Dhosi Hill: अगर हम आपसे कहें की भारत मे स्थित सभी पर्वत शृंखलाओं मे सबसे पुरानी पर्वत शृंखला कौन सी है| तो शायद आप तुरंत कहेंगे “हिमालय पर्वत शृंखला”| लेकिन यहाँ पर आप थोड़ा गलत हैं क्यूँ की भारत की सबसे पुरानी पर्वत शृंखला हिमालय नहीं बल्कि अरावली पर्वत शृंखला है|
हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण आज से करीब 40-50 मिलियन साल पहले हुआ था जबकि अरावली पर्वत शृंखला की उम्र लगभग 570 मिलियन से 670 मिलियन के आस पास बताई गई है|
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धोसी पहाड़ी किस राज्य मे है (Dhosi Hill In Which State)
अरावली पर्वत शृंखला मे स्थित है एक पहाड़ी जिसे धोसी पहाड़ी कहते हैं| ढोसी पहाड़ी का कुछ हिस्सा हरियाणा मे है तो कुछ राजस्थान मे है| हरियाणा प्रदेश मे इसका हिस्सा दक्षिण तरफ है जहाँ पर ये नारनौल से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहीं राजस्थान वाला हिस्सा उत्तरी राजस्थान के झुन्झुनू में स्थित है।
धोसी पहाड़ी का इतिहास (Dhosi Hill History)
प्राचीन समय मे ये पहाड़ी ऋषि च्यवन की तपोस्थली थी और यहाँ पास ऋषि का आश्रम भी था और ऐसा माना जाता है की ऋषि च्यवन ने इस पहाड़ी पर पहली बार च्यवनप्राश बनाया था| च्यवनप्राश एक ऐसा स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक है जो आज भी बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों मे बहुत लोकप्रिय है| सभी बड़े चाव से च्यवनप्राश का सेवन करते हैं|
ढोसी पहाड़ी का उल्लेख हिंदुओं के पवित्र ग्रंथों जैसे ब्रहमानस और महाभारत मे देखने को मिलता है| ढोसी पहाड़ी के शीर्ष मे ही आपको महर्षि च्यवन का आश्रम देखने को मिलेगा और इसी आश्रम को महर्षि च्यवन ने अपनी तपोस्थली बनाई थी और लगभग 7000 सालों तक लगातार तपस्या की थी|
ढोसी पहाड़ी मे आयुर्वेदिक औषधियों की भरमार है। ऐसा माना की इस पहाड़ी पर च्यवनप्राश पे पड़ने वाली औषधियों के अलावा एक और बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि पाई जाती है जिसे कायाकल्प कहते हैं| इस औषधि को खाकर इंसान की त्वचा चमकती है और वह लंबे समय तक जवान बना रहता है| इसके अलावा इस पहाड़ी पर शंखपुष्पी औषधि भी मिलती है|
इस पहाड़ी पर प्राचीन समय से ही ऋषि मुनियों का आवास रहा है और ऋषि मुनि पहाड़ी मे उत्पन्न औषधियों का ही सेवन किया करते थे| भू वैज्ञानिकों का मानना है की अभी इस पहाड़ी को पूरी तरह इक्स्प्लोर नहीं किया गया है और इस पहाड़ी मे अभी और कई औषधियाँ मिलने के अवसर हैं|
ढोसी पहाड़ पर कई ऐसे पत्थर हैं जिनका आकार जीव जंतुओं जैसा है और एक पत्थर तो ऐसा भी है जिसका आकार मानव मुंह के नर कंकाल जैसा प्रतीत होता है|
वर्ष 20022 मे हरियाणा सरकार यहां पर 75 करोड़ रुपये खर्च करनेकी योजना बनाई थी| इस पैसों से प्रशासन इस पहाड़ी के पास रोप वे, वेलनेस सेंटर और यात्रियों के ठहरने के लिये होटल बनाना चाहते थे|
इसके अलावा इस पहाड़ी के शीर्ष पर पहुँचने के लिए एक केबल कार भी निर्माण चालू हो चुका है ताकि पर्यटक बहुत ही आसानी से नीचे से ऊपर पहुँच सके और इस परियोजना के लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं|
इस रोपवे को केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बनायेगें जहाँ पर राज्य सरकार जमीन उपलब्ध करवाएगी वहीं केंद्र सरकार पैसे उपलब्ध करवाएगी और रोपवे से होने वाली इनकम मे केंद्र और राज्य की आधी आधी हिस्सेदारी होगी| ये एक लगभग 900 मीटर रोपवे होगा जो स्वीडन टेक्निक से बनाया जाएगा| इस पहाड़ी पर पैराग्लाइडिंग, पैरा जंपिंग और रॉक क्लाइंबिंग जैसी ऐक्टिविटी भी शुरू की जाएंगी|
