शहडोल मे घूमने के लिए 12 जगहें (Top 12 Places to Visit in Shahdol)

Places to Visit in Shahdol: ये मध्य प्रदेश की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत है| शहडोल अपने प्राकृतिक संसाधन के लिए मशहूर है| यहाँ पर मीथेन गैस का भंडार है| ये एक आदिवासी बहुल जिला है| ये शहर अपने सबसे बड़े और प्रसिद्ध बाणगंगा के मेले के लिए भी जाना जाता है जो 5 दिन तक चलता है|

इस मेले का इतिहास 125 साल पुराना है| इस मेले की शरुआत संक्रांति के दिन होती है| यह पूरे मध्य प्रदेश एक ऐसा जिला है जहां पर यूरेनियम भी पाया जाता है| शहडोल का वास्तविक नाम सहस्त्रडोल था जिसका हिन्दी मे अर्थ होता है “हजार तालाब”|

शहडोल कैसे पहुंचे (How to reach Shahdol)

वायुमार्ग (By Air)

शहडोल शहर का नजदीकी हवाई अड्डा रीवा एयरपोर्ट है जो 2025 मे चालू होगा| फिलहाल के लिए आपको 195 किलोमीटर दूर स्थित डुमना एयरपोर्ट जबलपुर उतरना होगा| जबलपुर से आप बस, कैब या ट्रेन पकड़कर शहडोल पहुँच सकते हैं|

सड़क मार्ग (By Road)

शहडोल शहर सड़क मार्ग से अपने आस पास के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप आस पास के के किसी भी गाँव या शहर से सीधी और आरामदायक बस लेकर शहडोल शहर पहुँच सकते हैं|

रेल मार्ग (By Train)

शहडोल शहर का अपना खुद का विकसित रेलवे स्टेशन है लेकिन इस रूट मे कम ट्रेन चलने के कारण इसकी कनेक्टिविटी सही नहीं है| इसलिए अगर आपको शहडोल के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिल रही है तो आप कटनी जंक्शन मे उतरकर शहडोल के लिए ट्रेन, बस या कैब ले सकते हैं| अगर आप शहडोल या कटनी के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Top 12 Places to Visit in Shahdol for an Unforgettable Experience

1. विराट मंदिर (Virat Temple)

46 फीट लंबा, 34 फीट चौड़े और 72 फीट ऊंचा ये मंदिर शहडोल शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसकी स्थापना 11वीं शताब्दी मे कल्चुरीकाल के राजा युवराज देव ने किया था| अद्भुत वास्तुकला और सुंदरता वाला ये मंदिर देवाधिदेव महादेव को समर्पित है| इस मंदिर मे स्थापित शिवलिंग की लंबाई मात्र 8 इंच है|

इस मंदिर की रूपरेखा देखकर आपको खजुराहो की याद आ जाएगी| ये मंदिर शहडोल शहर की अमूल्य धरोहर है| ऐसी मान्यता है की अपने अज्ञातावास के दौरान पांडव यहाँ पर रुके थे और यहाँ पास एक बाणगंगा कुंड भी है जिसको अर्जुन ने अपने बाणों से बनाया था| इस कुंड का पानी बहुत चमत्कारिक माना गया है|

इस कुंड के पानी को मवेशियों को पिलाने से उन्हे खुरपका रोग नहीं होता और इस जल का उपयोग घायल मवेशियों को ठीक करने मे भी किया जाता है| इस मंदिर का निर्माण सप्त रची और वास्तु शिल्पन शैली मे किया गया है| ये मंदिर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाँथों मे हैं| इस मंदिर के पास 125 साल पुराना बाणगंगा मेला भी लगता है|

इनके बारे में भी जाने:

2. बाणसागर बाँध (Bansagar Dam)

