यह दिल्ली स्थित पहला बाद हिन्दू मंदिर है जो 7.5 एकड़ मे फैला हुआ है| कनॉट प्लेस के पश्चिम मे गोल मार्किट के नजदीक स्थित ये मंदिर जगतपालक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है| इस मंदिर का निर्माण कार्य 1933 से चालू हुआ और 1939 तक चला|
इस मंदिर का निर्माण उद्योगपति राजा बलदेव बिड़ला ने कराया था जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था| इस अद्भुत मंदिर की आधारशिला जाट महाराजा उदयभानु सिंह ने राखी थी| इस विशाल और सुंदर मंदिर को बिड़ला मंदिर भी कहते हैं|
इस मंदिर का निर्माण मूल रूप में साल 1622 में वीर सिंह देव ने करवाया था और पृथ्वी सिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1793 में कराया था| इस मंदिर मे एक गीता भवन भी है जिसका उपयोग प्रवचन के लिए किया जाता है|
ये मंदिर भक्तों के लिए सुबह 4:30 से लेकर 1:30 दोपहर तक खुला रहता है और फिर 2:30 से लेकर रात्री के 9 बजे तक खुला रहता है| मंदिर के आसपास घूमने के खास आकर्षणों में इंडिया गेट, जंतर मंतर, राष्ट्रपति भवन, गुरुद्वारा बंगला साहिब, हनुमान मंदिर और कुछ लोकप्रिय होटल और रेस्तरां हैं।
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त्योहारों की धूमधाम
इस मंदिर मे जन्माष्टमी, रामनवमी, नवरात्रि व दीपावली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है| सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित ये मंदिर ऐसा प्रतीत होता है की जैसे मुग़ल शैली मे बना हो लेकिन ये मंदिर प्रसिद्ध नागर शैली मे बना हुआ है| इस मंदिर मे आपको अन्य देवी देवताओं जैसे वेंकटेश्वर, मां सरस्वती, राधा-कृष्ण, भगवान श्री राम, शिव, सूर्य और श्री गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ भी देखने को मिलेंगी|
बिड़ला सीरीज का पहला मंदिर
दिल्ली स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर बिरला सीरीज का सबसे पहला मंदिर है| यह एक तीन मंजिल मंदिर है जिसका निर्माण आचार्य विश्वनाथ शास्त्री की देख रेख मे हुआ है| इस मंदिर मे स्थित मूर्तियों का निर्माण जयपुर से लाए गए विशेष संगमरमर से हुआ था इस संगमरमर से मूर्तियाँ बनाने का काम वाराणसी के लगभग 100 अनुभवी कारीगरों ने किया था|
मूर्तियों की विशेषता
इस मंदिर का डिजाइन और वास्तु श्रीश चंद्र चटर्जी ने तैयार की थी| चटर्जी एक ऐसे इंसान थे जो अपनी विशिष्ट और आधुनिक सोच के लिए जाने जाते थे| इस मंदिर का शिखर 160 फीट ऊंचा है| इस मंदिर की नक्काशी मे आपको 20 वीं सदी की स्वदेशी आंदोलन की झलक भी देखने को मिलेगी| इस मंदिर को बनाने मे विशेष कोटा पत्थर का भी बहुतायत से इस्तेमाल हुआ है जिसे मकराना, आगरा, जैसलमेर और कोटा जैसे विभन्ना शहरों से लाया गया था|
बागीचे और फव्वारे
इस मंदिर मे आपको सुंदर बागीचे, कृत्रिम झरने और कई सुंदर फव्वारे देखने को मिलेंगे| इस मंदिर निर्माण के समापन का यज्ञ स्वामी केशव नंदजी द्वारा किया गया था| इस मंदिर के दीवारों मे आपको वेदों और अन्य पवित्र ग्रंथों से लिए गए श्लोक देखने को मिल जाएंगे| सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर मे जब सूरत अपनी छटा बिखेरता है तो मंदिर की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है|
इस मंदिर मे आपको एक आकर्षक धर्मशाला भी देखने को मिलेगा जिसमे बाहर से आए संतों का निवास रहता है| पुराने समय से हिन्दू धर्म जाती प्रथा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है और कई लोगों को जाति के नाम पर मंदिर के अंदर भी नहीं जाने दिया जाता था इसलिए महात्मा गांधी ने इस शर्त पर मंदिर का उद्घाटन किया की इस मंदिर के द्वार सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए खुले रहेंगे|
फोटोग्राफी की अनुमति
इस अद्भुत मंदिर मे आपको मोबाइल, कैमरा और फोटोग्राफी ये सब ले जाने की अनुमति नहीं है| अगर आप ये सब लेकर गए हैं तो आपको इन्हे लॉकर मे रखने की सुविधा इस मंदिर मे उपलब्ध है| इस मंदिर मे कोई भी एंट्री फीस नहीं है| इस मंदिर के आस पास कई छोटी मोटी दुकाने हैं जहां पर आप भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु से जुड़ी किताबें खरीद सकते हैं और इस दुकानों मे स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स जैसे हल्का फुल्का नाश्ता भी कर सकते हैं|
लक्ष्मी नारायण मंदिर कैसे पहुंचे?