Kalinjar Fort: कालिंजर किला बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा किला है जिसका निर्माण 7वीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजाओं ने करवाया था| यह किला बाँदा जिले मे विंध्य की पहाड़ियों पर स्थित है| यह भारत के सबसे अपराजेय किलों मे से एक है| इस किले के अंदर आपको कई भव्य भवन और मंदिर देखने को मिलेंगे|
यह किला समुद्र तल से 700 फीट ऊंचाई पर स्थित है और इस किले की ऊँचाई 108 फीट है| ऐसा माना जाता है की कालिंजर किले (Kalinjar Fort) का निर्माण दुष्यंत-शकुंतला के बेटे भरत ने करवाया था | भरत ने इस किले को मिलकर कुल 4 दुर्ग बनवाए थे| उन चारों मे से से सबसे भव्य कालिंजर का ही किला था|
लेकिन आधुनिक इतिहास की माने तो कालिंजर किले (Kalinjar Fort) का निर्माण राजा परमादित्य देव ने 7वीं शताब्दी में किया था| 1249 ई. में इस किले पर कृष्णराज का शासन था इसके बाद ये किला गुप्तों के हाथों में पहुंच गया| गुप्ताओं के बाद यहां चंदेल राजाओं का शासन रहा। छठी शताब्दी से लेकर 15वी शताब्दी तक इस किले मे चंदेलों का शासन रहा|
कालिंजर शब्द का हिन्दी मे अर्थ होता है ‘काल को जर्जर करने वाला’| इस किले के अंदर जाने के 7 द्वार हैं जिनके नाम क्रमशः आलमगीर दरवाजा, गणेश दरवाजा, चण्डी अथवा चौबुर्जी दरवाजा, बुधभद्र दरवाजा, हनुमान दरवाजा, लाल दरवाजा और बड़ा दरवाजा हैं|
कालिंजर किले (Kalinjar Fort) की दीवारें 5 मीटर मोटी थीं| ये किला 10 किलोमीटर के क्षेत्र मे फैला हुआ है| इस किले मे आपको कई शैली जैसे गुप्त शैली, प्रतिहार शैली, पंचायतन नागर शैली देखने को मिलेगी| कुछ इतिहासकारों का मानना है की सिकंदर ने इस किले की तुलना चीन की महान दीवार से की थी| वर्तमान समय मे ये किला ASI की देख रेख है|
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किले के अलग अलग नाम
कालिंजर किले (Kalinjar Fort) को हर युग मे अलग अलग नामों से जाना जाता रहा है जैसे सतयुग मे इसे कीर्तिनगर, त्रेतायुग मे मध्यगढ़, द्वापरयुग मे सिंहलगढ़ और कलयुग मे कालिंजर नाम से जाना जाता रहा है|
समुद्र मंथन से संबंध
कालिंजर किले (Kalinjar Fort) मे एक 1,000 साल पुराना गुप्त कालीन नीलकंठ महादेव का प्राचीन मंदिर भी है जिसका जीर्णोद्धार चंदेल शासक परमादित्य देव ने करवाया था| इस मंदिर मे स्थित शिवलिंग की ऊँचाई 4.6 फ़ीट है|
ऐसा माना जाता ही की भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से निकले खतरनाक कालकूट विष को इसी किले पर पिया था और यहीं पर भगवान भोलेनाथ ने विष पीने के बाद आराम करते हुए काल की गति को रोक दी थी इसलिए इस जगह का नाम कालिंजर पड़ा|
कालिंजर किले (Kalinjar Fort) का निर्माण नागों ने करवाया था जिसका वर्णन आपको वेदों और पुराणों मे भी मिलेगा| किले मे स्थित इस मंदिर को बेहद ही पवित्र माना गया है| इसी मंदिर के अंदर आपको 16 फीट ऊंचे और 18 हाँथों वाली काल भैरव की एक विशाल और आकर्षक मूर्ति भी देखने को मिलेगी|
बौद्ध धर्म से संबंध
कालिंजर किले (Kalinjar Fort) का जिक्र बौद्ध शास्त्रों मे भी किया गया है| आपको भगवान बुद्ध की यात्रा वृतांत में भी इस किले का वर्णन देखने को मिलेगा|
पानी के रिसाव का रहस्य
सदियों पहले से ही बुन्देलखंड का क्षेत्र सूखे से ग्रसित रहा है| लेकिन इस किले मे एक पानी का छोटा सा झरना है जो कभी भी बंद नहीं होता| जहां से ये पानी रिसता है उसके ऊपर का क्षेत्र हरे भरे पहाड़ों से ढका हुआ है|
रहस्यों से भरी गुफ़ाएं
इस किले मे स्थित कई ऐसी गुफ़ाएं हैं जो चालू तो किले से होती हैं लेकिन खत्म कहाँ होती हैं येजानकारी किसी को नहीं है| इस गुफाओं का उपयोग किले की रक्षा करने मे होता था|