बाणसागर बाँध सोन नदी पर बना बाँध है जो की गंगा की एक बड़ी सहायक नदी है जो चारों तरफ से मैकल पहाड़ियों से घिरा हुआ है| ये बाँध मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की एक संयुक्त परियोजना है जिसका काम 1978 मे चालू हुआ और 2006 मे इसको देश के लिए समर्पित किया गया|

इस बाँध के जल से मध्य प्रदेश में 2,490 वर्ग किमी, उत्तर प्रदेश में 1,500 वर्ग किमी और बिहार में 940 वर्ग किमी भूमि की सिंचाई होती है| इस बाँध से 425 मेगावाट की बिजली उत्पादन होता है| 18 गेट वाले इस बाँध की कुल क्षमता 341.64 मीटर हैं| यह बाँध शहडोल से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|

इस बाँध का डूब क्षेत्र 58400 हेक्टेयर है जिससे 336 गांव प्रभावित हुए थे| यह बाँध इस एरिया का सबसे बड़ा बाँध है जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं| हालाकी इस जगह को अभी उतना विकसित नहीं किया गया है| बाँध मे आपको मगरमच्छ भी देखने को मिल सकते हैं|

इस बाँध के जल जो 50% मध्य प्रदेश, 25% उत्तर प्रदेश और 25% बिहार को दिया जाता है| बाणसागर बाँध से सूर्यास्त का नजर देखने का अपना अलग ही अनुभव है| चारों तरफ जल, हरे भरे पहाड़ और सामने डूबता सूरज| इस दृश्य को आप बिल्कुल भी मिस न करें|

3.कंकाली देवी मंदिर (Kankali Devi Temple)

माता कंकाली को समर्पित ये एक ऐसा मंदिर है जिसके द्वार की रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं| यह मंदिर पूरी तरह रहस्यों से भरा हुआ है| इस मंदिर का पुराना नाम 64 योगिनी मंदिर था| इस मंदिर का निर्माण 9वीं-10वीं शताब्दी में कलचुरी नरेशों ने करवाया था|

मुख्य शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर मे अफसर, व्यापारी, मंत्री, नेता और अभिनेता जो भी शहडोल आता है वह माता के दर्शन करने जरूर आता है| माता कंकाली की प्रतिमा अद्भुत व अलौकिक है| ऐसी भी मान्यता है की नवरात्री के पाँचवे दिन वनराज भी माता के दर्शन करने को आता है|

इसका कोई सुबूत नहीं है लेकिन नवरात्रि के छटवें दिन वनराज के पैरों के निशान कई बार देखे जा चुके हैं| यहाँ विराजित माता की मूर्ति 18 भुजाओं वाली है| इस मंदिर के आस पास का पूरा इलाका हरे भरे पेड़ों से घिरा हुआ है| इस मंदिर मे आने पर आपको एक सकारात्मक शक्ति का अनुभव होगा|

4. क्षीर सागर (Ksheer Sagar)

क्षीर सागर शहडोल स्थित एक ऐसी जगह जहां पर आप गोवा जैसा आनंद ले सकते हैं| ये मशहूर जगह शहर के केंद्र से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर मुड़ना और सोन नदियों के संगम पर स्थित है| प्रशासन की बेरुखी की वजह से यहाँ पर उतने पर्यटक नहीं आ पा रहें हैं जितना आना चाहिए|

इन नदियों के किनारे पर दूर दूर तक आपको सुंदर सफेद रेत देखने को मिलेगी| ये रेत करीब 50 एकड़ मे फैली हुई है| इस रेत मे आप परिवार के साथ पिकनिक मना सकते हैं और बच्चों के साथ खेल सकते हैं| इस जगह एक मंदिर भी है|

नदियों मे घाट न होने की वजह से पर्यटकों को थोड़ी असुविधा भी होती है| पिछले 10 वर्षों से यहाँ पर भीड़ साल दर बढ़ रही है लेकिन प्रशासन अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है| आपका जब भी शहडोल आगमन हो आप इस पवित्र संगम पर एक बार जरूर जाएं|

