मौफलांग के पवित्र जंगल (Mawphlang Sacred Forest)- एक रहस्यमयी जंगल जहां से आप टूटा हुआ एक पत्ता भी बाहर नहीं ले जा सकते

Mawphlang Sacred Forest: आपने अपने जीवन मे कई पवित्र जगहें देखीं होंगी जैसे मंदिर, पेड़, धार्मिक किताबें और पत्थर| लेकिन आज हम आपको बताएंगे भारत वर्ष के उत्तर पूर्व के राज्य मेघालय मे स्थित पवित्र मौफलांग जंगल के बारे मे जिसका इतिहास सदियों पुराना है| जहां पर जाने से पहले आप कई बार सोचेंगे|

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हमारे देश मे कई पवित्र वन हुए हैं जैसे चित्रकूट स्थित कामदगिरी पर्वत, वृंदावन स्थित गोवर्धन पर्वत लेकिन आज हम चर्चा करेंगे मेघालय स्थित मौफलांग जंगल के बारे मे|  इस पवित्र जंगल मे आपको ऊपर और नीचे दोनों जगह हरियाली देखने को मिलेगी| ऊपर तरफ हरे भरे घने पेड़ और नीचे धरती मे उगी हरी भरी घास|

ये एक ऐसा मिश्रण है जो इस जंगल को उम्मीद से ज्यादा हरा भरा बनाता है| मेघालय स्थित ये महत्वपूर्ण जंगल खासी आदवासियों की आत्मा है| इस जंगल मे नीचे उगी नरम घास आपको चलने मे सहायता करेगी| शिलांग शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर खासी पहाड़ियों मे स्थित ये पवित्र जंगल 800 साल से ज्यादा पुराना है|

खासी पहाड़ियों मे ही अकेले 50 से अधिक पवित्र वनों का डेरा है| ऐसा माना जाता है की मौफलांग के पवित्र जंगल का संरक्षण यहाँ के स्थानीय देवता स्थानीय देवता लाबासा करते हैं| अगर आप मौफलांग के पवित्र जंगल को समझना चाहते हैं तो अच्छा होगा की खासी जनजातियों को पहले समझे| क्यूँ की ये खासी जनजातियाँ ही हैं जिन्होंने इस जंगल की पहचान को खुद से जोड़ लिया है|

जो सदियों से जंगल और प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं और जो ये मानते हैं की उनका अस्तित्व जंगल के बिना अधूरा है| यहाँ का पवित्र जंगल लोककथाओं और दंतकथाओं से भरा पड़ा है| वापस लौटते समय आप इस जंगल से एक कंकड़ तक बाहर नहीं ले जा सकते|

अगर आप इस जंगल से कुछ भी बाहर लेकर जाते हैं तो कुछ न कुछ बुरा आपके साथ जरूर होगा| हो सकता है की आपकी जान भी चली जाए| यहाँ के लोगों का मानना है की लाबासा सबको देखता है| वो किसी न किसी रूप मे जंगल मे घूम रहे पर्यटकों के आस पास रहता है|

आप जब खुद इस जंगल मे जाएंगे तो अपने आस पास किसी एक आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव जरूर करेंगे| इस वन की हरियाली और मनमोहक सुंदरता पूरे देश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है| ऐसा माना जाता ही की यहाँ पर स्थित कुछ पौधों मे तपेदिक और कैंसर को ठीक करने की क्षमता है|

192 एकड़ मे फैले इस जंगल मे पौधों की 400-450 प्रजातियाँ फल फूल रही हैं इसके अलावा ये जंगल 200 से अधिक जानवरों का बसेरा है जिनमे सिवेट, कृंतक, सांप, सियार, बंदर, हिरण, गिलहरी और तेंदुए शामिल हैं|

मेघालय मे 19 वीं सदी मे अंग्रेजों का आगमन हुआ था तब से यहाँ के 75% लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैँ| प्रकृति की पूजा करने वाले आदिवासी बहुत ही कम संख्या मे यहाँ पर बचे हैं| इसलिए इनके द्वारा किया जा रहा प्रकृति का संरक्षण किसी भी किताब मे नहीं पढ़ाया जाता|

हमारे आपके टेक्स्ट्बुक मे केवल प्रकृति बचाने की बातें होती हैं लेकिन जो वर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी प्रकृति का संरक्षण कर रहा है उसकी चर्चा कभी भी नहीं होती| आज के सोशल मीडिया के जमाने मे हम दुनिया को ये बता सकते हैं की जो लोग इन जंगलों मे रहकर जंगल बचा रहे हैं संरक्षित कर रहे हैं वो लोग असली प्रकृति प्रेमी हैं न की वो लोग जो एसी कमरे मे बैठकर प्रकृति को बचाने की बातें करते हैं|

