मंडला मे घूमने के लिए 10+ जगहें (Top 10+ Places to Visit in Mandla)

Places to Visit in Mandla: मंडला जिला मध्य प्रदेश एक ऐसा जिला है जो नदियों, बाघों, पर्वतों और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है| अपने समय मे मंडला ज़िला, गोंड वंश की राजधानी भी रहा है| इस जिले का आजादी की लड़ाई में भी बेहद अहम योगदान था|

यहाँ की रानी अवंती बाई ने आजादी की लड़ाई के लिए आगाज जिया था| यह एक आदिवासी बहुल इलाका है जहां पर आपको 60 प्रतिशत निवासी गौंड़ जनजाति की देखने को मिलेगी| 1500 ईस्वी से पहले मंडला शहर को को महिष्मती नगरी कहते थे|

मंडला कैसे पहुंचे (How to reach Mandla)

वायुमार्ग (By Air)

मंडला शहर का खुद का कोई हवाई अड्डा नहीं है| अगर आप फ्लाइट से मंडला पहुंचना चाहते हैं तो आपको मंडला शहर से 100 किलोमीटर दूर जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे मे उतरना होगा| जबलपुर हवाई अड्डे से बाहर आकर आप बस या कैब लेकर मंडला पहुँच सकते हैं|

सड़क मार्ग (By Road)

मंडला शहर सड़क मार्ग से अपने आस पास के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप आस पास के के किसी भी गाँव या शहर से सीधी और आरामदायक बस लेकर मंडला शहर पहुँच सकते हैं|

रेल मार्ग (By Train)

मंडला शहर का अपना खुद का रेलवे स्टेशन है मंडला फोर्ट नाम से, लेकिन नह ही स्टेशन ज्यादा विकसित है और न ही इस लाइन ज्यादा ट्रेन का चलन है इसलिए आपको मंडला शहर से 90 किलोमीटर दूर जबलपुर रेलवे स्टेशन उतरना होगा| जबलपुर से आप बस, कैब या टैक्सी लेकर मंडला पहुँच सकते हैं| अगर आप जबलपुर के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Top 10+ Places to Visit in Mandla for an Unforgettable Experience

1. कान्हा किसली (Kanha Kisli)

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1 जून 1955 को की गई थी और 1973 में इस उद्यान को कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया| कान्हा उद्यान भारत के बेहतरीन टाइगर उद्यानों मे से एक है जो मंडला और बालाघाट के 940 वर्ग किलोमीटर के एरिया मे फैला हुआ है| बाघों के अलावा यहाँ पर अन्य वन्य जीव भी बहुतायत से पाए जाते हैं|

इस जगह पर हिरण की 43, पक्षियों की 350, तितलियों की 150, सांपों की 26 प्रजातियाँ और पौधों की करीब 850 प्रजातियाँ पाई जाती हैं| इस उद्यान मे आपको 129 बाघ और 146 तेंदुएँ देखने को मिलेंगे| कान्हा किसली घूमने का सही समय अक्टूबर से जून के महीनों के बीच होता है|

इस उद्यान मे आपको जैव विविधता के साथ साथ आपको भौगोलिक विविधता भी देखने को मिलेगी| भारी मात्र मे हरियाली और जंगल होने के कारण कान्हा का तापमान और शहरों के तापमान मे आपको 3 डिग्री का अंतर देखने को मिलेगा| अपने मंडला यात्रा के दौरान कान्हा किसली जरूर आयें|

इनके बारे में भी जाने:

2. सहस्त्रधारा (Sahastradhara)

सहस्त्रधारा ऐसी धारा है जिसका निर्माण पवित्र नर्मदा करती है| ये जगह मुख्य शहर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसका इतिहास रामायण काल से संबंधित है| ऐसा माना जाता है की महाप्रतापी राजा सहस्त्रबाहु जिसकी 1000 भुजायें थी उसने अपनी भुजाओं से माता नर्मदा की प्रचंड धार को रोकने का प्रयास किया|

माता नर्मदा ने अपनी धारा को कई अन्य धाराओं मे विभाजित कर दिया और सहस्त्रबाहु माता नर्मदा का वेग रोकने मे असफल रहा| इस जगह पर आपको 2 प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे एक देवाधिदेव महादेव को समर्पित है जबकि दूसरा सहस्त्रबाहु को|

