माँ शारदा मंदिर मैहर (Maa Sharda Temple Maihar)- मध्य भारत का श्रृंगेरी मठ

Maa Sharda Temple Maihar: मध्य प्रदेश मे मैहर मे स्थित ये प्राचीन मंदिर माता शारदा को समर्पित है| माता शारदा को सरस्वती का रूप माना जाता है जो अपने भक्तों को  बुद्धि, मन और विवेक प्रदान करती हैं| माँ शारदा मंदिर 600 फीट की ऊंचाई मे विंध्य की पर्वत श्रेणियों के त्रिकूट पर्वत की शिखर मे स्थित है|

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) चारों तर से हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है| इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 1001 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी| सीढ़ियाँ चढ़ने से बचने के लिए आप रोपवे का भी सहारा ले सकते हैं| रोपवे मे आने और जाने का चार्ज 150 रुपये रखा गया है| रोपवे की टिकट आप अनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बुक कर सकते हैं|

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) मंदिर की देखरेख माँ शारदा प्रबंध समिति करती है| त्रिकूट पर्वत के चारों तरफ सड़क का निर्माण किया गया है ताकि वाहन पहाड़ी की चोटी तक आराम से पहुँच सकें| इस मंदिर मे आपको सालभर भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी लेकिन नवरात्रों मे यहाँ पर भीड़ कई गुना बढ़ जाती है| आप गर्भगृह मे 3 फीट की दूरी से मां शारदा के दर्शन करसकते हैं|

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माँ शारदा मंदिर का इतिहास

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) हिन्दुओ के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और 51 शक्तिपीठों मे से एक है| जब जगतपालक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल करके माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किए थे तो मैहर स्थित त्रिकूट पर्वत मे माता सती का हार गिरा था|

यहाँ पर “माई का हार” गिरने की वजह से इस जगह को मैहर कहा गया| एक दूसरी किवंदती के अनुसार आदिशंकराचार्य ने यहां सबसे पहले पूजा अर्चना की थी और यहां पर 559 वि. में मूर्ति स्थापित की थी। इस मंदिर मे आपको माता शारदा के गर्भगृह के बगल मे ही भगवान नरसिंहदेव की 1500 वर्ष पुरानी एक अद्भुत मूर्ति देखने को मिलेगी|

चमत्कारों से भरा मंदिर

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) चमत्कारों से भरा हुआ है| इस मंदिर पर कोई रोज सुबह 4 बजे पूजा करके चला जाता है| ऐसा माना जाता है की वीर योद्धा आल्हा देव ब्रह्म मुहूर्त मे माता की पूजा करने आते हैं|

ऐसा मान्यता है की आल्हा और उदल ने ही इस पर्वत पर इस मंदिर की खोज की थी| आल्हा ने लगातार 12 साल तक माता शारदा की तपस्या की थी और आल्हा ने अपनी जीभ काटकर माता को अर्पण कर दिया था| आल्हा की तपस्या और भक्तिभाव से खुश होकर माता ने आल्हा को अमर रहने का वरदान दिया था|  

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) के अंदर से सुबह सुबह पूजा करने और घंटी की आवाज आती है|  इस मंदिर के द्वार सिर्फ रात के 2 बजे से सुबह 5 बजे तक 3 घंटे के लिए बंद रहते हैं और इन्ही 3 घंटों के बीच आल्हा माता की पूजा सम्पन्न करने आते हैं| माता का शारदा नाम बहादुर योद्धा आल्हा ने ही दिया था|

आल्हा माता को “शारदा माई” कहकर पुकारा करते थे| इस मंदिर मे आकर आपको एक आध्यात्मिक और सकारात्मक शक्ति का एहसास होगा|

आल्हा और ऊदल कौन थे

आल्हा और ऊदल और दोनों बुंदेलखंड के महान योद्धा थे जो कालिंजर के राजा परमार के दरबार सेनानायाक थे| परमार के दरबार के एक महान कवि जगनिक ने आल्हा खण्ड नामक एक ग्रंथ बनाया था जिसमे आल्हा उदल के 52 महत्वपूर्ण लड़ाइयों का वर्णन है|

आल्हा उदल की आखिरी जंग उस समय के दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान के साथ हुई थी और इस युद्ध मे आल्हा उदल ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और इस युद्ध मे आल्हा के भाई उदल वीरगति को प्राप्त हुई|

गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवित छोड़ दिया| आल्हा के ऊपर माता शारदा का आशीर्वाद था इसलिए पृथ्वीराज चौहान को पीछे हटना पड़ा|

इस युद्ध के बाद आल्हा ने तलवार की नोक टेढ़ी करके माता के चरणों मे समर्पित कर दिया जिसको आजतक कोई भी सीधा नहीं कर पाया| मां शारदा मंदिर की तलहटी में आल्हा देव की खड़ाऊ और तलवार आम भक्तों के दर्शन के लिए रखी गई है|

माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Temple Maihar) से 2 किलोमीटर दूरी पर एक प्राचीन तालाब स्थित है और इसी तालाब मे आल्हा उदल दोनों कुश्ती का अभ्यास किया करते थे|

माई की रसोई

अगर आप माता के दर्शन करने मैहर जा रहे हैं तो आपको फ्री मे रहना और भोजन मिल सकता है| जी बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप माता के मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित माता की रसोई मे आपके फ्री रहने और खाने का प्रबंध हो सकता है|

माता की रसोई की देख रेख माता मंदिर के मेन पुजारी के सुपुत्र धीरज महाराज द्वारा की जाती है| माता की रसोई 7 जनवरी 2019 से अनवरत चल रही है| यहाँ पर आपको कुर्सी टेबल मे बैठाकर स्वादिष्ट भोजन परोसा जाएगा जो पूरी तरह से फ्री होगा|

अगर आप माई की रसोई के धर्मशाला मे फ्री मे रुकना भी चाहते हैं तो आपको कम से कम एक हफ्ता पहले  6232451111 इस नंबर पर सूचित करना पड़ेगा| माई की रसोई मे महाप्रसाद आपको सुबह 12 बजे से रात 12 बजे तक मिलेगा|

मुंडन कक्ष

त्रिकूट पर्वत पर मंदिर के नजदीक एक मुंडन कक्ष है जहां पर आप अपने बच्चों का पूरे विधि विधान से मुंडन सम्पन्न कर सकते हैं|

कैसे पहुंचे

मैहर देश के रेलवे नेटवर्क से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| मैहर के लिए आपको देश के चारों कोनों से ट्रेन मिल जाएगीं| लेकिन अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो 135 किलोमीटर दूर खजुराहो मे उतरना होगा| अगर आप खजुराहो के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Q1- माँ शारदा मंदिर का निर्माण कब हुआ था?

 A- सन् 502 में

Q2- माँ शारदा मंदिर का निर्माण किस पहाड़ी पर हुआ है?

A- विंध्य की त्रिकूट की पहाड़ियों पर

Q3- माँ शारदा मंदिर कितनी ऊँचाई पर स्थित है?

A- 600 फीट

Q4- माँ शारदा की पहली पूजा कौन करता है?

A- आल्हा देव

Q5- आल्हा ने अपना आखिरी युद्ध किसके खिलाफ लड़ा था?

A- पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ

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