Khooni Darwaza Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली मे कुल 13 ऐतिहासिक दरवाजे हैं उनहीने दरवाजों मे से एक है खूनी दरवाजा जो अपनी डरावनी घटनाओं के लिए जाना जाता है| खूनी दरवाजा दिल्ली के बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर स्थित है| खूनी दरवाजा को लाल दरवाजा भी कहा जाता है| खूनी दरवाजा एक बहुत ही पुराना दरवाजा है जो कई मौतों का गवाह भी रहा है|
खूनी दरवाजा दिल्ली का इतिहास (Khooni Darwaza Delhi History)
खूनी दरवाजा का निर्माण सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी ने 16वीं सदी में करवाया था| सबसे पहले इसका नाम काबुली दरवाजा था क्यूँ की काबुल की तरफ जाने वाले लोग इसी दरवाजे से गुजरा करते थे|
इनके बारे में भी जाने:
- स्टैच्यू ऑफ सोशल जस्टिस (Statue Of Social Justice)
- मेघालय का जीवित जड़ पुल (Living Root Bridges Meghalaya)
- मरावन्थे बीच (Maravanthe Beach)
- शेतपाल गाँव (Shetpal Village)- The Land Of Snakes
- माजुली द्वीप (Majuli Island)- Largest River Island Of The World
खूनी दरवाजा दिल्ली का की कहानी (Khooni Darwaza Delhi Story)
स्थानीय लोगों का मानना है की रात मे इस गेट से रोने और चीखने की आवाजे आती हैं| ये दरवाजा 3 मंजिला है और ये विशेष क्वार्टजाइट पत्थर से बना हुआ है| इस दरवाजे के अंदर ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ भी हैं |
इस दरवाजे मे सबसे पहली हत्या अकबर के पुत्र सलीम या जहांगीर ने कारवाई थी| अकबर के बाद जब जहांगीर सत्ता पर कब्जा करता है तो अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना जहांगीर का विरोध करता है और अब्दुल रहीम खानखाना से इसी विरोध का बदला लेने के लिये जहांगीर ने उसके दो बेटों को मरवा देता है|
जहांगीर ने उनकी लाश को चील कौवों को खाने के लिए इसी दरवाजे के नीचे रखवा दिया था| इस प्रकार इस दरवाजे पर हत्याओं का दौर जहांगीर ने चालू कर दिया था| इस दरवाजे पर दूसरी हत्या जहांगीर के पोते और कट्टर इस्लामिक शासक औरंगजेब ने करवाई थी|
10 सितंबर 1659 को की गई थी जब क्रूर मुगल इस्लामी शासक औरंगजेब ने सत्ता पर कब्जा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सर कटवाकर इस गेट के ऊपर टांग दिया था| यहाँ पर तीसरा कत्लेआम ईरानी शासक नादिर शाह ने करवाया था|
वर्ष 1739 मे जं नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला तो इस गेट के पास बहुत से निर्दोषों को मौत के घाट उतारा गया था| नादिर शाह के बाद इस गेट पर चौथा कत्लेआम 1857 मे अंग्रेजों ने करवाया था| 1857 के इस हत्याकांड मे इस बार मुगलों को निशान बनाया गया था|
ऐसा कहा जाता है की 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज बहुत ही बुरी तरह भड़के हुये थे और वो बदले की आग मे जल रहे थे| इस कड़ी मे 22 सितंबर 1957 को उन्होंने मुग़लों के आखरी बादशाह बहादुर शाह जफर के दोनों पुत्रों मिर्जा मुगल और मिर्जा खिज्र सुल्तान और पोते मिर्जा अबू बख्त को एक अंग्रेज अधिकारी मेजर विलियम हडसन द्वारा उठवा लिया जाता है|