इस जगह पर नर्मदा मैग्नीशियम, चूना पत्थर और बेसाल्ट चट्टानों के ऊपर से कल कल करती हुई बहती है| वर्तमान समय मे बरगी बाँध बन जाने के कारण यहाँ की धाराओं मे गिरावट आई है| अगर आप इस जगह का पूरा आनंद लेना चाहते हैं तो आपको मानसून के समय आना पड़ेगा|

3. रामनगर किला (Ramnagar Fort)

350 साल पुराने इस भव्य किले का निर्माण नर्मदा किनारे 1651 से 1667 के बीच गोंड राजा ह्रदय शाह ने करवाया था| यह किला मंडला से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यह किला अब यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर में शामिल हो चुका है| ऐसा माना जाता है की सतपुड़ा मे ऊंचाई पर स्थित इस किले का निर्माण केवल ढाई दिन मे हुआ था|

राजा ह्रदय शाह तंत्र विद्या मे माहिर थे और इस किले को बनवाने के लिए उन्होंने तंत्र विद्या का इस्तेमाल किया| किले की ऊंचाई से आप माँ नर्मदा और आस पास की हरियाली के विहंगम दृश्य को देख सकते हैं| यह किला आज भी पूरी तरह सुरक्षित है जिसके अंदर आपको मोती महल, राय भगत की कोठी, बेगम महल और विष्णु मंदिर देखने को मिलेंगे|

इस सभी प्राचीन इमारतों को पुरातत्व विभाग बचाने का पूरा प्रयास कर रहा है| आपका जब भी मंडला आगमन हो इस किले को घूमे जाने वाली जगहों की सूची मे जरूर शामिल करें|

4. नर्मदा घाट (Narmada Ghat)

मंडला शहर मे प्रवाहित माँ नर्मदा मे आपको एक से बढ़कर एक घाट देखने को मिलेंगे जहां पर जाने से आपको एक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा|

मंडला शहर मे नर्मदा के मुख्यतः 16 घाट हैं जिनमे रपटा घाट, रंगरेज घाट, नाव घाट, किला घाट, हनुमान घाट, नाना घाट, सिंगवाहिनी घाट, जेल घाट, कलेक्ट्रेट घाट, न्याय घाट, चक्र-तीर्थ घाट, मुक्ति धाम घाट, दादा-धनीराम महाराजपुर घाट, संगम घाट और बाबा घाट हैं|

लेकिन इनमे से केवल रंगरेज, रपटा, नाव, नाना और संगम घाट ही पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है| अगर आपके पास समय की कमी है तो आप नर्मदा के इन 5 खूबसूरत घाटों का भ्रमण कर सकते हैं| सभी प्रकार के त्यौहार और किसी भी धार्मिक अवसरों के कार्यक्रमों का आयोजन मुख्यतः इन्ही घाटों पर आयोजित किए जाते हैं|

5. गरम पानी कुंड (Garam Pani Kund)

ये गरम पानी का कुंड मंडला शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| 70 फीट गहरे इस कुंड म संबंध रामायण काल से है| ऐसा माना जाता है की की भगवान विष्णु के अवतार परशुराम ने यहाँ पर तपस्या की थी| इस कुंड का तापमान हमेशा ज्यादा रहता है| ये कुंड नर्मदा नदी और बरगी बाँध के किनारे ही स्थित है|

इस कुंड को विकसित कर दिया गया है| यहा तक पहुँचने के लिए आपको अच्छी रोड मिल जाएगी और आप यहाँ तक आप ऑटो, टैक्सी या कैब लेकर पहुँच सकते हैं| इस कुंड के नीचे बैसाल्ट की चट्टानें पाई जाती हैं जिसमे सल्फर की मात्र रहती है इसलिए इस कुंड मे नहाने से त्वचा संबंधी रोग ठीक होते हैं|

ये कुंड मंडला जबलपुर हाइवे किनारे स्थापित है| सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए 5 फीट तक इसमे लोहे की रोड की जाली लगाई गई है| इस कुंड मे स्नान करने दूर दूर से लोग आते हैं| यह जगह पिकनिक मनाने के लिए मशहूर हो चुकी है|

