चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर (Chausath Yogini Temple Jabalpur)- सबसे अनोखी मूर्ति के लिए मशहूर

Chausath Yogini Temple Jabalpur: देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती को समर्पित ये मंदिर मुख्य जबलपुर शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर भेड़ाघाट के नजदीक स्थापित है| इस पावित और प्राचीन मंदिर का निर्माण कलचुरी राजवंश के राजा युवराज देव ने 10वीं शताब्दी में किया था। ये एक गोल आकार का मंदिर है|

ये मंदिर 70 फीट के एक ऊंचे पहाड़ मे बना हुआ है जहां तक पहुँचने के लिए आपको 108 सीढ़ियों का चढ़ना पड़ेगा| इस मंदिर मे आपको 64 योगनियों की प्रतिमा देखने को मिलेगी| वर्तमान समय मे इस मंदिर की देखरेख ASI कर रहा है|

चौसठ योगिनी मंदिर का आंतरिक व्यास 116 फीट और बाहरी व्यास 131 फीट का है| इस मंदिर मे आकर आपको एक अद्भुत आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा और तन मन मे सकारात्मक शक्ति का संचार होगा|

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इतिहास

ऐसा माना जाता है की भगवान शिव और माता पार्वती एक बार भ्रमण पर निकले और भ्रमण करते करते भेड़ाघाट के किनारे स्थित एक पर्वत पर पहुंचे| वहाँ पर उन्होंने देखा की सुवर्ण ऋषि तपस्या मे लीन थे|

अपने सामने भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को देखकर ऋषि अत्यंत प्रसन्न हुए| उन्होंने शिव पार्वती से अनुरोध किया की जब तक वो नर्मदा मे स्नान करके वापास न आ जाएं वो ऋषि का वहीं पर इंतजार करें|

ऋषि जब नर्मदा मे स्नान करने गए तो उन्होंने मन ही मन सोचा क्यूँ न भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को इसी पर्वत मे विराजमान कर दिया जाए ताकि भगवान का आशीर्वाद सभी जन को मिल सके| इतना सोचकर ऋषि नर्मदा के जल मे समाधि लेली| उधर ऋषि के इंतजार मे भगवान अपने स्थान मे विराजमान हो गयें|

तत्पश्चात भोलेनाथ ने माँ नर्मदा से अनुरोध किया की वो दायें की अपेक्षा बाएं ओर से बहें ताकि श्रद्धालु को दर्शन सुलभता से प्राप्त हों| नर्मदा के मार्ग बदलने के कारण धुआंधार का निर्माण हुआ|

औरंगजेब का हमला

इस्लामिक आक्रांता औरंगजेब ने ही चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) पर हमला किया था| गर्भगृह के बाहर स्थित सभी मूर्तियों को खंडित करने के बाद जब वो अंदर जाता है तो उन 64 योगिनियों में एक भ्रामरी देवी भी थीं जिन्होंने मधुमख्खी रूप लेकर औरंगजेब की इस्लामी सेना पर हमला कर दिया और औरंगजेब वहाँ से उल्टे पैर मंदिर से वापस भाग गया|

सबसे अनोखी मूर्ति

यहाँ पर स्थित एक ही मूर्ति मे शिव पार्वती के सम्पूर्ण विवाह को उकेरा गया है| जिसमे बारात मे आए बाराती और माता पार्वती के सहयोगियों को भी देखा जा सकता है|

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) मे आपको एक और मूर्ति भी देखने को मिलेगी जिसमे भोलेनाथ माता पार्वती के एक साथ नंदी मे बैठे मिलेंगे| पूरे भारत मे इस तरह की ये एक मात्र प्रतिमा है जिसमे भोलेनाथ और माता पार्वती एक साथ नंदी मे विराजमान हैं| इस मूर्ति के दर्शन करने देश विदेश से भक्तगण आते हैं|

गोलकी मठ

इतिहासकार इस बात की पुष्टि करते हैं की प्राचीन समय मे चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) के पास गोलकी मठ की स्थापना की गई थी जहां पर तंत्र मंत्र की शिक्षा दी जाती थी| विद्यार्थी दूर दूर से इस मठ मे तंत्र मंत्र का ज्ञान लेने यहाँ पर आते थे| मुगलों के आक्रमण के बाद ये संस्थान धीरे धीरे बंद हो गया|

सुरंग

ऐसा माना जाता है की चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) के नीचे एक सुरंग भी है| ये सुरंग इस मंदिर को रानी दुर्गवाती के महल से जोड़ती है| जब कभी भी रानी दुर्गवाती इस मंदिर मे दर्शन के लिए आती थी तो वो इसी सुरंग का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंचती थी|

सूर्यास्त

मंदिर पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित है| इस ऊँचाई से आप सूर्यास्त के सुंदर नजारे भी देख सकते हैं|

प्रतिमाओं के प्रकार

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) मे जितनी भी मूर्तियाँ आपको देखने को मिलेगी सभी को बनाने का समय अलग अलग है| इस मंदिर मे आपको 8वीं शताब्दी से लेकर 1100 ईस्वी तक की.प्रतिमाएं देखने को मिलेगी|

पेड़ों का रहस्य

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) के परिसर मे आपको धतूरे, बेल और अकौआ के पौधे बहुतायत मे देखने को मिलेंगे| इन पौधों को यहाँ पर कोई भी रोपित नहीं करता| फिर भी ये पौधे अपने आप कैसे उग जाते हैं इसका ज्ञान किसी को भी नहीं है| मंदिर परिसर मे उगते ये पौधे काभी सूखते या मुरझाते नहीं हैं|

मंदिर का विकास

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) के चौतरफा विकास के लिए रोड मैप तैयार किया गया है जिसमे की मंदिर तक पहुँचने का सड़क बनाना और रोपवे का बनना भी प्रस्तावित है|

पुराणों मे वर्णन

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) का वर्णन आपको शिव पुराण और नर्मदा पुराण जैसे ग्रंथों मे भी देखने को मिलेगा|

पिकनिक स्थल

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) एक बहुत ही सुंदर पिकनिक स्पॉट है जहां पर आप अपने परिवार जनों और मित्रजनों के साथ आध्यात्मिक साये मे शांति से कुछ समय बिता सकते हैं| इस जगह को घूमने के लिए आप वीकेंड का समय चुन सकते हैं|

कैसे पहुंचे

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple Jabalpur) जबलपुर मुख्य शहर से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| जबलपुर शहर का अपना खुद का रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा है| आप ट्रेन या फ्लाइट लेकर जबलपुर पहुँच सकते हैं| अगर आप जबलपुर के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Q1- चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया था?

A- राजा युवराज देव ने 10वीं शताब्दी में

Q2- चौसठ योगिनी मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है?

A- नर्मदा नदी

Q3- चौसठ योगिनी मंदिर किसको समर्पित है?

A- भगवान शिव और माता पार्वती को

Q4- चौसठ योगिनी मंदिर मे किस मुस्लिम आक्रांता ने हमला किया था?

A- औरंगजेब ने

Q5- चौसठ योगिनी मंदिर का वर्णन किन ग्रंथों मे मिलता है?

A- शिव पुराण और नर्मदा पुराण मे

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