तक देखने के लिए एक बेहद शानदार और आकर्षक जगह है| यह नमक का रेगिस्तान चाँदनी रात मे और भी ज्यादा सुंदर लगता है| यहाँ एक वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव रण उत्सव मनाया जाता है जो नवंबर से फरवरी तक चलता है जहां पर कच्छ की संस्कृति, लोक कला और पारंपरिक हस्तशिल्प क प्रदर्शन होता है|

कच्छ के नजदीक स्थित धोर्डो गाँव रण उत्सव का केंद्र है जहां पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं| कच्छ की सबसे ऊंची चोटी कालो डूंगर जहां से आप कच्छ और भारत पाकिस्तान सीमा रेखा को भी देख सकते हैं| कच्छ की यात्रा आपको अविस्मरणीय अनुभव देगी जहां पर आप प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर दोनों का अद्भुत मिश्रण देख पाएंगे|

2. मांडवी बीच (Mandvi Beach)

मांडवी बीच कच्छ जिले के भुज शहर के पास स्थित एक खूबसूरत बीच है| यह एक सफेद रेत और साफ पानी वाला बीच है जो छुट्टियाँ बिताने के लिए एक लोकप्रिय स्थल है| यहाँ पर आप बहुत सारी स्पोर्ट्स ऐक्टिविटीज भी कर सकते हैं| ये बीच डूबते सूरज और पक्षियों को देखने के लिए मशहूर है| इस शांत और सुरम्य बीच पर आप ऊंट की सवारी भी कर सकते हैं|

इस बीच को घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है| इस बीच पर आप ताजे समुद्री भोजन का भी आनंद ले सकते हैं| मांडवी बीच के पास आप विजय विलास पैलेस, शिपबिल्डिंग यार्ड, हवा महल और मांडवी बाजार आप घूम सकते हैं|

इस समुद्र तट के पास कई रेसॉर्टस आपको ठहरने के लिए मिल जाएंगे| यह बीच कच्छ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है जहां पर आप शांति से अपने परिवार के साथ कुछ समय बिता सकते हैं|

3. आइना महल (Aaina Mahal)

यह भुज की एक अद्भुत धरोहर है जो पूरी तरह कांच और शीशे से बनी हुई है इसलिए इसे “शीशे का महल” भी कहा जाता है| यह महल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है जिसका निर्माण 18वीं सदी में महाराव लाखा द्वारा करवाया गया था जिसको राम सिंह मलम ने डिजाइन किया था|

राम सिंह मलम ने 17 साल तक यूरोप मे ट्रेनिंग ली और उन्होंने अपने अनुभव का उपयोग इस बेहतरीन महल को बनाने मे किया इसलिए इस महल मे आपको भारतीय और यूरोपीय शैलियों का अनूठा संगम देखने को मिलेगा| महल के अंदर एक छोटा स जलाशय भी है|

साल 2001 मे आए भूकंप के कारण इस महल को बहुत नुकसान पहुँचा था लेकिन फिर से इसका जीर्णोद्धार करके दोबारा इसे आम जनता के लिये खोल दिया गया था| आइना महल हमीरसर झील के नजदीक स्थित है|

4. हमीरसर झील (Harmirsar Lake)

भुज शहर के बीचों बीच स्थित ये झील एक ऐतिहासिक झील है जो प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है|  भुज एक गरम और शुष्क शहर है जिसके बीच मे ये झील एक नखलिस्तान माना जाता है। इस झील मे सुरंगों के द्वारा तीन नदियों से पानी लाया जाता था|  2001 मे भूकंप के कारण ये सिस्टम नष्ट हो गया था जिसे 2003 मे फिर से इसका जीर्णोद्धार किया गया है|

इसका पानी पीने योग्य होता है जिसका इस्तेमाल भुज की आम जनता करती है| इस झील का नाम एक एक जडेजा शासक राव हमीर के नाम पर रखा गया था| यह झील भुज की एक अद्भुत और शाही धरोहर है| इस झील का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था जिसका लक्ष्य शहर मे जल की सप्लाई करना और और भुज की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाना था|

यह झील चारों ओर से हरे भरे उद्यानों से घिरी हुई है जो एक पिकनिक मनाने के लिए भी लोकप्रिय है| इस झील से आप सूर्यास्त का अद्भुत नजारा भी देख सकते हैं| इस झील के पास आप आइना महल, प्राग महल, और कच्छ संग्रहालय घूम सकते हैं| फोटोग्राफी करने के लिए भी ये झील एक उत्तम जगह है|