6. मंडला का किला (Mandla Fort)

300 साल पुराने इस विशाल किले का निर्माण मंडला मे नर्मदा और बंजर नदी के संगम के किनारे हुआ था| इस किले का निर्माण गोंड राजा नरेन्द्र शाह ने 1691 से 1731 के बीच करवाया था| ये किला मंडला शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर बनाया गया था| इस किले को पूरी तरह अभेद्य बनाया गया था|

3 तरफ से नर्मदा इस किले की सुरक्षा करती है और एक तरफ गहरी पानी की खाई बनाई गई थी और इस खाई में खतरनाक मगरमच्छों और साँपों को रखा गया था| वर्तमान मे ये खाई नाले मे तब्दील हो चुकी है और इस किले के आस पास का इलाके अतिक्रमण कर लिया गया है|

इस किले का अधिकतम हिस्सा खत्म हो चुका है| मंडला का किला गोंड बस्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस किले के अंदर आपको कई आकर्षक संरचनाएं जैसे महल और मंदिर देखने को मिलेंगी| इस किले से आप आस पास के और नर्मदा के सुंदर दृश्यों को देख सकते हैं|

7. सूरजकुंड का हनुमान जी का मंदिर (Surajkund Hanuman Temple)

मंडला से 4 किलोंमीटर की दूरी और नर्मदा किनारे स्थित है पुरवा गाँव और इसी गाँव मे स्थित है एक कुंड जिसे सूरह कुंड कहते हैं| कहानी कुछ इस प्रकार से है की एक बार भगवान सूर्य ने इस जगह पर तपस्या करना चाहा लेकिन तपस्या मे कोई विघ्न न हो इसलिए उन्होंने हनुमान जी को आदेश दिया की वो उस क्षेत्र की पहरेदारी करें|

भगवान सूर्य ने तपस्या के बाद यहाँ पर स्थित कुंड मे यज्ञ किया| इस कुंड मे सूर्य भगवान के यज्ञ करने के कारण इसे सूर्य कुंड कहा गया| जब भगवान सूर्य तपस्या पूरी करके यहाँ से जाने लगे तो उन्होंने हनुमान जी को यही पर रुकने के लिए बोला जिसके बाद बजरंगबली मूर्ति रूप मे यहीं पर विराजमान हो गए|

यहाँ पर स्थापित बजरंगबली की मूर्ति तीन बार अपने रूप को बदलती है| सुबह 4 बजे से 12 बजे तक बाल रूप, 12 बजे से शाम 6 बजे तक युवा और 6 बजे से पूरी रात भगववन वृद्ध रूप मे रहते हैं| यह पूरे दुनिया की एक ऐसी मूर्ति है जो साक्षात चमत्कार दिखती है| मंदिर के ऊपर ही भगवान सूर्य अपने रथ के साथ विराजमान हैं|

ये पूरा मंदिर परिसर पवित्र नर्मदा के किनारे स्थित है| 1926 मे बाढ़ की वजह से यहाँ पर स्थित कुंड नीचे दब गया था जो बहुत ढूँढने के बाद भी नहीं मिला| ये मंदिर हनुमान भक्तों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है|

8. सीता रपटन (Sita Raptan)

मंडला शहर से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस गाँव का संबंध रामायण काल से है| ये मंडला शहर की एक धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर है और ऐसा माना जाता है की भगवान राम के पुत्र लव और कुश का जन्म इसी गाँव मे हुआ था और इसी जगह के बगल मे महर्षि बाल्मीकि का आश्रम भी है| महर्षि बाल्मीकि ने इसी जगह पर रामायण लिखी है|

सीता और रपटन इन दो शब्दों से मिलकर सीता रपटन शब्द बना है जिसमे रपटन शब्द का अर्थ “फिसलने” से है| ऐसा माना है की माता सीता सुरपन नदी से पानी लेकर बाल्मीकि आश्रम की ओर जा रही थीं तब वो यहाँ पर एक चट्टान मे फिसलकर गिर गईं| लव कुश जन्मस्थली के पास कुछ आलोकिक चट्टानें हैं जिन्हे पीटने से ढोलक जैसे मधुर आवाज आती है|