घुंघरुओं की आवाज
दिन मे सूरज की रोशनी मे यहाँ चहल पहल रहती है लेकिन सूरत ढलते ही यहाँ अजीब प्रकार का एक डरावना सन्नाटा छा जाता है| एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर्स भी यहाँ पर रात मे रुके थे उनको भी घुंघरुओं की आवाज सुनाई दी थी| ये घुंघरुओं की आवाज इस किले मे हजारों सालों से गूंज रही है| ऐसा माना जाता है की ये घुंघरुओं की आवाज नर्तकी पद्मावती की है|
सीता सेज
सीता सेज कालिंजर के किले मे स्थित एक गुफा है| यहाँ पर आपको एक पत्थर का पलंग और एक तकिया देखने को मिलेगी| ऐसा माना जाता है की ये जगह माता सीता की विश्राम करने की जगह थी| इस गुफा मे एक कुंड भी है जिसे सीताकुंड भी कहते हैं|
मुगलों से संबंध
इस किले को जीतने के लिए एक से बढ़कर एक योद्धाओं प्रयास किया लेकिन सभी को हार ही नसीब हुई| अंततः अकबर ने 1569 ई मे ये किला जीतकर बीरबल को उपहार स्वरूप दे दिया|
अकबर के पहले इस किले मे महमूद ग़ज़नवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, हुमायूं, शेरशाह सूरी और पृथ्वी राज चौहान ने भी इस किले पर हमला किया था पर इन सभी राजाओं को निराशा ही हाँथ लगी| बीरबल के बाद यह क़िला बुंदेल राजा वीर छत्रसाल के पास चला गया| छत्रसाल ने पेशवा बाजीराव की मदद से मुग़लों को इस किले से खदेड़ दिया|
छत्रसाल के बाद इस क़िले पर पन्ना के राजा हरदेव शाह का शासन हो गया। 1812 ई. में यह क़िला अंग्रेज़ों के हाँथों मे चला गया|
शेरशाह सूरी की मौत
इस किले को जीतने की चाहत मे शेरशाह सूरी की मौत तक हो गई| ये बात 1544 की है जब कालिंजर पर राजा कीरत सिंह राज करते थे| इस किले पर शेरशाह सूरी की नजर पड़ती है और शेरशाह सूरी इस किले को घेर लेता है| राजा कीरत सिंह और शेरशाह सूरी के बीच 6 महीने तक युद्ध चलता है|
शेरशाह सूरी ये जान जाता है की इतनी ऊँचाई पर स्थित किले को साधारण युद्ध से नहीं जीता जा सकता इसलिए उसने किले के नीचे ही एक ऊंची मीनार का निर्माण करवाया| ये मीनार इतनी ऊंची थी की इसमे ऊपर चढ़कर किले के अंदर भी देखा जा सकता था|
शेरशाह सूरी की सेना ने इसी मीनार के ऊपर गोला बारूद को चढ़ाया और यहीं से वो गोला बारूद रॉकेट मे भरकर किले मे फेंकने लगे| किले की दीवार 5 मीटर ऊंची थी इन्ही मोटी दीवारों से एक रॉकेट टकराया और वापस मीनार मे रखे गोल बारूद मे जा गिरा|
राकेट के मीनार मे गिरने से पूरे गोला बारूद मे आग लग गई और एक जोरदार धमाका हुआ और इस धमाके मे शेरशाह सूरी मारा गया| ये वही शेरशाह सूरी था जिसने हुमायूं को हराकर सूरी साम्राज्य स्थापित किया था लेकिन सूरी की मौत के बाद हुमायूं के भाग्य खुल गए और दिल्ली फिर से मुग़लों के अधीन हो गई|
कैसे पहुंचे
अगर आप कालिंजर आना चाहते हैं तो आपके लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन बांदा रेलवे स्टेशन होगा जो की कालिंजर से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अगर आप फ्लाइट से आ रहे हैं तो आपको 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खजुराहो हवाई अड्डे मे उतरना होगा| अगर आप खजुराहो हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
Q2- कालिंजर किले मे स्थित शिव मंदिर का नाम क्या है?
A- नीलकंठ महादेव मंदिर
Q3- कालिंजर किले मे स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर कितना पुराना है?
A- 1000 साल
Q4- कालिंजर किले को जीतने की लालसा मे किस राजा की जान चली गई थी?
A- शेरशाह सूरी की
Q5- कौन सा मुगल शासक कालिंजर किले को जीतने मे सफल रहा?
A- अकबर