आज देशी विदेशी मीडिया क्लाइमेट चेंज पर बहुत बातें करता है| लगभग दुनिया के सभी बड़े नेताओं की बड़े बड़े फोरम मे क्लाइमेट चेंज के लिए बातें होती हैं लेकिन जो लोग जमीन पर इस लड़ाई को लड़ रहे हैं उनकी कोई बात नहीं करता| जितने भी जंगल देश मे बचे हैं उनको भी पैसा कमाने का साधन बना लिया गया है| धीरे धीरे जंगल अपना अस्तित्व और शांति दोनों खोते जा रहे हैं|

अगर इस जंगल मे आप तन्मयता से घूमना चाहतें हैं तो आपको कम से कम 4-5 घंटे का समय अवश्य निकालना चाहिए| ये जंगल प्रकृति और आस्था का एक अनूठा संगम हैं| इस जंगल को मुख्यतः 3 भागों मे बाँटा गया है लेकिन पर्यटकों को कुछ ही भाग को इक्स्प्लोर करने का अधिकार है|

इस जंगल मे जो अनुष्ठान होते थे उसमे मुर्गे और मुर्गियों की बलि भी दी जाती थी जो अब बंद हो गई है| आखिरी बार यहाँ पर बलि 1950 मे दी गई थी| बलि का कार्यक्रम अभी भी होता है लेकिन वो किसी दूसरी पहाड़ी के ऊपर आयोजित होता है|

जंगल की आध्यात्मिक शांति आपको सकारात्मक एनर्जी से भर देगी| प्रकृति की गोद मे बिताया गया कुछ समय आपको जिंदगी भर याद रहेगा| जंगल मे विचरण करते समय ये जरूर याद रखे की इस जंगल से धोखे से भी आप कुछ न ले जाएं नहीं तो होने वाली बुरी घटनाओं के आप खुद ही जिम्मेदार होंगे|

पूरा मेघालय ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहाँ पर प्रकृति साक्षात विराजती है| आपका जब भी मेघालय आना हो तो मौफलांग के पवित्र जंगलों को घूमना बिल्कुल भी न भूलें| इस जंगल की विशेषता ने इसे देशभर मे मशहूर कर दिया है और पर्यटकों की आवाक भी बढ़ गई है| इससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है|

मौफलांग के पवित्र जंगल का इतिहास (Mawphlang Sacred Forest History)

पुराने समय मे खासी समुदाय के कई कार्यक्रम यहाँ पर आयोजित किए जाते थे| इस जंगल मे राजाओं और औपचारिक नेताओं की बैठक, अनुष्ठान, बलिदान और नए प्रमुखों का अभिषेक इत्यादि कार्यक्रम आयोजित होते थे|

मौफलांग के पवित्र जंगल रिव्यू (Mawphlang Sacred Forest Reviews)

ये जंगल बाकी जंगलों से थोड़ा अलग हैं| आप यहाँ पर महसूस कर पाएंगे की आपके आस पास कोई एक आध्यात्मिक पावर है| यहाँ की शांति और आध्यात्मिकता आपके मं को स्थिर कर देगी|

मौफलांग के पवित्र जंगल की शिलॉन्ग से दूरी (Mawphlang Sacred Forest Distance From Shilong)

राज्य की राजधानी शिलॉन्ग से मौफलांग के पवित्र जंगल की दूरी महज 25 किलोमीटर है|

मौफलांग के पवित्र जंगल की टाइमिंग (Mawphlang Sacred Forest Timing)

मौफलांग के पवित्र जंगल की टाइमिंग सुबह 8 बजे से शाम को 5 बेज तक होती है|

मौफलांग के पवित्र जंगल तक कैसे पहुँचें (How To Reach Mawphlang Sacred Forest)

मौफलांग के जंगल के लिए नजदीकी हवाई अड्डा 125 किलोमीटर दूर गुवाहटी का हवाई अड्डा है और नजदीकी रेलवे स्टेशन गुवाहटी रेलवे स्टेशन है जो यहाँ से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगर आप गुवाहटी के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

मौफलांग के पवित्र जंगल की लोकेसन (Mawphlang Sacred Forest Location)

Q1- मौफलांग के पवित्र जंगल कितने पुराने हैं?

A- 800 साल से ज्यादा

Q2- मौफलांग के पवित्र जंगल की पहाड़ी पर स्थित है?

A- मेघालाय के खासी पहाड़ियों मे

Q3- मौफलांग के पवित्र जंगल का रहस्य क्या है?

A- यहाँ से आप कुछ भी बाहर नहीं ले जा सकते

Q4- मौफलांग के पवित्र जंगल की रक्षा कौन करता है?

A- लाबासा

Q5- मौफलांग के पवित्र जंगल का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

A- अक्टूबर से अप्रैल के बीच

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