Gurudwara Sis Ganj Sahib: गुरुद्वारा सीस गंज साहिब दिल्ली के चाँदनी चौक मे स्थित एक बहुत ही ऐतिहासिक गुरुद्वारा है जिसका निर्माण 1783 में बघेल सिंह ने सिक्खों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की याद मे किया था| गुरु तेग बहादुर को धर्म और गुरु की अधर्म, जिहाद और कट्टरता के ऊपर जीत के लिए याद किया जाता है|
गुरु तेग बहादुर को ‘हिंद की चादर’ भी कहा जाता है| इस गुरुद्वारे मे आप सोने की चादर से निर्मित आकर्षित गुंबदों को भी देख सकते हैं| इस गुरुद्वारा को बनाने मे 4000 से ज्यादा मजदूरों ने मेहनत की है| आगंतुकों के लिए यहाँ पर 200 लाकर और 250 कमरे की व्यवस्था की गई है|
4 एकड़ मे फैला यह गुरुद्वारा लगभग 80 फीट ऊंचा है| इस गुरुद्वारे का मुख्य हाल 150 फुट लम्बा और 40 फुट चौड़ा है और यहाँ की पालकी साहिब 20×10 वर्ग फुट की है| इस गुरुद्वारे मे प्रतिदिन हजारों भक्तगण मुफ़्त लंगर का लुत्फ उठाते हैं|
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गुरुद्वारा सीस गंज साहिब का इतिहास (Gurudwara Sis Ganj Sahib History)
दराअसल जब दिल्ली मे मुग़ल बादशाह और कट्टर इस्लामिक जिहादी औरंगजेब का शासन था तो उसने एक समय पर कश्मीरी हिंदुओं को इस्लाम कुबूल करने के लिए दबाव डालने लगा| कश्मीरी हिंदुओं पर धर्मांतरण का दबाव जब अत्यधिक पड़ने लगा तब कश्मीरी हिन्दू एकजुट होकर मदद के लिए सिक्खों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के पास पहुँचें|
गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब को उन्ही लोगों से ये संदेश भिजवाया की अगर उसने गुरु जी का धर्म परिवर्तन कर दिया तो सभी कश्मीरी हिन्दू खुशी खुशी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे और अगर वो गुरु जी धर्म बदलवाने मे असफल रहा तो कश्मीरी हिन्दू अपना धर्म नहीं बदलेंगे| औरंगजेब इस शर्त को मंजूर कर लेता है|
उस समय गुरु तेग बहादुर जी अपने पूरे परिवार के साथ पंजाब स्थित आनंदपुर साहिब मे रहते थे| जब कश्मीरी हिन्दुओ ने अपने कष्ट को गुरु जी के सामने रखा तो उस समय गुरुजी के पुत्र गोबिन्द राय वहीं पर उपस्थित थें|
गोबिन्द राय जिनकी उम्र उस समय महज 10 साल की थी उन्होंने अपने पिता गुरु तेग बहादुर से विनती की और बोले की इस समय धर्म किसी महान शख्सियत का बलिदान मांग रहा है और वो बलिदान केवल आप ही कर सकते हैं|
अपने पुत्र के मुख से धर्म और समझदारी बातें सुनकर गुरु तेग बहादुर अपने 5 साथियों के साथ इस्लामिक कट्टरपंथी औरंगजेब का सामना करने के लिए आनंदपुर साहिब से दिल्ली के लिए निकल पड़े|
गुरु जी दिल्ली पहुंचे और औरंगजेब के सामने उनको हाजिर किया गया| औरंगजेब ने उनको इस्लाम अपनाने के लिए बोला जिसे गुरु जी पूरी तरह इनकार कर दिया| उनको लालच, यातनाएं दी गई इसके अलावा उनके 3 चेलों को भी मृत्युदंड दिया गया फिर भी गुरु जी ने इस्लाम स्वीकार नहीं किया और अंत मे 11 नवंबर 1675 को गुरुजी को मौत की सजा दी गई|
जिस जगह पर गुरु जी का सिर कलम किया गया था आज उसी जगह पर गुरु जी के बलिदान की याद मे सीस गंज साहिब गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है| जलाल-उद-दीन ने एक बरगद जे पेड़ के नीचे गुरु जी का सर कलम किया था|
ऐसा माना जाता है की कट्टरपंथी औरंगजेब ने गुरु जी का शव देने से इनकार कर दिया था लेकिन अचानक अंधेरे और बारिश होने की वजह से उनके चेले लखी शाह वंजारा ने गुरु जी का शव चोरी कर लिया| उनके सर को चक्क नानकी और धड़ को आनंदपुर साहिब ले जाया गया जहां पर आज गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब स्थित है|
गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब की जगह पर लखी शाह वंजारा का घर स्थित था उन्होंने वहाँ पर गुरु जी का शव रखकर पूरे घर को आग लगा दी| घर के साथ साथ गुरु जी का शव भी पंचतत्व मे विलीन हो गया और बाद मे उसी जगह रकाब गंज गुरुद्वारे का निर्माण किया गया|
कुछ समय बाद गुरु जी के एक चेले जैता ने गुरु जी के सर को चक्क नानकी से आनंदपुर साहिब ले आते हैं जिसका अंतिम संस्कार गुरु जी पुत्र और सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद राय करते हैं|
गुरुद्वारा शीश गंज के पास वाली कोतवाली में गुरू तेग बहादुर के वफादार और महान चेलों जैसे गुरु भाई मतिदास, भाई दयाल और भाई सती दास को भी उसी समय सजा ए मौत दी गई थी जब गुरु जी का सिर कलम किया गया था|
