North Sentinel Island: एडवेंचर के शौकीन लोग दुनियाभर मे बहुत सारी रहस्यमय जगहों मे जाते हैं, जोखिम भरे खेलों को खेलते हैं आप पृथ्वी के किसी भी कोने मे जाकर आ सकते हैं लेकिन हमारे भारत वर्ष के अंडमान मे स्थित एक ऐसा द्वीप भी है जहां से बहुत कम लोग जिंदा लौट पाए हैं| इस द्वीप को नार्थ सेंटिनल द्वीप कहते हैं|
इनके बारे में भी जाने:
- घुम रेलवे स्टेशन (Ghum Railway Station)- भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन
- चेरामन जुमा मस्जिद (Cheraman Juma Masjid)- भारत वर्ष की पहली मस्जिद
- बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन (Begunkodar Railway Station)- एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो एक भूतनी के डर से 42 साल तक बंद पड़ा रहा
- मुंडेश्वरी मंदिर (Mundeshwari Temple)- विश्व का सबसे पुराना हिन्दू मंदिर
- विल्सन हिल्स (Wilson Hills)
नार्थ सेंटिनल द्वीप हिन्द महासागर पर स्थित है जहां पर जाना भारत सरकार ने पूरी तरह प्रतिबंधित कर रखा है| नार्थ सेंटिनल द्वीप मे रहने वाले आदिवासी लोग पूरे दुनिया से कटे हुए हैं| अगर आप इस द्वीप मे घुसने का प्रयास करते हैं तो ये आदिवासी आपके ऊपर हमला कर देते हैं|
यहाँ के रहने वाली आदिवासी बाहरी लोगों को शत्रुता की नजरों से से देखते हैं| जानकारों का मानना है की इस जनजाति का बाहरी लोगों से घृणित आचरण अंग्रेजों की देन है| जब देश गुलाम था तो अंग्रेज इस द्वीप से वैज्ञानिक प्रयोग के लिए यहाँ के लोगों को उठा ले जाते थे और बीमारियाँ होने पर उन लोगों को इस द्वीप पर वापास छोड़े देते थे|
इस कारण इस द्वीप मे बीमारियाँ फैलने लगी और लोग मरने लगें| तब से ही इस द्वीप के लोगों का बाहरी दुनिया से मोहभंग हो गया और वो बाहरी दुनिया के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखने लगे| कार्बन डेटिंग तकनीक से यह जानने मे मदद मिली है की यह जनजाति पिछले 2000 सालों से यहाँ पर रह रही है|
इस द्वीप के लोगों से सरकार ने पहली और आखिरी बार वर्ष 1991 मे संपर्क साधने का प्रयास किया था|
नार्थ सेंटिनल द्वीप को दुनिया का सबसे खतरनाक द्वीप माना जाता है| यहाँ का नाम सुनते ही लोगों मे डर बैठ जाता है| सेंटिनल द्वीप के तीन मील के क्षेत्र में भी आना ही अवैध की श्रेणी मे आता है। जो भी पर्यटक इस द्वीप मे घुसने का प्रयास करता है उसका स्वागत सैकड़ों नुकीले आग वाली तीरों से होता है और फिर वो पर्यटक कभी भी अपने घर नहीं लौट पाता|
लेकिन ये आदिवासी अचानक ही हमला नहीं करते पहले वो इशारों ही इशारों मे पर्यटक को वापस लौटने के लिए बोलते हैं और अगर पर्यटक फिर भी आगे बढ़ता है तो ये आग वाली तीरों से हमला कर देते हैं| यहाँ के आदिवासी हमेशा अपने साथ धनुष, बाण और भाला लेकर चलते हैं|
आग के तीर चलाने मे ये आदिवासी इतने माहिर हैं की अगर कोई विमान भी थोड़ी कम ऊँचाई मे उड़ता हुआ इस द्वीप से निकलता है तो ये आदिवासी उस विमान मे भी निशाना लगा लेते हैं| यहाँ पर रहने वाली आदिवासी बिना कपड़ों के ही रहते हैं| इन लोगों को तैरना नही आता लेकिन ये लोग नाव चला सकते हैं|
ये आदिवासी इस द्वीप मे अस्थायी झोपड़ियाँ बनाकर रहते हैं और जमीन पर सोते हैं| ये एक केवल 23 वर्ग मील का छोटा सा द्वीप है जिसपर 60 हजार सालों से इंसान का आस्तित्व हैं लेकिन इनका जीवन यापन आज तक दुनिया के लिए एक रहस्य बना हुआ है|
नार्थ सेंटिनल द्वीप राजधानी पोर्ट ब्लेयर से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| इस द्वीप मे रहने वाले आदिवासी कम लंबाई वाले होते हैं| महिला और पुरुष दोनों की लंबाई औसतन 5 फुट की होती है| इस द्वीप पर आजतक बाहरी हमला नहीं हुआ है|
