रामपायली मंदिर बालाघाट (Rampayli Temple Balaghat)- जहां सूर्य की पहली किरण भगवान के पवित्र चरणों पर पड़ती है

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Rampayli Temple Balaghat: ये एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है जो बालाघाट शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर रामपायली नामक जगह पर स्थित है| ये मंदिर भगवान बालाजी को समर्पित है| ऐसा माना जाता है की अपने वनवास के दौरान मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ इस जगह पर रुके थे|

इस मंदिर मे भगवान राम की मूर्ति को वनवासी का रूप दिया गया है| इस मंदिर मे भगवान राम की मूर्ति की वास्तुकला कुछ ऐसी है की सूर्य की पहली किरण भगवान के पवित्र चरणों पर पड़ती है| इस जगह पर मंदिर का निर्माण 600 वर्ष पूर्व भोंसले राजाओं के द्वारा किया गया था|

रामपायली का पुराना नाम रामपदावली है क्यूँ की इस जगह पर भगवान के पवित्र चरण पड़े थे| रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) मुख्य शहर बालाघाट से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|

इतिहास (History)

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) का इतिहास सदियों पुराना है| ऐसा माना जाता है की भगवान राम के वनवासी वाली मूर्ति सैकड़ों साल पहले चंदन नदी के अंदर मिली थी| उस समय इस प्राचीन मूर्ति को एक नीम के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया था| इस जगह पर भव्य मंदिर का निर्माण महाराष्ट्र स्थित भंडारा के भोंसले राजाओं ने 600 साल पहले करवाया था|

इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1877 मे  तत्कालीन तहसीलदार स्वर्गीय शिवराज सिंह चौहान के द्वारा किया गया था|

इनके बारे में भी जाने:

मुस्लिम दर्ज़ी (Muslim Tailor)

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) मे विराजित भगवान श्री राम के वस्त्रों को मुस्लिम दर्ज़ी आशिक अली सिलता है| भगवान के कपड़े सिलने का काम सबसे पहले आशिक अली के दादा हबीब शाह ने भगवान के कपड़े 88 साल तक बनाये फिर उनके पुत्र अहमद अली ने ये जिम्मेदारी उठाई और वो 60 सालों तक भगवान के कपड़े सिये|

अब अहमद अली के पुत्र इस आशिक अली इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और वो 35 सालों से भगवान के कपड़े बना रहे हैं जिसका खर्च वो स्वयं उठाते हैं|

लंगड़े हनुमान जी

जिस मंदिर मे मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम का निवास हों वहाँ पर पवनपुत्र हनुमान जी न हो ऐसा हो ही नहीं सकता| हनुमान जी की ये मूर्ति मंदिर परिसर के बाहर ही पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित है जो जमीन से प्रकट हुई थी|

इस मूर्ति की कथा बहुत निराली है| यहाँ स्थित हनुमान जी को लगड़ें हनुमान जी कहते हैं इसकी पीछे की वजह है भगवान का एक पैर का जमीन मे धँसा होना| बजरंगबली का बायाँ पैर नीचे जमीन मे धँसा हुआ है| मूर्ति को एक भी नुकसान पहुंचाए बिना इसे मंदिर मे स्थापित करने के लिए वहाँ पर खुदाई चालू कर दी और लगभग 50 फीट का गड्ढा खोदा गया|

इतना खोंदने के बाद भी भगवान के पैर का अंत नहीं दिख रहा था| तब यह मान लिया गया की भगवान का ये पैर पाताल लोक तक फैला है|| भगवान फिर पुजारी के स्वप्न मे आयें और उन्होंने निर्देश दिया की वो जहां पर स्थापित हैं उनको वहीं पर रहने दिया जाए| तब से आजतक भगवान की पूजा वहीं पास की जा रही है|

बजरंगबली की इस मूर्ति की एक विशेषता और है और वो ये है की ये मूर्ति पूर्व मुखी है| भारत मे स्थित अधिकतर भगवान की मूर्तियाँ दक्षिण मुखी हैं| ये मंदिर राम भक्तों और हनुमान जी के भक्तों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है|