5. प्राग महल (Prag Mahal)

अपनी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाने वाले इस महल निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराजा प्रागमलजी ने करवाया था जिसका निर्माण कार्य 1865 मे चालू किया गया था|  यह खूबसूरत इमारत शहर के केंद्र और आईना महल के नजदीक स्थित है| इस इमारत तक पहुंचना बेहद आसान है|

इस महल मे देश का दूसरा सबसे ऊंचा घंटाघर है और इस महल के एक भाग को संग्रहालय मे बदल दिया गया है जहां पर आपको शाही परिवार का इतिहास देखने को मिलेंगा| इस महल का ज्यादातर हिस्सा खूबसूरत लाल बलुआ से बना है| इस महल मे कई हिन्दी फिल्मों जैसे “हम दिल दे चुके सनम” और “लगान” के अलावा कई गुजराती फिल्मों को भी शूट किया गया है|

इस महल को इटली के प्रसिद्ध वास्तुकार कर्नल हेनरी सेंट विल्किंस ने डिजाइन किया था| 

इनके बारे में भी जाने:

6. माता नो मढ (Mata no Madh)

ये एक बेहद प्राचीन मंदिर है जो लगभग 1200 साल पुराना है| ये मंदिर जडेजा समुदाय की कुलदेवी माता आशपुरा को समर्पित है| ये आलोकिक मंदिर भुज शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यह मंदिर भूकंप के कारण 2 बार ध्वस्त हो चुका है जिसे फिर से भव्य रूप दिया जा चुका है| इस मंदिर मे दिवाली, नवरात्री समेत सभी हिन्दू त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं|

माँ आशापुरा को कच्छ के शासकों और आम लोगों द्वारा बहुत श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। ये मंदिर पारंपरिक कच्छी शैली मे बना हुआ है| मंदिर मे भव्य माता की मूर्ति लाल कपड़े और सोने के आभूषणों से सुशोभित है| इस मंदिर मे नियमित तौर पर लंगर और भंडारे का आयोजन होता है|

मंदिर के पास कुछ धर्मशालाएँ और छोटे होटल उपलब्ध हैं जहां पर आप ठहर सकते हैं| इस पवित्र मंदिर के आस पास लखपत किला, नारायण सरोवर और कच्छ का रेगिस्तान भी है जिसे आप लोग देख सकते हैं| यह भुज की एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है जिस आपको कच्छ यात्रा के दौरान जरूर घूमना चाहिए|

7. कच्छ मरुस्थल वन्यजीव अभयारण्य (Kutch Desert Wildlife Sanctuary)

ये भारत का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है जो लगभग 7505 वर्ग किमी  मे फैला हुआ है|  यह रेगीस्तानी अभयारण्य अपने विविध वन्यजीवन और समृद्ध जैव विविधता के लिए दुनियाभर मे मशहूर है| यह अभयारण्य कच्छ के प्रसिद्ध ग्रेट रन ऑफ कच्छ के अंदर स्थापित है जो प्रवासी पक्षियों को एक विशेष स्थान देता है| 

यह अभयारण्य कई प्रकार के वन्यजीवों का घर है जिनमें मुख्य रूप से नीलगाय, खरगोश, चिंकारा, लोमड़ी, रेगिस्तानी बिल्ली और भेड़िया जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। ये अभयारण्य फ्लेमिंगो, सारस क्रेन, बत्तख, और गिध जैसे कई प्रवासी पक्षीयों का भी घर है|

इस अभयारण्य मे एक फ्लेमिंगो सिटी समृद्ध है जहां पर फ्लेमिंगो प्रजनन के लिए आते हैं| इस अभयारण्य मे घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों मे नवंबर से फरवरी के बीच होता है|

8. विजय विलास पैलेस (Vijay Villas Palace)

सुंदर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस महल का निर्माण 1929 मे कच्छ के महाराव विजय सिंह जी ने किया था जो एक अद्भुत राजपूताना वास्तुकला का प्रतीक है| इस महल का उपयोग महाराज लोग छुट्टियाँ  बिताने के लिए करते थे| आज के समय इस महल को एक शानदार होटल मे तब्दील किया जा चुका है जहां पर्यटक शाही जीवन का अनुभव ले सकते हैं|

ये आलोकिक महल चारों तरफ से हरे भरे उद्यानों से घिरा हुआ है जिसमे खूबसूरत फव्वारे और जलाशय भी बने हुए हैं| इस पैलेस की वास्तुकला राजपूत शैली की है| इस महल के आस पास का वातावरण इसकी सुंदरता मे चार चाँद लगा देता है| इस महल का खुद का अपना एक समुद्र तट है जहां से आप सुंदर समुद्र को निहार सकते हैं|

