Longwa Village: भारत गावों का देश है| इस देश की आत्मा यहाँ पर स्थित लगभग 7 लाख गावों मे रहे हैं भारतीयों के अंदर निवास करती है| हमारे भारत वर्ष मे आपको एक से बढ़कर एक स्मार्ट और आत्मनिर्भर गाँव देखने को मिलेंगे जहाँ पर लाखों की संख्या मे पर्यटक घूमने जाते हैं|
भारत में ऐसे कई रेलवे स्टेशन या जगहें हैं जो दो अलग-अलग राज्यों के अंतर्गत आते हैं लेकिन भारत के उत्तर पूर्व मे स्थित नागालैंड प्रदेश के मोन ज़िले में स्थित लोंगवा गांव इन सभी 7 लाख गावों के बीच एक दम अलग दिखता है| मोन जिला नागालैंड के 11 जिलों में से एक है| ये गाँव 2 प्रदेशों मे नहीं बल्कि 2 अलग अलग देशों मे आता है|
इनके बारे में भी जाने:
- ताम्बडी सुरला महादेव मंदिर (Tambadi Surla Mahadev Temple)- गोवा का सबसे पुराना मंदिर
- मत्तूर गांव (Mattur Village)- कर्नाटक का सबसे सुंदर गाँव जहाँ के स्थानीय लोग केवल संस्कृत मे बात करते हैं
- ऑकिगहरा जंगल (Aokigahara Forest)- मौत का जंगल जहाँ जाने वाला हर शख्स कर लेता है आत्महत्या
- देवमाली गांव (Deomali Village)- राजस्थान का एक अनोखा गाँव जहाँ करोड़पति के पास भी नहीं है पक्का मकान
- खुरपी नेचर विलेज (Khurpi Nature Village)- यू पी का सबसे सुंदर और आत्मनिर्भर गाँव जिसको देखने के लिए लगता है टिकट
- मधेश्वर पहाड़ (Madheshwar Pahad)- गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग
लोंगवा गांव की दोहरी नागरिकता (Longwa Village Dual Citizenship)
लोंगवा गांव के लोगों को भारत के साथ साथ म्यांमार की भी नागरिकता प्राप्त है| जी बिल्कुल, लोंगवा गांव का आधा हिस्सा भारत और आधा हिस्सा म्यांमार मे आता है|
2 देशों मे बटा ये देश बेहद ही खूबसूरत है| सदियों पहले इस गाँव मे दुश्मन का सर धड़ से अलग करने की परंपरा चली आ रही थी जिसको 1940 मे प्रतिबंधित कर दिया गया था| भारत और म्यांमार के बीच बटा ये गाँव घने जंगलों के बीचों बीच बसा हुआ भारत का आखिरी गाँव है|
लोंगवा गांव का इतिहास (Longwa Village History)
ये गाँव कोंयाक आदिवासी बहुल है| इन आदिवासियों को बहुत ही खतरनाक माना जाता है| जो जामीन पर कब्जे के लिए अपने पड़ोसियों से लड़ाई किया करते थे| कोयांक आदिवासियों को हेड हंटर्स का नाम दिया गया था| म्यांमार की सीमा की तरफ लगभग 27 कोन्याक गांव हैं।
अपने आस पास की दूसरी जनजातियों से अलग दिखने के लिए कोन्याक जनजाति के लोग अपने चेहरे पर और शरीर के अन्य भागों पर टैटू बनवाते हैं| ये जनजाति नागमिस भाषा बोलते हैं जो आसामी और नागा भाषा का मिश्रण है|
इन आदवासियों के लगभग सभी गाँव पहाड़ी पर स्थित होते थे जहाँ से वो अपनी शत्रुओं पर सीधी नजर रख पाते थे| लेकिन 1940 मे जब से सर कलम करने करने पर प्रतिबंध लगा दिया था तब से यहाँ पर ऐसी घटनाएं नहीं हुई हैं|
यह गाँव नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| वर्ष 1970-71 में लोंगवा गांव के बीच से बॉर्डर गुजरा था तभी से इस गाँव को दोनों देशों मे आधा आधा बाँट दिया गया था|
गाँव का बटवारा कुछ ऐसे हुआ था की लोगों का किचन भारत है तो उनका बेडरूम म्यांमार मे स्थित है| लोग खाना तो भारत मे बनाते हैं लेकिन खाना म्यांमार मे खाते हैं| कुछ लोग सुबह सुबह खेती करने भारत से म्यांमार जाते हैं तो कुछ लोग म्यांमार से भारत आते हैं|
