मेघालय का जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya)- जड़ों से जड़ित पुल

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Living Root Bridges Meghalaya: आपने देश और विदेश मे स्टील और सीमेंट से बने पुल देखेँ होंगे लेकिन भारत वर्ष के मेघालय राज्य मे आपको पेड़ की जड़ से बना पुल देखने को मिलेगा जो कि पर्यटकों के लिए किसी भी आश्चर्य से कम नहीं है|

इस प्राकृतिक पुल की लोहे जैसी मजबूती देखकर दूसरे देश से आए लोग भी हैरान रह जाते हैं| इस पुल मे एक साथ 50 लोग चढ़ सकते हैं| इस करिश्माई पुल को देखने पूरी दुनिया से लोग आते हैं|

आपको भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय देश के एक से बढ़कर एक सुंदर, ऊंचे और लंबे पुल देखने को मिलेंगे लेकिन मानव द्वारा निर्मित ये सभी पुल मेघालय मे स्थित प्रकृति द्वारा निर्मित पुल के सामने फीके हैं|

जीवित जड़ पुल एक लगभग 200 साल पुराना पुल है जो आज भी उतनी ही मजबूती से खड़ा हुआ है| ये पुल पेड़ों के जिंदा जड़ों से बने हुए हैं| इस जीवित जड़ पुल का इस्तेमाल मेघालय के जंगलों मे बह रही नदियों को पार करने के लिए किया जाता है|

सूत्रों की माने तो मेघालय के हरे भरे जंगलों मे खासी और जयंतिया जनजाति के लोग बहुत समय से रहते हैं जिन्होंने जीवित जड़ों से पुल का निर्माण करने का हुनर सीख लिया है| इस पुल को बनाने मे स्टील और सीमेंट वाले पुल की अपेक्षा बहुत ही ज्यादा समय लगता है|

ये पुल बनाने मे और जड़ों को आकार लाने मे 15 साल का समय लग जाता है| इस प्रकार के पुलों को बनाने मे रबड़ के पेड़ों के जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है| लगातार पानी के संपर्क मे रहने से पुल की जड़े सड़ती हैं और फिर नई जड़ें उगती है|

वर्ष 2022 मे इस पुल को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site of UNESCO) घोषित कर दिया गया है| ये पुल हवा मे 50 से 100 फीट ऊपर रहते हैं और यहाँ का सबसे लंबा लिविंग रूट पुल 175 फीट लंबा है एवं चौड़ाई करीब 1.5 मीटर हो सकती है|

पूरे मेघालय मे फिलहाल के समय 72 गावों मे 100 लिविंग रूट पुल हैं जो 500 सालों तक इतनी ही मजबूती से खड़े रह सकते हैं| यह अपने आपमे पूरी दुनिया मे सबसे अनोखा पुल है| मानसून के समय जब मेघालय के जंगलों की नदियां पूरे उफान पर होती है उस समय ये पुल किसी जीवन रेखा से कम नहीं होते|

ये पुल किसानों और ग्रामीणों के के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं जो किसानों और ग्रामीणों को उनके मंजिल तक पहुँचने मे मदद करते हैं|  प्रत्येक पुल के डिजाइन, प्रबंधन और रखरखाव के खासी और जयंतिया जनजाति के लोग पूरा समुदाय जी तोड़ मेहनत करता है|

मेघालय के जंगलों मे स्थित लिविंग रूट पुल का उपयोग न केवल मानव करते हैं बल्कि जंगलों के जानवर भी करते हैं| मेघालय के जंगलों मे स्थित ये लिविंग रूट पुल बहुत से पक्षियों के रहने के लिए घोंसलों के लिए स्थान प्रदान करते है| लिविंग रूट पुल जंगलों की सुंदरता बढ़ाने के साथ साथ यहाँ के विकास मे भी योगदान करते हैं|

स्थानीय भाषा में इन लिविंग रूट पुल को “जिंगाकिएंग जरी” भी कहा जाता है| मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज मानव और प्रकृति के बीच एक सुंदर समन्वय को दिखाता है| लिविंग रूट ब्रिज को बनाने में एक पैसे का भी खर्चा नहीं आता है| लिविंग रूट ब्रिज कुदरत की इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है|

एक तरफ आज जहां पूरे देश को कुछ स्वार्थी लोग जंगल से विहीन कर रहें हैं और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए जरूरत की चीजों का निर्माण किया जा रहा है|

अगर मनुष्य ठान ले की प्रकृति का नुकसान किये बिना विकास कार्यों को बढ़ावा देना है तो कुछ ही समय मे ग्लोबल वार्मिंग जैसी बढ़ती समस्या से निदान पाया जा सकता है|

भारत वर्ष तो वो देश है जहां नदियों, पहाड़ों और जंगलों की पूजा की जाती है लेकिन सही मायने मे प्रकृति का जितना सम्मान मेघालय के खासी और जयंतिया जनजाति के लोग करते है उतना शायद कहीं और देखने को नहीं मिलता|

यूनेस्को मे मेघालय का जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya Unesco)

वर्ष 2022 मे लिविंग रूट पुल को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site of UNESCO) घोषित कर दिया गया था|

मेघालय के जीवित जड़ पुल का नाम (Living Root Bridges Meghalaya Name)

मेघालय स्थित जीवित जड़ पुलों को जिंगकींग जरी के नाम से जाना जाता है. इन पुलों का निर्माण रबड़ के पेड़ों की जड़ों को बुनकर किया जाता है|

मेघालय का जीवित जड़ पुल का मैप (Living Root Bridges Meghalaya Map)

मेघालय का जीवित जड़ पुल तक कैसे पहुंचे (How To Reach Living Root Bridges Meghalaya)

मेघालय का जीवित जड़ पुल तक पहुँचने के लिए बापकों सबसे पअहले मेघालय राज्य की राजधानी शिलॉन्ग आना पड़ेगा| शिलॉन्ग तक आप वायु मार्ग से पहुँच सकते हैं और अगर आप रेल मार्ग से आ रहे हैं तो आपको असम के गुवाहटी मे उतरना होगा और यहाँ से बस या कैब लेकर शिलॉन्ग पहुँच सकते हैं|

अगर आप शिलॉन्ग आने के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

Q1- मेघालय में जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya) कितने हैं?

A- लगभग 100 या उससे अधिक

Q2- लाइव रूट ब्रिज (Living Root Bridges Meghalaya) कितने साल पुराना है?

A- 180 साल से 200 साल

Q3- मेघालय के जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya) को कब यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट मे शामिल किया था?

A- वर्ष 2022 मे

Q4- मेघालय का सबसे लंबा जीवित जड़ पुल कितने फुट का है?

A- 175 फुट का

Q5- मेघालय के जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya) की अधिकतम चौड़ाई कितनी है?

A- 1.5 मीटर

Q6- मेघालय के जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya) मे एक बार मे कितने लोग चढ़ सकते हैं?

A- 50 लोग

Q7- मेघालय के जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya) को आकार देने मे कितने वर्ष लग जाते हैं?

A- 10 से 15 वर्ष का समय लग सकता है

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