5. बाणगंगा मेला (Banganga Mela)

बाणगंगा मेला शहडोल संभाग का सबसे बड़ा मेला है जो संक्रांति से चालू होकर पूरे 5 दिन चलता है| इस मेले को देखने शहडोल संभाग के बाहर से भी लोग आते हैं| इस मेले का इतिहास 125 साल पुराना है जिसकी शुरुआत रीवा राज्य के महाराजा गुलाब सिंह ने 1895 मे की थी|

इस मेले मे आपको पुराने रीति रिवाज, झूले और मिलन समारोह देखने को मिलेंगे| शुरुआत मे ये मेला 3 दिन लगता था बाद मे इसको बढ़ाकर 5 दिन का कर दिया गया| पुराने समय मे इस मेले का प्रचार प्रसार गाँव गाँव जाकर किया जाता था|

इस मेले का उद्देश्य स्नान, दान और पुण्य अर्जित करना था| अगर आप शहडोल संक्रांति के समय आ रहे हैं तो इस विराट और ऐतिहासिक मेले को जरूर देखेँ|

6. पचमठा मंदिर (Panchmatha Temple)

शहडोल शहर से मात्र 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये प्राचीन मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है| अपने अद्भुत नक्काशी और सुंदर शैली के लिए जाने जाना वाला ये मंदिर शिव भक्तों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है|

ऐसी मान्यता है की ये मंदिर 5000 साल पुराना है और इस मंदिर का निर्माण एक ही रात मे हुआ है जिसको पांडवों ने अपने आज्ञातवास के दौरान बनवाया था|

इस मंदिर मे 11 रुद्री शिवलिंग स्थापित थे| इस मंदिर मे परिक्रमा करने के लिए कुल 11 मार्ग थे लेकिन वर्तमान समय मे 2 मार्ग नष्ट हो चुके हैं और केवल 9 मार्ग ही बचे हैं| 17 साल पहले  पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को बंद कर दिया था लेकिन आप बाहरी परिसर से ही इस मंदिर की भव्यता का अनुमान लगा सकते हैं|

अपने समय पर यह एक बेहद भव्य और विशाल मंदिर था लेकिन जिस तरह क्रूर औरंगजेब ने देश के बाकी मंदिरों को तोड़े थीक उसी प्रकार इस पवित्र मंदिर को भी नष्ट कर दिया| मंदिर के आस पास आप खंडित की गईं मूर्तियों को देख सकते हैं|

7. लखबरिया गुफा और मंदिर (Lakhwariya Caves & Temple)

इस गुफा का संबंध महाभारत काल से है| ऐसा माना जाता है की अपने आज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय शहडोल संभाग के बुढ़ार तहसील के लखबरिया गाँव मे बिताया था| यहाँ पर उन्होंने मैकल पर्वतों की तराई पर चट्टानों को काटकर एक ऐसी गुफा को बनाया जिसमे 1 लाख कक्ष थे| 1 लाख कक्ष होने के कारण इस गुफा को लखबरिया गुफा कहा गया|

समय के साथ साथ अब ये गुफ़ा भी जर्जर होने लगी है और मिट्टी से पूरी तरह दब गई हैं| इनमे से 13 गुफ़ाएं अभी भी सुरक्षित हैं| लगभग 300 मीटर लंबी और 200 मीटर चौड़ी गुफाओं को लाल बलुआ पत्थरों से बनी हुई हैं| इन गुफाओं के पास एक कुंड भी है जिससे प्राचीन समय की मूर्तियाँ निकलती रहती है|

ऐसा माना जाता है की महाभारत के अलावा रामायण काल से भी इसका संबंध है और अपने वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण ने भी यहाँ पर कुछ समय बिताया था| गुफाओं के बाहर स्थित एक शिवमंदिर भी है और इसमे स्थापित शिवलिंग हूबहू उज्जैन के महाकाल से मिलता जुलता है|