बालू के शिवलिंग

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) मे एक अति सुंदर बालू का शिवलिंग भी स्थापित है जो 1875 से आस्तित्व मे आया| इस शिवलिंग का प्रतिदिन श्रंगार किया जाता है| इस शिवलिंग को जल चढ़ाने दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं| इस मंदिर मे सोमवार और सावन मे भक्तों की बहुत भीड़ रहती है|

सुबह सूर्य की किरने इस शिवलिंग को छूती हुई भगवान श्री राम के पूजनीय चरणों मे गिरती हैं| रामपायली मंदिर मे सठपित सुंदर रेत का शिवलिंग आस पास के शिवभक्तों के लिए बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है|

विराध राक्षस

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) अपने आप मे कई सदियों का इतिहास समेटे हुए है| ऐसी मान्यता है की इस गाँव मे शरभंग ऋषि का आश्रम था| प्रभु राम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान जब चित्रकूट के आगे बढ़ते हैं तो वो रामपायली मे शरभंग ऋषि का आशीर्वाद लेने को इच्छुक होते हैं|

लेकिन भगवान के रामपायली पहुँचने से पहले ही नजदीक के गाँव देवगांव मे उनका सामना विराध राक्षस से होता है और भगवान इसी गाँव मे विराध राक्षस का वध करते हैं|

पर्यटन नगरी

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) का इतिहास और विशेषता को देखते हुए 2023 मे राज्य सरकार ने इस मंदिर के आस पास की जगह को विकसित करने के लिए 20 करोड़ की धनराशि देने का निर्णय लिया है जिसमे उद्यान, सार्वजनिक पार्किंग, सार्वजनिक शौचालय, मुक्तिधाम, संग्रहालय, यात्री वेटिंग रूम और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का बनना प्रस्तावित है|

आध्यात्मिक शांति

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) मे आकर आपको एक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा साथ मे तन और मन मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा| इस मंदिर के चारों ओर फैली शांति और ऊर्जा आपके मन को अद्भुत शांति पहुंचाएगी|

पिकनिक स्पॉट

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) चंदन नदी किनारे स्थापित है| अगर सार्क और प्रशासन इस प्राचीन मंदिर को विकसित करने मे ध्यान दे इस मंदिर का और भी ज्यादा प्रचार प्रसार हो सकता है| लोग नदी किनारे पिकनिक मनाने आएंगे साथ मे भगवान के दर्शन करेंगे|

बालघाट की सीमाएं छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से भी लगती है| पिकनिक स्पॉट और बाकी सुविधायें हो जैन पर आस पास के गाँव और शहरों से ज्यादा से ज्यादा लोग इस जगह छुट्टियाँ मनाने आएंगे जिससे स्थानीय निवासियों को रोजगार भी मिलेगा|

कैसे पहुंचे

रामपायली मंदिर (Rampayli Temple Balaghat) मुख्य शहर बालाघाट से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको बालाघाट आना पड़ेगा| बालाघाट से आप बस या कैब लेकर इस पवित्र जगह पहुँच सकते हैं| अगर आप बालाघाट के लिए बस बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Q1- रामपायली मंदिर किस भगवान को समर्पित है?

A- भगवान राम

Q2- रामपायली मंदिर का निर्माण कब और किस राजा ने करवाया था?

A- 1665 मे मराठा राजा भोसले ने

Q3- रामपायली मंदिर किस नदी के किनारे बना हुआ है?

A- चन्दन नदी

Q4- रामपायली मंदिर परिसर मे स्थित हनुमान जी को किस नाम से जाना जाता है?

A- लंगड़े हनुमान जी

Q5- रामपायली मंदिर बालाघाट शहर से कितनी दूरी पर स्थित है?

A- 30 किलोमीटर

Q6- रामपायली मंदिर का जीर्णोद्धार कब और किसने करवाया था?

1877 मे  तत्कालीन तहसीलदार स्वर्गीय शिवराज सिंह चौहान

Q7- रामपायली मंदिर कितने वर्ष पुराना है?

A- 600 वर्ष

Q8- रामपायली मंदिर मे स्थापित भगवान राम के कपड़े वर्तमान समय मे कौन सिलता है?

A- आशिक अली

Q9- रामपायली मंदिर मे स्थित शिवलिंग किस वस्तु से बना हुआ है?

A- रेत से

Q10- रामपायली का पुराना नाम क्या है?

A- रामपदावली

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