इस महल मे कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है| इस महल के आस पास आप मांडवी के समुद्र तट, मांडवी किला और नारायण सरोवर भी घूम सकते हैं|

9. कच्छ संग्रहालय (Kutch Museum)

यह गुजरात राज्य का सबसे पुराना संग्रहालय है जिसकी  1 जुलाई 1877 को महारा राव ख़ेंगारजी ने की थी|  पहले इसे “फ़र्ग्यूसन संग्रहालय”नाम से जाना जाता था लेकिन बाद मे इसका नाम बदलकर कच्छ संग्रहालय कर दिया गया| इस संग्रहालय मे प्राचीन सिक्कों का संग्रह है|

संग्रहालय में सबसे प्रमुख सिक्का कौरवी मुद्रा है जो भारत में पाई जाने वाली सबसे पुरानी मुद्राओं में से एक है। इस संग्रहालय में कच्छ के महाराजाओं के हथियार, वेशभूषा और अन्य उपयोग की जाने वाली वस्तुओं को दिखाया गया है| यह संग्रहालय हमीरसर झील के पास स्थित है| इस संग्रहालय मे फोटोग्राफी करने की अनुमति नहीं है|

10. काला डूंगर (Kalo Dungar)

इसे ब्लैक हिल के नाम से भी जाना जाता है जो कच्छ का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई लगभग 462 मीटर है| इस शिखर से आप कच्छ के रण का विहंगम दृश्य देख सकते हैं| इस शिखर पर एक 400 साल पुराना मंदिर है जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है| यहाँ से आप भारत-पाकिस्तान सीमा रेखा को भी देख सकते हैं|

इस चोटी से आप सूर्यास्त का मनोरम दृश्य देख सकते हैं| यहाँ आने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच का है| पाकिस्तान की सीमा नजदीक होने के कारण ये जगह भारतीय सेना के अधिकार क्षेत्र मे है और यहाँ फोटोग्राफी करना वर्जित है|

ये जगह भुज से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| काला डूंगर ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी एक रोमांच से भरी जगह है| काला डूंगर पहाड़ी पर एक जगह ऐसी जहां पर वाहन गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध चलते हैं|

11. अंजार (Anjar)

यह कच्छ जिले मे स्थित सबसे पुराना शहर है जिसका इतिहास 1400 सालों से ज्यादा पुराना है| ये शहर अपने स्वादिष्ट खाने के लिए मशहूर है खासकर घेर और दाबेली के लिए| यह पुराना शहर व्यापारिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा है| इस शहर मे आपको कई प्राचीन मंदिर जैसे माधवराय मंदिर, मोहनराय मंदिर और अंबा माता का मंदिर देखने को मिलेंगे| अतीत मे ये शहर कई बड़े भूकम्पों का भी गवाह रहा है|

12. स्वामिनारायण मंदिर (Swaminarayan Temple)

अपनी अद्भुत वास्तुकला, धार्मिक गतिविधियों और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाने वाला ये मंदिर भगवान स्वामिनारायण को समर्पित है| इस मंदिर की स्थापना 1822 में स्वयं भगवान स्वामिनारायण द्वारा की गई थी|

2001 के भूकंप ने इसको बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाई थी लेकिन बाद मे इसका जीर्णोद्धार करके 2010 मे पुनः भक्तों के लिए खोल दिया गया| यह पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है| मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है| इस मंदिर मे एक स्मारक भी है जो 2001 के भूकंप से जान गवाने वालों को समर्पित है| 

13. खांभलिडा गुफाएँ (Khambhalida Buddhist Caves)

यह एक प्राचीन और ऐतिहासिक गुफ़ाएं है जो बौद्ध धर्म के प्रभाव को दर्शाती हैं|  ऐसा माना जाता है की इन गुफाओं का निर्माण लगभग 4वीं से 5वीं शताब्दी के दौरान हुआ था| ये गुफ़ाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं जहां कुल 3 गुफ़ाएं है जिसमे एक मुख्य गुफा के अंदर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है|

ये गुफाएँ शांत और प्राकृतिक वातावरण में स्थित हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं| इन गुफाओं के घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है ताकि आप उगते सूरज के साथ साथ प्राकृतिक सौन्दर्य का दृश्य भी देख सकें|


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