वर्ष 2021 मे वैज्ञानिकों ने इस पहाड़ के बारे मे कुछ और बाते अपनी शोध मे बताया| उन्होंने बताया की उनकी रिसर्च के अनुसार उन्हे यहाँ पर पौधों की 141 प्रजातियां और जीव-जंतुओं की लगभग 20 प्रकार की प्रजातियां मिली हैं|
वैज्ञानिकों का मानना है की जो 141 किस्म की पौधें उनको इस पहाड़ी पर मिले हैं उन्ही मे से कम से कम 5-6 औषधीय पौधे वो हैं जिनका इस्तेमाल ऋषि च्यवन च्यवनप्राश को बनाने मे करते थे| वैज्ञानिकों का मानना है की ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश को बनाने मे 46 औषधीय जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया था|
शोषकर्ताओं की माने तो ये पहाड़ी एक सुप्त ज्वालामुखी है लेकिन शोधकर्ता इसे एक ऐक्टिव ज्वालामुखी नही मानते क्यूँ की पिछले 20 लाख सालों से अरावली पर कोइ भी ज्वालामुखी का विस्फोट नहीं हुआ है|
इसके अलावा ब्रह्राव्रत रिसर्च फाउंडेशन के शोध की बात माने तो इसी पवित्र पहाड़ी पर ही बैठकर वेद लिखे गए हैं| ऐसा माना जाता है की इस पहाड़ी का निर्माण त्रेता युग मे हुआ था और किवंदती है की आज से 5100 वर्ष पूर्व महाभारत काल मे पांडवों ने अभी अपने आज्ञातकाल का कुछ समय इस पहाड़ी पर बिताया था|
धोसी पहाड़ी का किला (Dhosi Hill Fort)
एक हिन्दू राजा हुए हैं हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू जिनका शासन काल 1501-1556 था| वो एक ऐसे दूरदर्शी राजा थे जिनको इस पहाड़ी के प्राचीनता का एहसास था| चूंकि उस समय मुस्लिम आक्रांता चारों तरफ से भारत वर्ष पर हमला कर रहे थे| इसलिए इन आक्रान्ताओं से इस पहाड़ी को बचाने के लिए हेमू ने इस पहाड़ी के ऊपर एक किले का भी निर्माण करवाया था|
धोसी पहाड़ी की ऊँचाई (Dhosi Hill Height)
धोसी पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 740 मीटर है|
इस पहाड़ी के ऊपर 2 प्राचीन मंदिर हैं जिनमे से एक 250 साल पुराना है और दूसरा लगभग 100 साल पुराना है| इस पहाड़ी के थोड़ा ऊपर चढ़ने पर ही एक बेहद पवित्र कुंड शिवकुंड आता है जहाँ पर हर सोमवती अमावस्या के दिन मेला लगता है और दूर दूर से लोग इस पवित्र कुंड मे डुबकी लगाने आते हैं|
धोसी पहाड़ी भारत और हरियाणा सरकार की एक प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर है जो पूरी तरह रहस्य और चमत्कारों से भरी हुई है| इस पहाड़ी मे अभी बहुत कुछ मिलना बाकी है| जिस पहाड़ी पर वेद लिखे गए हों, जिस पहाड़ी पर ऋषि ने 7000 साल तक तपस्या की हो वो पहाड़ी हर एक हिन्दू के लिए बेहद ही पवित्र और पूज्यनीय है|
जब भी आपका महेंद्रगढ़ आना हो इस पवित्र पहाड़ी के दर्शन जरूर करें|
धोसी पहाड़ी तक कैसे पहुँचें (How To Reach Dhosi Hill)
धोसी पहाड़ी का नजदीकी रेलवे स्टेशन नारनौल का रेलवे स्टेशन है जो यहाँ से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगर आप नारनौल के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
धोसी पहाड़ी का मैप (Dhosi Hill Map)
Q1- ढोसी हिल किस लिए प्रसिद्ध है?
A- इस हिल मे पहली बार ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश बनाया था|
Q2- ढोसी की पहाड़ी की ऊंचाई कितनी है?
A- 740 मीटर
Q3- ढोसी हिल पर किस ऋषि ने तपस्या की थी?
A- ऋषि च्यवन ने
Q4- ढोसी हिल किस पर्वतमाला का अंग है?
A- अरावली का
Q5- ढोसी हिल का निर्माण कब हुआ था?
A- त्रेता युग मे