लोंगवा गांव के स्थानीय निवासियों को भारत के साथ साथ म्यांमार की भी नागरिकता प्रदान की गई है| गाँव के निवासी बिना किसी वीजा और पासपोर्ट के भारत से म्यांमार और म्यांमार से भारत आ जा सकते हैं| सबसे अद्भुत बात ये है की बटवारे की रेखा गाँव के प्रधान के घर से ही होकर गुजरती है|
लोंगवा गांव मे राज करने वाले राजा का परिवार भी बहुत बड़ा है| इस गाँव के राजा की 60 पत्नियाँ हैं| यह गाँव प्रकृति की गोद मे बसा हुआ है जो चारों तरफ से हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है| इस गाँव मे अभी भी एक राजा का शासन है| इस गाँव मे आप शिलाई झील, डोयांग नदी, नागालैंड साइंस सेंटर और हांगकांग मार्केट सहित कई खूबसूरत जगहों को घूम सकते हैं|
इस गाँव के लोग अफीम का का अत्यधिक मात्रा मे सेवन करते हैं| अफीम की खेती भारत वाले क्षेत्र मे नहीं होती बल्कि ये म्यांमार की सीमा से लाई जाती है| इस गाँव के निवासी भारत और बंगलादेश दोनों के चुनावों मे वोट डालते का अधिकार रखते हैं| गाँव के निवासियों को दोनों देश की योजनाओं का फायदा मिलता है|
भारत अगर इस गाँव के लोगों को राशन और पानी देता है तो म्यांमार इनकी शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उठाता है| इस गाँव मे लगभग 700 घर हैं| फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के अंतर्गत इस गाँव मे रहने वाले स्थानीय निवासी बिना किसी वीजा या पासपोर्ट के सीमा पार करके 16 किलोमीटर तक आराम से ट्रैवल कर सकते हैं|
लोंगवा गांव अपने जिला मोन से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| मोन शहर से आप किराये पर कार लेकर या सरकारी बस मे बैठकर पहुँच सकते हैं| इस गाँव के 2 देशों मे बटे होने के कारण पर्यटक दूर दूर से यहाँ पर पहुंचते हैं| पर्यटक यहाँ पर आकर यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती मे खो जाते हैं|
वैसे तो देश के नॉर्थ ईस्ट मे बहुत सी जगहे हैं जहाँ पर आप घूम सकते हैं| लेकिन अगर आपके पास 1 दिन का अतिरिक्त समय है तो इस विशेष गाँव को देखने जरूर आयें| इस गाँव मे आकर आप म्यांमार की संस्कृति को भी नजदीक से देख पाएंगे|
जब से इस देश के बीच से बोर्डर गुजरा है तब से ये गाँव पर्यटकों के बीच अपनी अलग पहचान बना रहा है उआर इस गाँव मे पर्यटकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है|
लोंगवा गांव तक कैसे पहुँचें (How To Reach Longwa Village)
लोंगवा गांव का नजदीकी रेलवे स्टेशन असम का भोजो रेलवे स्टेशन है जो यहाँ से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगर आप भोजो रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
लोंगवा गांव की जनसंख्या (Longwa Village Population)
इस गाँव की आबादी लगभग 6700 है|
लोंगवा गांव का मैप (Longwa Village Map)
Q1- कौन सा गांव दो देशों द्वारा साझा किया जाता है?
A- नागालैंड का लोंगवा गांव (Longwa Village)
Q2- नागालैंड का लोंगवा गांव (Longwa Village) किन 2 देशों से सीमा साझा करता है?
A- भारत और म्यांमार
Q3- लोंगवा गांव (Longwa Village) मे कौन से जनजाति के लोग रहते हैं?
A- कोंयाक जनजाति के लोग
Q4- लोंगवा गांव (Longwa Village) किस जिले मे आता है?
A- नागालैंड के मोन जिले मे
Q5- लोंगवा गांव (Longwa Village) मे किसका शासन चलता है?
A- यहाँ के राजा का