यहाँ पर एक अनाम का पेड़ है जिसका नाम आजतक पता नहीं चल सका है| इस पेड़ का नाम जानने के लिए बड़े बड़े वनस्पतियों के एक्स्पर्ट्स ने बहुत प्रयास किया लेकिन किसी को भी सफलता हाँथ नहीं लगी| लोगों का मनाना है की इसी अनाम पेड़ के नीचे ही महर्षि बाल्मीकि ने रामायण  लिखी थी|

वर्तमान समय मे यह जगह प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है क्यूँ की इस जगह को विकसित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध नजर नहीं आ रही है| 

9. जोगन झुरी जल प्रपात (Jogan Jhuri Falls)

जोगन झुरी जल प्रपात मंडला शहर से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राकृतिक झरना है जो मंडला जबलपुर के रास्ते मे पड़ता है| 15 फुट की ऊंचाई से गिरता ये झरना अत्यंत मनमोहक लगता है| ये एक प्राकृतिक झरना है जो पहाड़ी नाले की वजह से निर्मित होता है|

गर्मी के समय ये झरना पूरी तरह सूख जाता है| इस झरने का पूरा आनंद लेने के लिए आपको इसको देखने मानसून मे आना होगा जब ये अपने पूरे उफान पर होता है| इस झरने के पास हर वर्ष संक्रांति का मेला भी लगता है|

इस जगह की जानकारी ज्यादा लोगों को न होने के कारण यहाँ पर भीड़ बहुत कम रहती है| यहाँ तक पहुँचने का रास्ता भी अच्छा नहीं है| यहाँ पर आप परिवार के साथ पिकनिक मना सकते हैं और फोटोग्राफी भी कर सकते हैं|

10. अजगर दादर (Ajgar Dadar)

अगर आप 1000-2000 अजगरों को एक साथ देखना चाहते हैं तो आपको मंडला शहर से 30 किलोमीटर दूर अंजनिया वन क्षेत्र के ग्राम ककैया मे आना पड़ेगा| कहानी कुछ इस प्रकार है की 1926 की बाढ़ मे यहाँ पर बहुत बड़े क्षेत्र मे खोखलापन आ गया था और उस खोखले मे कई सारे छोटे जीव जैसे खरगोश, गिलहरी और चूहों ने अपना ठिकाना बना लिया था|

आस पास के अजगर भूँखे होने पर भोजन की तलाश मे इस जगह आने लगे और भोजन की मात्र पर्याप्त मिलने के कारण धीरे धीरे ज्यादा संख्या मे अजगरों ने यहाँ पर अपना निवास बना लिया| इस जगह पर इतनी ज़्यादा संख्या मे अजगर पाए जाने केर कारण इस जगह को अजगर दादर कहा गया|

ये पूरी खाई 40 फीट गहरी है और इस जगह पर डोलोमाइट की करीब 30 गुफाएं हैं| इस पूरे 2 एकड़ मे फैले क्षेत्र को अब संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है| अगर आप ज्यादा से ज्यादा अजगरों को एक साथ देखना चाहते हैं तो प्रयास करें की आप यहाँ पर ठंड के दिनों मे आयें क्यूँ की ठंड के दिनों मे अजगर अपने बिलों से बाहर निकलकर धूप लेने आते हैं|

11. काला पहाड़ (Kala Pahad)

मंडला से 20 और रामनगर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काला पहाड़ पर्यटकों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र है जो लगभग 3 किलोमीटर के क्षेत्र मे फैला हुआ है| ये एक काली भूरी चट्टानों का पहाड़ है| ऐसा माना जाता है की गोंड राजा हृदय शाह ने रामनगर किला और अन्य इमारतों का निर्माण इसी पत्थर से किया था|

ये सभी इमारतें बनाने के बाद बचें हुए पत्थरों को कुछ दूरी पर एक साथ रख दिया गया और ज्यादा पत्थर इकट्ठा हो जाने की वजह से ये एक पहाड़ की तरह दिखाई देने लगा इसलिए इसे काला पहाड़ कहा गया| ये बहुत मशहूर जगह है स्थानीय लोग सर्दी के दिनों मे यहाँ ऊंचाइ पर धूप लेने आते हैं|

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