Gyanganj: सभी धर्मों के ग्रंथ हमे यह बताते हैं की जो भी जीव इस पृथ्वी पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है| लेकिन पृथ्वी पर अदृश्य रूप से एक ऐसी जगह है जहाँ किसी की भी मृत्यु नहीं होती उस जगह को ज्ञानगंज कहते हैं जहाँ पर हर कोई अमर है|
तिब्बत मे हिमालय के पहाड़ों के बीच स्थित एक ऐसी रहस्यमई जगह है जहां पर आम आदमी का पहुंचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है| ज्ञानगंज को शांगरी-ला, सिद्धाश्रम या ज्यादातर शंभुला के रूप में भी जाना जाता है| रामायण और महाभारत में ज्ञानगंज का उल्लेख सिद्धाश्रम नाम से मिलता है|
इनके बारे में भी जाने:
- होया बस्यू जंगल (Hoia Baciu Forest)- दुनिया का सबसे डरावना जंगल जहां रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते है लोग
- कुरुवा द्वीप (Kuruvadweep)- बांस की राफ़्टिंग के लिए दुनियाभर मे मशहूर केरल का एक द्वीप
- अजगर दादर (Ajgar Dadar)- अजगरों के लिए बनाई गई एक बस्ती
- गोल्डन ब्रिज वियतनाम (Golden Bridge Vietnam)- सीमेंट के 2 हाँथों पर टिका एक खूबसूरत पुल
- अढ़ाई दिन का झोपड़ा (Adhai Din Ka Jhopra)- मंदिर और स्कूल को तोड़कर बनी एक मस्जिद
ज्ञानगंज मठ (Gyanganj Math)
ज्ञानगंज तक पहुँचने का रास्ता आज तक किसी भी आम इंसान को नहीं मिला है| सनातन धर्म ग्रंथों का अध्ययन करेंगे तो आप पाएंगे की ज्ञानगंज मे जिस किसी इंसान को न्योता भेजा जाना होता है उसकी लकीरें उसके हाँथ मे पहले से ही खींच दी जाती है|
हियामलय की बर्फीली वादियों मे बसा ज्ञानगंज इतना ज्यादा रहस्यमयी है की किसी भी सैटेलाइट के पास भी इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है| भारत मे ज्ञानगंज को लेकर लोगों मे कुछ खास ज्ञान नहीं है लेकिन तिब्बत के लोगों को ज्ञानगंज का बहुत ही गहरा ज्ञान है|
ऐसा माना जाता है की हजारों सालों से ऋषि और मुनि यहाँ पर तपस्या कर रहे हैं| अगर प्राचीन भारत के साधु संतों द्वारा दिए गए ज्ञान की बाते करें तो उन्होंने हमेशा यही कहा है की दुनिया का आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र हिमालय है और साधु संतों की बातें सच साबित होती भी दिखाई दे रही है|
दूसरी तरफ बौद्ध धर्म के अनुयायियों की बातें माने तो इस जगह पर भगवान बुद्ध ने कालचक्र का सम्पूर्ण अध्ययन किया था| ऐसा कहा जाता है जो भी ऋषि मुनि यहाँ पर तपस्या करते हैं वो अपनी प्रबल योग विद्या से अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेते है और अपनी उम्र को भी रोक लेते हैं|
थोड़ा और गहराई से हिन्दू धर्म ग्रंथों का अध्ययन करने पर पता चलता है की ज्ञानगंज के निर्माता भगवान विश्वकर्मा जी हैं| शास्त्रों की माने तो ज्ञानगंज मे भगवान राम, कृष्ण और बुद्ध साक्षात शारीरिक रूप मे विचरण करते हैं|
यहाँ पर राम, कृष्ण और बुद्ध के अलावा महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, महायोगी गोरखनाथ, श्रीमद शंकराचार्य, भीष्म, कृपाचार्य, कणाद, पुलस्त्य, अत्रि आदि को तपस्या मे लीन देखा जा सकता है| ज्ञानगंज मे रहने वाले सिद्ध पुरुष समय की गति को रोकने मे सक्षम होते हैं|
इतिहासकारों का मानना है की वर्तमान समय में स्वामी विशुद्धानंद परमहंस सर्वप्रथम ज्ञानगंज पहुंचने वाले इंसान थे और उन्होंने ही इस रहस्यमयी जगह के बारे मे दुनिया को बताया था| विशुद्धानंद परमहंस वाराणसी के एक महान संत थे जो ज्ञानगंज सूर्य विज्ञान सीखने गए थे|
विशुद्धानंद परमहंस सूर्य की शक्तियों का इस्तेमाल करके किसी वस्तु को प्रकट करना, मनचाही सुगंध पैदा करना, मरे हुए छोटे जीवों को जिंदा कर देना जानते थे और स्वामी विशुद्धानंद जी ये भी बोलते थे की ये किसी भी प्रकार का चमत्कार नहीं है बल्कि ज्ञानगंज सिखाया हुआ विज्ञान है जो आने वाले समय मे आमजनमानस के लिए आसानी से उपलब्ध होगा|
ज्ञानगंज की लोकेसन (Gyanganj Location)
