Kal Bhairav Temple Ujjain: हमारे भारत देश मे आपको एक से बढ़कर एक चमत्कारिक मंदिर देखने को मिल जाएंगे| उन्ही चमत्कारिक मंदिरों मे से एक है उज्जैन शहर से करीब 8 किलोमीटर स्थित काल भैरव मंदिर| ये आलोकिक और अनोखा मंदिर पूरी तरह भगवान काल भैरव को समर्पित है|
काल भैरव को शिव का पाँचवाँ अवतार माना जाता है| भैरव शब्द का अर्थ है “भय से रक्षा करने वाला”| भगवान भोलेनाथ के जितने भी गण हैं उनके सेनापति भगवान काल भैरव ही हैं| काल भैरव का वाहन काला श्वान अर्थात काला कुत्ता है| काशी की तर्ज पर उज्जैन नगरी मे भी काल भैरव को शहर के कोतवाल का दर्जा प्राप्त है|
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काल भैरव मंदिर उज्जैन का इतिहास (Kal Bhairav Temple Ujjain History)
काल भैरव का यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण राजा भद्रसेन द्वारा क्षिप्रा नदी के किनारे करवाया था| यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान महाकाल के मंदिर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
इस मंदिर की व्याख्या आपको स्कंदपुराण के अवंति खंड मे भी आपको देखने को मिलेगी| इस मंदिर का पुनः निर्माण 1000 साल पहले परमार कालीन के राजाओं ने करवाया था| काल भैरव की पूजा से आप बड़े से बड़े विपत्तियों को टाल सकते हैँ|
यहाँ लिखे अभिलेखों से पता चलता है की ये मंदिर परमार वंश के शासन के दौरान 9वीं शताब्दी से अस्तित्व मे आया था| महाकाल के दर्शन करने के पहले काल भैरव के दर्शन करना और महाकाल के दर्शन करने के लिए काल भैरव की अनुमति लेना अनिवार्य है क्यूँ की काल भैरव ही उज्जैन नगरी के कोतवाल हैं|
काल भैरव मंदिर का रहस्य (Kal Bhairav Temple Ujjain Mystery)
उज्जैन स्थित इस मंदिर मे भगवान काल भैरव भोग के रूप मे शराब गृहण करते हैं| भक्तों के देखते ही देखने भगवान प्लेट मे रखी मदिरा का पान करते हैं | काल भैरव के द्वारा पी हुई मदिरा कहाँ जाती है इसका पता आजतक किसी को नहीं लगा| अंग्रेजों ने इस मंदिर के चारों तरफ खोदकर भी देख लिया था फिर भी इसका प्रश्न का उत्तर नहीं ढूंढ पाए थे| |
प्राचीन समय मे जब इस मंदिर मे केवल तांत्रिकों को आने की अनुमति थी तब भगवान को कुछ विशेष अवसरों मे ही शराब का भोग लगाया जाता था लेकिन जैसे ही ये मंदिर आम जनता के लिए खुला भगवान को भोग मे मदिरा चढ़ाना आम हो गया|
इस मंदिर मे मदिरा भोग कब से चढ़ाया जा रहा है इसकी जानकारी किसी को नहीं है| बाबा काल भैरव हर दिन लगभग 2000 बोतलों की मदिरा को गृहण करते हैं| इस मंदिर मे आपको रविवार और मंगलवार को ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी|
इस मंदिर मे काल भैरव की पूजा वैष्णव रूप मे की जाती है| वैज्ञानिकों ने काल भैरव द्वारा पी गई मदिरा का पता लगाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे| ऐसा माना जाता है की भगवान काल भैरव को रविवार को मदिरा चढ़ाने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं|
भगवान काल भैरव ग्रहों की बाधाओं को भी दूर करते हैं| इसके अलावा भगवान काल भैरव कोर्ट कचहरी के मामलों मे भक्तों की मदद करते हैं औरे बेऔलादों की औलाद भी देते हैं| इस मंदिर मे आपको एक दीपस्तंभ भी देखने को मिलेगा| जिस भी भक्त के विवाह मे अड़चने आ रही हैं इस दीपस्तंभ की पूजा करने से उसके विवाह मे आ रही सभी अड़चने टल जाती हैं|
भगवान काल भैरव की पगड़ी
भगवान काल भैरव अपने सर पर जो सुंदर पगड़ी शिरोधार्य करते हैँ उसका भी एक इतिहास है| यह पगड़ी भगवान को ग्वालियर के सिंधिया परिवार की ओर से अर्पित की जाती है और यह प्रथा कई सालों से चली आ रही है|
ऐसी किवंदती है की आज से करीब 400 साल पहले राजा महादजी सिंधिया अपने शत्रुओं से लगातार युद्ध हर रहे थे और इसी बीच अपनी हार से तंग आकर वो उज्जैन स्थित काल भैरव के मंदिर मे दर्शन करने आते हैं|
महादजी सिंधिया के मंदिर मे अंदर जाते है भगवान काल भैरव की पगड़ी गिर जाती है और उस समय राजा महादजी सिंधिया अपने सर से पगड़ी निकालकर भगवान को अर्पित कर देते हैं और भगवान से युद्ध मे विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद लेते हैं|