अंग्रेज अधिकारी मेजर विलियम हडसन इन तीनों को बैलगाड़ी से इस गेट के पास ले आता है और तीनों को नंगा करके बहुत ही नजदीक से गोली मार देता है और तीनों के शवों को गेट पर लटका देता है ताकि लोगों के अंदर खौफ पैदा किया जा सके और अगले 3 दिन तक ये लाशें इस दरवाजे पर लटकी रहती हैं|
1857 के इसी ट्रिपल हत्याकांड की वजह से इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा पड़ा| इस गेट पर कत्लेआम का सिलसिला आजादी के बाद भी चालू रहता है| आजादी के बाद बंटवारे के दंगे दौरान कुछ शरणार्थीयों को जो पुराने किले की ओर जा रहे थे उनको भी इसी गेट के पास मार दिया गया है|
19 वीं शताब्दी मे इस गेट ने एक से बढ़कर एक हत्याकांड देखा लेकिन आपको ये जानकर दुख होगा की 20वीं शताब्दी मे भी इस दरवाजे ने एक बुरी घटना को देखा था| बात 2002 की है जब 3 युवकों ने एक मेडिकल की छात्रा का गैंगरेप किया था और इसी घटना के बाद इस दरवाजे को आम जनमानस के लिए हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया था|
भारत मे जब 2023 मे G- 20 का आयोजन हुआ था तो विदेशी मेहमानों को भी इस खूनी दरवाजे से रूबरू करवाया गया था| ASI ने इसे संरक्षित इमारत का शामिल कर रखा है| ये पूरी इमारत मुगल-अफगानी शैली में निर्मित है|
जब भी आपका दिल्ली आना हो खूनी दरवाजा को घूमने वाली जगहों की सूची मे जेउए शामिल करें|
खूनी दरवाजा दिल्ली की लोकेसन (Khooni Darwaza Delhi Location)
खूनी दरवाजा दिल्ली के ITO चौराहे से कुछ कदम दूर बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग पर दिल्ली गेट के निकट मौलाना मेडिकल आजाद कॉलेज और फिरोजशाह कोटला किला के सामने स्थित है. यह दरवाजा सड़क के बीचों बीच स्थित है| यहाँ का नजदीकी मेट्रो स्टेशन दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन है|
खूनी दरवाजा दिल्ली का नजदीकी मेट्रो स्टेशन (Khooni Darwaza Delhi Nearest Metro Station)
खूनी दरवाजा दिल्ली का नजदीकी मेट्रो स्टेशन दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन है|
खूनी दरवाजा दिल्ली तक कैसे पहुँचें (How To Reach Khooni Darwaza Delhi)
खूनी दरवाजा दिल्ली तक कैसे पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको दिल्ली पहुंचना होगा| दिल्ली के लिए आप ट्रेन या फ्लाइट ले सकते हैं| अगर आप दिल्ली पहुँचने के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
खूनी दरवाजा दिल्ली का मैप (Khooni Darwaza Delhi Map)
Q1- इस दरवाजे को खूनी दरवाजा क्यों कहा जाता है?
A- इस दरवाजे पर आजादी के पहले और बाद से हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है इसलिए इसे खूनी दरवाजा कहते हैं
Q2- लाल दरवाजा का नाम बदलकर खूनी दरवाजा क्यों रखा गया?
A- 1857 मे मुगल बहादुर शाह जफर के दोनों पुत्रों मिर्जा मुगल और मिर्जा खिज्र सुल्तान और पोते मिर्जा अबू बख्त इस गेट पर जान से मारा गया था
Q3- खूनी दरवाजा दिल्ली (Khooni Darwaza Delhi) भुतहा है?
A- माना जाता है की शाम को इस गेट से चीखने और चिल्लाने की आवाजें आती हैं
Q4- खूनी दरवाजा कब बना था?
A- खूनी दरवाजा का निर्माण सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी ने 16वीं सदी में करवाया था|
Q5- खूनी दरवाजे पर पहली हत्या किसने करवाई थी?
A- अकबर के पुत्र जहांगीर ने