वर्ष 2000 मे इस कोतवाली को दिल्ली के सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति को सौंप दिया गया था| आज भी इस गुरुद्वारे मे उस बरगद के पेड़ के तने को सुरक्षित रखा गया है साथ मे अपने कारावास के दौरान जिस जगह गुरु जी जिस कुएं के जल से स्नान करते थे वो कुआं आज भी सुरक्षित है|
इस गुरुद्वारे मे एक संग्रहालय भी है जिसका नाम भाई मति दास संग्रहालय है जहां पर आपको सिख धर्म से जुड़ी ढेरों किताबें पढ़ने को मिलेगीं|
11 मार्च 1783 में सिख मिलिट्री के सेनापति बघेल सिंह अपनी सेना के साथ दिल्ली आए और वहां उन्होनें दिवान-ए-आम पर अधिकार कर लिया। इसके बाद मुगल बादशाह शाह अलाम द्वितीय ने सिखों के एतिहासिक और पवित्र स्थान पर गुरुद्वारा बनाने की बात स्वीकार कर ली।
8 महीने के समय के बाद 1783 में शीश गंज गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। इसके बाद कई बार जमीन के मालिकाना हक के लिए मुस्लिमों और सिखों में झगड़ा रहा लेकिन अंग्रेजों ने सिखों के पक्ष में निर्णय सुनाया और गुरुद्वारा शीश गंज 1930 में पुर्नव्यवस्थित हुआ। गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे|
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब का नजदीकी मेट्रो स्टेशन (Gurudwara Sis Ganj Sahib Nearest Metro Station)
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुरानी मार्केट चांदनी चौक में है जो लाल किले से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुँचने का नजदीकी मेट्रो स्टेशन चाँदनी चौक है।
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब मे ऑनलाइन रूम बुकिंग (Gurudwara Sis Ganj Sahib Online Room Booking)
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब मे ऑनलाइन रूम बुकिंग नहीं होती| अगर आप गुरुद्वारा शीशगंज साहिब मे कमरा बुक करना चाहते हैं तो आपको गुरुद्वारे के ऑफिस पहुंचकर ही कमरा बुक करना पड़ेगा| कमरा बुक करते समय आपको एक वैलिड आई डी देनी होगी|
अगर आप अकेले हैं तो आपको एक बड़े कॉमन हाल मे जगह दी जाएगी| ज्यादा जानकारी के लिए आप 011-23285117 मे काल कर सकते हैं|
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब के रिव्यू (Gurudwara Sis Ganj Sahib Reviews)
इस गुरुद्वारे मे आपको कोने कोने पर गुरु तेग बहादुर के बलिदान को महसूस कर पाएंगे| यहाँ पर आकर आपको अद्भुत शांति, आध्यात्मिकता और सकरात्मकता का अनुभव होगा|
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब मे लंगर का समय (Gurudwara Sis Ganj Sahib Langar Timings)
यह गुरुद्वारा 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है जहां पर आप दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक और शाम 7 बजे से लेकर रात मे किसी भी समय फ्री लंगर का लुत्फ उठा सकते हैं|
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब का समय (Gurudwara Sis Ganj Sahib Timings)
यह गुरुद्वारा दिन रात खुला रहता है जिसका द्वार कभी भी बंद नहीं होता| आप इस गुरुद्वारे मे दर्शन हेतु कभी भी आ सकते हैं|
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब कैसे पहुँचें (How To Reach Gurudwara Sis Ganj Sahib)
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आना होगा| दिल्ली पहुँचने के लिए आप फ्लाइट या ट्रेन का सहारा ले सकते हैं| अगर आप अपने शहर से दिल्ली पहुँचने के ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
Q1- गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) कहां स्थित है और किसकी याद में बनाया गया था?
A- गुरुद्वारा शीशगंज साहिब दिल्ली मे चाँदनी चौक मे लाल किले के नजदीक स्थित है और इसे सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की याद मे बनाया गया था|
Q2- गुरुद्वारा सीस गंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) किसने बनाया था?
A- 1783 में बघेल सिंह
Q3- गुरुद्वारा सीस गंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) में क्या हुआ था?
A- यहीं पर एक बरगद के पेड़ के नीचे नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर का सिर 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब के आदेश पर कलम कर दिया गया था ।
Q4- गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) का नजदीकी मेट्रो स्टेशन कौन सा है?
A- चाँदनी चौक मेट्रो स्टेशन
Q5- क्या गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) मे ऑनलाइन रूम बुकिंग कर सकते हैं?
A- नहीं