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह विनियमन 1956 के अनुसार सरकारी दस्ते के अलावा किसी का भी यहाँ आना पूर्णतया प्रतिबंधित है| भारत सरकार ने इस द्वीप को संरक्षित द्वीप की श्रेणी मे रखा है| ये एक बेहद ही खूबसूरत द्वीप है जो चारों तरफ से हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है|
बाहरी दुनिया से कटे होने के कारण इस द्वीप मे आजतक कुछ भी विकास नहीं हो सका है| 2011 के सेन्सस के अनुसार यहाँ की आबादी 50-200 के बीच हो सकती है| ये जनजाति शिकार करके अपना पेट भरती है| इस द्वीप मे बुनियादी सुविधाएँ बिल्कुल भी नही हैं|
वर्ष 1996 से सरकार ने इन आदिवासियों से संपर्क न करने का निर्णय लिया| वर्ष 2004 मे जब सुनामी आई थी तब सरकार ने कोस्ट गार्ड को हेलिकॉप्टर के साथ भेजा ताकि इन जनजातियों का हाल चाल जाना जा सके लेकिन इन आदवासियों ने सहायता के लिए आये इस हेलिकॉप्टर मे ही आग वाले तीर चलाना चालू कर दिए|
वर्ष 2006 मे 2 मछुआरे केकड़े पकड़ने इस बीच पर गए थे वो भी 3 दिन बाद मरे पाए गए| उनकी लाश को बीच मे ही एक बांस से लटका दिया गया था जो की आने वाले लोगों के लिए एक चेतावनी थी|
2006 के बाद वर्ष 2018 मे एक ईसाई मिशनरी जॉन एलन चाउ नाम का अमीरिकी नागरिक नार्थ सेंटिनल द्वीप पर ईसाई धर्म के प्रचार के लिए 15 नवम्बर को पहुंचा और 17 नवम्बर को वो मृत अवस्था मे पाया गया|
चूंकि जॉन एलन चाउ एक अमेरिकी नागरिक था इसलिए सरकारी अधिकारियों ने उसकी डेड बॉडी को द्वीप से निकालने का बहुत प्रयास किया लेकिन जो भी उस द्वीप पर जाता आग वाले तीरों से उसका स्वागत होता और इसीलिए जॉन एलन चाउ की डेड बॉडी को उसी द्वीप पर ही छोड़ना पड़ा|
इन सब मौतों के बीच एक ऐसा दस्ता भी है जिसे इस भयानक जगह से बचाया भी गया था| ये कहानी है 2 अगस्त 1981 की जब प्रिम रोज़ नाम का एक मालवाहक जहाज मुर्गी का चारा लेकर बांग्लादेश से ऑस्ट्रेलिया की ओर सफर कर रहा था|
खराब मौसम के कारण ये जहाज इसी द्वीप पर अटक गया इसके पहले की वो जनजाति इस शिप पर हमला करते इंडियन नेवी के हेलीकॉप्टर द्वारा इस शिप मे सवार लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया| ये एक मात्र ऐसा दस्ता था जिसे इस द्वीप से जिंदा निकाला गया था| |
इस द्वीप का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पोर्ट ब्लेयर का वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है| अगर आप पोर्ट ब्लेयर के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
नार्थ सेंटिनल द्वीप की जनसंख्या (North Sentinel Island Population)
वर्ष 2011 मे हुई जनगणना के अनुसार इस द्वीप मे आदिवासियों की आबादी लगभग 50-200 के बीच बताई गई है|
नार्थ सेंटिनल द्वीप का मैप (North Sentinel Island Map)
Q1- नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड (North Sentinel Island) में जाना क्यों मना है?
A- क्यूँ की यहाँ रहने वाली आदिवासी बाहरी लोगों पर हमला कर देते हैं|
Q2- भारत में कौन सा द्वीप निषिद्ध है?
A- नार्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island)
Q3- नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड (North Sentinel Island) कितने क्षेत्रफल मे फैला हुआ है?
A- 23 वर्ग मील
Q4- नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड (North Sentinel Island) मे किस धर्म प्रचारक की हत्या की गई थी?
A- जॉन एलन चाउ
Q6- नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड (North Sentinel Island) मे मानव का आस्तित्व कब से है?
A- पिछले 60,000 सालों से