जिस तरह ज्ञानगंज तिब्बत मे स्थित है ठीक उसी तरह तिब्बत मे ही बेहद रहस्यमयी कैलाश मान सरोवर भी स्थित है| ऋषियों की माने तो ज्ञानगंज, कैलास और मानसरोवर के पास ही अदृश्य रूप मे विद्यमान है| चूंकि ये किसी और आयाम मे स्थित है इसलिए आम लोगों को दिखाई नहीं देता है|
ऐसा माना जाता है की ज्ञानगंज मे रहने वाले सिद्ध पुरुष दूर लोक मे बैठे अपने गुरुओं से मन की तरंगों से बाते करते हैँ| चीन की सेना ने इस रहस्यमयी जगह को ढूँढने मे दिन रात एक कर दिया लेकिन उसे भी सफलता नहीं मिली|
ऐसा माना जाता है की भगवान बुद्ध कालचक्र की शिक्षा लेकर जब वापस इस दुनिया मे आए तो उन्होंने इस रहस्य के बारे मे तत्कालीन तिब्बत के राजा, राजा सुचंद्र को इस रहस्यमयी जगह के बारे मे बताया था|
अगर आप ये मान रहे है की इस जगह का धर्म से कोई लेना देना है तो आप गलत हैं| जो भी स्त्री पुरुष अपने आपको इस जगह मे पहुँचने लायक बना लेगा वो स्वतः ही यहाँ पहुँचने का रास्ता ढूंढ लेगा|
ज्ञानगंज पर किताबें (Gyanganj Books)
ज्ञानगंज सिर्फ एक कल्पना मात्र नहीं है बल्कि कई देशी विदेशी लेखकों इन जगह का जिक्र किया है| आइए सभी को एक एक करके जानते हैं|
1. विदेशी लेखक जेम्स हिल्टन की किताब ‘Lost Horizon, about the lost kingdom of Shangri-La’ मे ज्ञानगंज के बारे मे बताया गया है|
2. योगानंद परमहंस की किताब ‘योगी कथामृत’ में भी ज्ञानगंज (Gyanganj) का वर्णन मिलता है|
3. आध्यात्मिक जिज्ञासु और पत्रकार पॉल ब्रटन एक किताब लिखना चाहते थे उसके पहले वो भारत के महान योगियों से की और उनकी आध्यात्मिक शक्तियों का जाना| फिर एक किताब लिखा जिसका नाम था ‘ए सर्च इन सीक्रेट इंडिया’ (A Search in Secret India) और हिन्दी मे ‘गुप्त भारत की खोज’|
इस किताब मे पॉल ब्रटन ने ज्ञानगंज (Gyanganj) का वर्णन किया है|
4. अंग्रेज लेख जेम्स हिल्टन ने भी अपने उपन्यास ‘लास्ट होराइजन’ में इस जगह का वर्णन किया है।
5. गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपनी पुस्तक ‘सुनसान के सहचर’ में ज्ञानगंज (Gyanganj) यात्रा के बारे मे बताते हैं। उन्होंने लिखा है कि उनके गुरु स्वामी सर्वेश्वरानंद उन्हे ज्ञानगंज की यात्रा पर ले गए थे। स्वामी सर्वेश्वरानंद ज्ञानगंज के ही निवासी थे।
सर्वेश्वरानंद की आयु सैकड़ों वर्ष बतायी गई है। श्रीराम शर्मा लिखते हैं की यहाँ के सन्यासी हजारों सालों से तपस्या मे लीन हैं लेकिन इनकी उम्र महज 20-25 साल की लगती है|
6. संत श्रीमत शंकर स्वामी ने अपनी किताब ‘तिब्बत का रहस्मयी योग व अलौकिक ज्ञानगंज (Gyanganj)’ में अपने अनुभवों के बारे में लिखा है। संत जी कहते हैं की ज्ञानगंज मे कभी रात नहीं होती| यहाँ हर समय सूर्य के समान ताकत और चाँद वाली ठंडक विद्यमान रहती है|
मौसाम हमेशा एक समान रहता है| यहाँ पर सभी योगियों के अपने अपने विभाग हैं| और सभी की उम्र बेहद कम प्रतीत होती है|
6. ज्ञानगंज (Gyanganj) को लेकर एक अंग्रेज कर्नल एल.पी. फैरेल की बात भी सामने आती है। फैरेल ब्रिटिश शासन में 1942 मे हिमालय की बर्फ से ढकी वादियों में तैनात थे और उन्होंने यहां कुछ अजीबोगरीब अनुभव किया जिसके बारे मे उन्होंने पत्रकारों को भी बताया था|
7. एक आध्यात्मिक गुरु, गुरु साईं काका ने आध्यात्मिक शिक्षा लेने के लिए ज्ञानगंज (Gyanganj) आए थे और उन्हे यहाँ तक एक ऋषि ने पहुंचाया था|
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Q1- ज्ञानगंज (Gyanganj) का रहस्य क्या है?
A- यहाँ जाने वाले का भाग्य जन्म होते ही लिख दिया जाता है और यहाँ पर रहने वाला हर कोइ अमर है|
Q2- ज्ञानगंज (Gyanganj) कहाँ स्थित है?
A- हिमालय पर्वत मे दूसरे आयाम मे|
Q3- ज्ञानगंज (Gyanganj) का दौरा किसने किया था?
A- लेटेस्ट मे एक बंगाली संत शंकर स्वामी 8 दिन के लिए ज्ञानगंज गए थे|
Q4- क्या ज्ञानगंज (Gyanganj) वास्तव में मौजूद है?
A- हाँ, लेकिन आम आदमी का इसको ढूँढना असंभव है|
Q5- मैं ज्ञानगंज (Gyanganj) कैसे जा सकता हूँ?
A- केवल योगी और तपस्वी ही जा सकते हैं