इसके बाद महादजी सिंधिया जीवन मे कभी भी कोई भी युद्ध नहीं हारें और लंबे समय तक शासन किया| महादजी सिंधिया हर वर्ष भगवान को पगड़ी अर्पित करते रहे और महादजी सिंधिया द्वारा चालू की गई इस प्रथा को आज भी सिंधिया परिवार बखूबी निभा रहा है| महादजी सिंधिया ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया था|
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय कुछ लोगों ने ऐसा शोध किया की ये मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है और इसलिए भगवान को अर्पित सारी मदिरा किसी अनजान रास्ते से होते हुए क्षिप्रा नदी मे मिल जाती है| इंदिरा गांधी के आदेश पर मंदिर के चारों ओर पुनः खुदाई हुई लेकिन शोधकर्ताओं को फिर से निराशा हाँथ लगी|
खुदाई मे ऐसा कोई भी अनजान रास्ता नहीं मिल जो शिप्रा नदी की ओर जाता हो|
वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर
प्राचीन समय मे यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर था| इस मंदिर मे तंत्र मंत्र कि साधना करने तांत्रिक आते थे| लेकिन कुछ समय के बाद ही इस मंदिर को सभी भक्तों के लिये खोल दिया गया| वर्तमान समय मे काल भैरव के दर्शन के बिना महाकाल का दर्शन अधूरा माना जाता है|
वाम मार्गी मंदिरों में मांस, मदिरा और बलि के प्रसाद चढ़ाए जाते थे लेकिन इस मंदिर मे वर्तमान समय मे केवल मदिरा का ही भोग भगवान को लगता है|
पाताल भैरवी गुफा
पाताल भैरवी की गुफा काल भैरव मंदिर परिसर मे ही स्थापित है| ये मंदिर अत्यंत गहरे और छोटी गुफा मे स्थापित है जहां पर आपको लेटकर अंदर जाना पड़ता है इसलिए इसे पाताल भैरवी गुफा कहते हैं| पाताल भैरवी मंदिर मे की गई कोई भी साधना कभी भी विफल नहीं होती|
काल भैरव मंदिर का समय (Kal Bhairav Temple Ujjain Timings)
उज्जैन स्थित इस प्रचीन मंदिर का खुलने का समय सुबह 6 बजे से लेकर 9 बजे शाम तक रहता है| आप इस बीच मे आकर काल भैरव के दर्शन कर सकते हैं|
काल भैरव मंदिर के रिव्यू (Kal Bhairav Temple Ujjain Review)
मंदिर मे घूमने आए कई सभी भक्तों का कहना है की इस मंदिर के अंदर बेहद ही आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक शांति का अनुभव होता है|
काल भैरव मंदिर के दिशा निर्देश (Kal Bhairav Temple Ujjain Directory)
उज्जैन स्थित काल भैरव के मंदिर मे शॉर्ट्स, मिनी-स्कर्ट, मिडीज़, स्लीवलेस टॉप, लो-वेस्ट जींस और छोटी लंबाई वाली टी-शर्ट पहनना पूरी तरह प्रतिबंधित है|
काल भैरव मंदिर का टिकट (Kal Bhairav Temple Ujjain Tickets)
उज्जैन स्थित काल भैरव के मंदिर मे प्रवेश पूरी तरह फ्री है| इस मंदिर मे दर्शन हेतु आए हुए भक्तों के लिए किसी प्रकार का कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं रखा गया है|
काल भैरव मंदिर मे आरती का समय (Kal Bhairav Temple Ujjain Aarti Time)
काल भैरव मंदिर मे सुबह की आरती का समय 7 बजे से 8 बजे के बीच होता है और शाम की आरती का समय 6 बजे से 7 बजे के बीच का होता है|
इनके बारे में भी जाने:
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कैसे पहुंचे
उज्जैन का अपना रेलवे स्टेशन है जो देश के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है लेकिन अगर आप फ्लाइट से उज्जैन आना चाहते हैं तो आपको उज्जैन से लगभग 60 किलोमीटर दूर इंदौर हवाई अड्डे मे उतरना होगा| अगर आप उज्जैन के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
Q1- काल भैरव मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
A- इस मंदिर मे काल भैरव मदिरा का भोग स्वीकार करते हैं
Q2- काल भैरव को शराब क्यों पीते हैं?
A- क्यूँ की भगवान काल भैरव तामसिक प्रकृति के भगवान माने जाते हैं
Q3- भैरव मंदिर कब जाना चाहिए?
A- जब दिन और रात मिलन अवस्था मे हों अर्थात शाम के समय
Q4- काल भैरव की सवारी क्या है?
A- कला कुत्ता
Q5- ‘भैरव’ शब्द का अर्थ क्या है?
A- भय से रक्षा करने वाला