पुजारी जी ने बताया की यहाँ पर स्थित शिव द्वापर युग का है| अपनी शहडोल यात्रा के दौरान लखबरिया गुफा का दौरा जरूर करें|

8. सरफा डैम (Sarfa Dam)

शहडोल शहर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सरफा बाँध| इस बाँध से शहडोल नगर वासियों की पानी की जरूरतों को पूरा किया जाता है| ये बाँध चारों तरफ से मैकल पर्वतों से हुआ है| मानसून मे जब पानी की आवाक ज़्यादा हो जाती है और इस बाँध का अतिरिक पानी जब झरना बनकर गिरता है तो वो बहुत अद्भुत दृश्य होता है|

आप प्रयास करें की सरफा बाँध मानसून के समय पर ही घूमने आयें| मानसून के समय ही आप इस बाँध का मनोरम दृश्य देख पाएंगे| बाँध के बाहर ही एक खूबसूरत बागीचे का निर्माण किया गया है जहां पर आप अपने परिवार या मित्रजनों के साथ शांति से कुछ समय बिता सकते हैं या फोटोग्राफी भी कर सकते हैं|

सरफा डैम के रास्ते पर आपको एक शिव मंदिर भी देखने को मिलेगा जहां पर आप भगवान के दर्शन करके और कुछ समय विश्राम करके बाँध की ओर जा सकते हैं|

9. छोटी तुम्मी और बड़ी तुम्मी (Chhoti Tummi & Badi Tummi)

छोटी तुम्मी और बड़ी तुम्मी शहडोल का व्यू पॉइंट है जो शह डल से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| तुम्मी पहुँचने का रास्ता बेहद घुमावदार और प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है| रास्ता सुगम होने के कारण तुम्मी तक आप आसानी से बाइक या कार से पहुँच सकते हैं|

तुम्मी पहुंचकर ऊंचाई से आप जंगलों का विहंगम दृश्य देख सकते हैं| स्थानीय लोग यहाँ पर छुट्टियाँ बिताने आते हैं| यहाँ पर आपको हरे भरे घास के मैदान भी देखने को मिलेंगे| अपने शहडोल दौरे के दौरान तुम्मी को घूमे जाने वाली जगहों मे जरूर शामिल करें|

11. सिंहवाहिनी माता का मंदिर (Singhvahini Mata Temple)

सिंहवासिनी माता का मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है जहां पर माता सिंह पर सवार है| सिंहवासिनी माता को कला और बुद्धि की देवी माना गया है| ये पवित्र और प्राचीन मंदिर शहडोल मुख्य शहर से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| इ

स मंदिर की स्थापना कल्चुरीकाल मे नवमी और दशमी शताब्दी मे हुई थी|  इस मंदिर मे आपको हमेशा भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी| नवरात्री के समय यहाँ पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है और पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में अनुष्ठान चलते रहते हैं।

12. कोडार फाल (Kodar Falls)

जोहिला नदी मे बना हुआ कोडार फाल शहडोल शहर का सबसे सुंदर फाल है जो शहडोल मुख्य शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| मुख्य शहर से दूर होने के कारण यहाँ पर भीड़ नाम मात्र की रहती है|  इस झरने का रास्ता बेहद खूबसूरत है जो दोनों तरफ हरे भरे पेड़ों से लदा हुआ है|

इस झरने तक पहुँचने के लिए आपको पहाड़ और घाटीयों को पार करना पड़ेगा| झरने तक पहुँचने का अधिकतम रास्ता सुलभ है| आखिरी का कुछ रास्ता खराब या कच्चा हो सकता है| ये झरना चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है|

आपको झरने के आस पास आपको कई अन्य छोटे झरने भी दिखेंगे| इस झरने को देखकर आपकी पूरी थकान मिट जाएगी| जब भी आप शहडोल आयें इस मंत्रमुग्ध करने वाले झरने को जरूर देखेँ|

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