मिरेकल माइक (Miracle Mike)- एक मुर्गा जो बिना सर के 18 महीने तक जीवित रहा

एक जीव चाहे वो किसी भी वर्ग का प्राणी हो क्या वो सर कटने के बाद जिंदा रह सकता है? शायद नहीं| लेकिन आज से करीब 80 साल पहले एक मुर्गा सर कटने के बाद भी 18 साल तक जीवित रहा और उसने अपने मालिक को करोड़पति भी बनाया|

उस मुर्गे का नाम द हेडलेस चिकन उर्फ मिरेकल माइक था| ये कहानी पढ़ने के बाद आपको भी लगेगा की मिरेकल माइक इस कलयुग का सबसे चमत्कारिक मुर्गा था|

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Mike The Headless Chicken Story

10 सितंबर 1945 को अमेरिका के कोलाराडो के रहने वाले एक किसान और पॉल्ट्री फॉर्म के मालिक ल्योय्ड ओस्लेन अपने पॉल्ट्री फॉर्म से अपने घर लौटते हैं तो डिनर की तैयारी मे लग जाते हैं| डिनर के लिए वो चिकन बनाने की प्लानिंग करते हैं|

वो अपनी पॉल्ट्री फॉर्म से एक मुर्गा लाते हैं और कुल्हाड़ी से उसके सर को काटने का प्रयास करते हैं लेकिन वार गलत हो जाने के कारण मुर्गे का सर तो कट जाता है लेकिन उसका बाकी धड़ दूर जाकर गिरता है और उस मुर्गे का धड़ अपने पैरों पर खड़ा होकर यहाँ वहाँ घूमना चालू कर देता है|

एक बिना सर के मुर्गे को यहाँ वहाँ घूमता देख ल्योय्ड ओस्लेन थोड़ा आश्चर्यचकित होते हैं लेकिन उनको लगता है की कुछ समय बाद ये मुर्गा शायद प्राण त्याग देगा| वो अपनी कुर्सी पर बैठकर उस मुर्गे के मरने का इंतजार करने लगते हैं|

ल्योय्ड ओस्लेन के कुछ समय तक इंतजार करने के बाद भी वो मुर्गा तो नही मरता लेकिन एक और घटना घटती है| उस मुर्गे के सरकटे शरीर से हल्की हल्की आवाजें आने लगती है| ल्योय्ड ये देखकर बेहद अचंभे मे पड़ जाते हैं और वो निर्णय लेते हैं की वो वापस उस मुर्गे को पालेंगे| लेकिन उनको ऐसा लग रहा था की ये सर कटा मुर्गा ज्यादा दिन तक जीवित नही रहेगा|

रात को सोने से पहले ल्योय्ड ने उस मुर्गे को एक बॉक्स मे रखकर बंद कर दिया| उन्हे लगा की सुबह होने तक ये मुर्गा बॉक्स मे ही दम तोड़ देगा| लेकिन सुबह उठकर ल्योय्ड ने बॉक्स खोला तो देखा की वो मुर्गा अभी भी जिंदा था| ल्योय्ड ने इस मुर्गे को माइक नाम दिया| बहुत जल्द ही ये मुर्गा ‘माइक द हेडलेस चिकन’ के नाम से पूरे शहर मे मशहूर हो गया| 

दराअसल धोखे से मुर्गे पर वार ही कुछ ऐसा हुआ था की केवल उसका सर कटा था लेकिन उसकी जरूरी नसें और कान बराबर काम कर रहे थे| वहीं मुर्गे का दिमाग भी काम कर रहा था| जहाँ से उसका सर कटा था कुछ समय तक खून बहा और रक्त का थक्का जमने के कारण कुछ समय बाद रक्त का बहना भी बंद हो गया था| 

मुर्गे की चोंच, चेहरा और आंखें सर के साथ ही निकल गई थीं लेकिन दिमाग का 80% हिस्सा काम कर रहा था जिससे उसका शरीर, धड़कन, सांस, भूख और पाचन तंत्र बराबर काम कर रहा था|

पूरे अमेरिका मे अमेरिकी अखबारों ने इस चमत्कारिक सरकटे मुर्गे के बारे मे खबर फैलाना शुरू कर दिया था| देखते ही देखते माइक पूरे अमरीका वासियों के लिए एक अजूबा बन गया था| माइक के साथ साथ ल्योय्ड भी अमेरिका मे घर घर तक फेमस हो गए थे|

दूसरी तरफ ल्योय्ड, माइक का पूरा ख्याल रखते थे वो माइक को ड्रॉपर की सहायता से भोजन और पानी पिलाते थे| खान पान मे ल्योय्ड, माइक को दूध और मक्का खिलते थे| ल्योय्ड की प्रसिद्धि दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी और उस मुर्गे की नुमाइश करके वो खूब पैसा भी कमा रहे थे|

लेकिन मार्च 1947 को माइक को भोजन कराते समय मक्के का एक दाना उसके गले मे फंस गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गयी| एक छोटा सा जीव बिना सर के 18 महीने तक जीवित रहा| दराअसल ल्योय्ड, माइक को तरल देने के बाद और भोजन देने से पहले उसकी भोजन नली को सीरिंज से साफ किया करते थे|

लेकिन उस दिन ल्योय्ड सीरिंज कहीं भूल गए थे और उन्होंने माइक को बिना उसकी भोजन नली साफ किये बिना ही उसे भोजन करा दिया| जिससे मक्के का एक दाना उसके गले मे फंस गया और दम घुटने से माइक की मौत हो गई| इस तरह माइक के मौत का कारण कोइ बीमारी नही बल्कि एक छोटा सा मक्के का दाना बना|

माइक तो ये दुनिया छोड़कर चल गया था लेकिन उसने अपने मालिक की सेवा का उसे खूब फल दिया| हुआ ये की जब अमेरिकन मीडिया द्वारा ये बात फैलाई गई की ल्योय्ड के पास बिना सर वाला मुर्गा है तो लोग दूर दूर से माइक को देखने आने लगे|

उस समय ल्योय्ड दर्शकों से भारी पैसा कमाते थे| जो दर्शक उस समय माइक को देखने आते थे ल्योय्ड उनसे महीने के 4500 डॉलर यानी आजी की तारीख के करीब 3 लाख 20 हजार रुपये हर महीने कमाते थे|

ल्योय्ड ने समय को पहचानकर एक मनोंरजन जगत की कंपनी से भी डील कर ली थी और बड़े बड़े शो मे माइक को दिखाया जाने लगा लगा था| इन शोज के अलावा बड़ी-बड़ी मैग्जीनस् ने भी ल्योय्ड का इंटरव्यू करने लगी|

माइक की तस्वीर छपने के लिए भी भी इन मैग्जीन को पैसे देने होते थे| माइक के एक एक तस्वीर की कीमत 10,000 डॉलर थी| इस सरकटे मुर्गे ने ल्योय्ड को खूब प्रसिद्धि दिलवाई साथ मे ल्योय्ड को करोड़पती भी बनाया| माइक का नाम गिनिज बुक मे दर्ज हो चुका है|

Mike The Headless Chicken Festival

माइक की याद मे आज भी मई के महीने मे हर वर्ष फ्रूटा, कोलोराडो में हेडलेस चिकन नाम का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है| इस त्योहार की शुरुआत वर्ष 1999 मे हुई थी|

Mike The Headless Chicken Statue

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