सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan)- मराठों का नौसेना मुख्यालय

Sindhudurg Fort Malvan: सिंधुदुर्ग किला छत्रपती महाराज शिवा जी द्वारा बनाया गया था| इस मजबूत किले का निर्माण आज से 350 साल से ज्यादा पहले हुआ था| यह किला कई युद्धों का इतिहास अपने अंदर समेटे हुए हैं| इस किले का निर्माण कार्य 25 नवंबर 1664 को चालू हुआ और 29 मार्च 1667 को ये किला बनकर तैयार हुआ|

इस किले को बनाने मे एक करोड़ होन्स की लागत लगने का अनुमान है| होन्स एक सोने का सिक्का था जिसका चलन 17 वीं शताब्दी मे शिवाजी के शासन काल मे था| इस क़िले की नींव को सैकड़ों किलोग्राम सीसे से बनाया गया था।

इस किले को बनाने का शिवा जी का उद्देश्य एक मजबूत नौसेना बनाना था और साथ मे अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, पुर्तगाली व्यापारियों के प्रभाव को कम करना था क्यूँ की उस समय ज्यादातर व्यापार समुद्र के रास्ते से ही होता था।

5 जनवरी, 1664 को 10 हजार घुड़सवारों के साथ शिवा जी ने मुग़ल शासित सूरत पर जोरदार हमला कर दिया और वहाँ से प्राप्त आभूषण और धनराशि को इसी किले मे ही छिपकर रखा गया| सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) को बेहद सुरक्षित माना जाता था जो 48 ऐकड़ मे फैला हुआ है|

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) की ऊंचाई लगभग 30 फुट है| इस किले को बनाने मे  100 आर्किटेक्ट और 3000 से अधिक मजदूरों ने दिन रात काम किया है| यह किला लगभग 3 किलोमीटर लंबा है| इस किले को बनाने मे लगभग 4000 लोही के टीलों का इस्तेमाल हुआ है|

इस किले का निर्माण हीरोजी इंदुलकर की देखरेख मे मालवण के कोंकण क्षेत्र मे खुर्टे द्वीप पर किया गया था| यह किला मालवण से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|

इनके बारे में भी जाने:

ऐसा माना जाता है की सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) मे उपयोग की गई रेत गुजरात से लाई गई थी| समुद्र के ऊपर टापू मे स्थित होने के कारण इस किले तक आप केवल नाव की सहायता से ही पहुँच सकते हैं| इस किले से आप अरब सागर का विहंगम दृश्य भी देख सकते हैं|

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) लगभग 1765 तक मराठाओं के पास था लेकिन लेकिन 1792 ब्रिटिश संधि के अनुसार यह किला ब्रिटिश शासन के पास चला गया। इस बेहतरीन किले को घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है|

समुद्र के ऊपर स्थित होने कारण यहाँ पर सैलानियों का आगमन साल भर रहता है क्यूँ की यहाँ से सैलानी किले के साथ साथ समुद्र के नीले पानी की सुंदरता को भी निहार सकते हैं| ये किला देश की ऐतिहासिक धरोहर है जो इंजीनियरिंग का एक बेजोड़ नमूना है|

ये किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया देश का पहला समुद्री क़िला था जिसकी मोटी दीवारें शक्तिशाली समुद्री लहरों से किले को बचाती हैं|

इस किले मे आपको कई प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे| शिवाजी ऐसे पहले जननायक थे जिन्होंने समुद्र तटों और व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नौसेना की अहमियत को समझा। यहीं से भारतीय नौसेना की भी नींव पड़ी।

पिछले साल 4 दिसंबर मे ही इस किले पर शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण धूम धाम से नौसेना दिवस के मौके पर किया गया था| ये 4 दिसंबर वही दिन है जब 1971 के युद्ध मे भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर “दिवाली” मनाई थी और इस दिवाली से कराची बंदरगाह मे इतनी आग लगी जो 7 दिन तक जलती रही|

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) देश और महाराष्ट्र की एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक धरोहर है जिसे हर देशवासी को एक बार जरूर घूमना चाहिए| इस किले मे जब भी आप आएँ अपने बच्चों को साथ लाएं ताकि बच्चे भी इस किले और छत्रपती शिवा जी के बारे मे ज्यादा से ज्यादा चीजे जान सकें|

सिंधुदुर्ग किले मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली है| हर इतिहास प्रेमी को इस प्राचीन किले मे एक बार जरूर आना चाहिए|

सिंधुदुर्ग किले मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) को घूमने का एक कारण और भी है और ये है की किले मे आकर आप शिवा जी महाराज के युद्ध कौशल के बारे मे भी जान सकते हैं| 48 एकड़ मे फैला ये किला आपको कदम कदम पर चौकाएगा|

छत्रपती शिवा जी ने जीवनकाल मे 300 से ज्यादा किलें जीतें जिसकी शुरुआत उन्होंने 16 साल की उम्र मे बीजापुर के तोरणा किले से की थी| किलों का महत्व शिवा जी को बचपन मे ही समझ आ गया था| छत्रपती शिवा जी का जन्म 1630 में शिवनेरी किले मे हुआ था|

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) की वास्तु और बनावट देखकर आप अपने दान्तों तले उंगली दबा लेंगे| ये किला इतना विशाल है की इसको पूरा घूमने मे आपको एक पूरा दिन लग जाएगा|

आप इस किले के आस पास भी कई जगहों को एक्सलोर कर सकते हैं जैसे रॉक गार्डन, रामेश्वर मंदिर, सुनामी द्वीप, श्री वागेश्वर मंदिर, मालवन समुद्री अभयारण्य, तलाशिल तोंदावली बीच, तलाशिल तोंदावली बीच, जय गणेश मंदिर, वेंगुर्ला मालवन बीच और सतेरी देवी मंदिर|

अगर आप अपने रोजमर्रा और शहर की भागदौड़ वाली जिंदगी से थक गए हैं तो आप इस किले मे जरूर आना चाहिए| टापू मे स्थापित इस किले के ऊपर जाकर आप जब किले की दीवारों से अरब सागर शक्तिशाली की शक्तिशाली लहरों को टकराते हुए देखेंगे तो आपको अद्भुत शांति का अनुभव मिलेगा|

नीचे समुद्री लहरें और ऊपर ठंडी समुद्री हवाएं जो आपके चेहरे को शीतलता पहुंचाएगी|

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) कैसे पहुंचे?

सिंधुदुर्ग किला मालवण (Sindhudurg Fort Malvan) तक पहुँचने का सबसे आसान तरीका फ्लाइट से है| इस किले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गोवा का डाबोलिम इंटरनेशनल एयरपोर्ट है| गोवा का डाबोलिम एयरपोर्ट से सिंधुदुर्ग का किला मात्र 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगर आप गोवा के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|

आप बस और ट्रेन से भी इस जगह तक पहुँच सकते हैं लेकिन बस और ट्रेन का सफर यहाँ तक पहुंचने के लिए उतना सुलभ नहीं है है जितना हवाई सफर सुलभ है|

Q1- सिंधुदुर्ग किला कब और किसने बनवाया था?

A- 29 मार्च 1667 को छत्रपती महाराज शिवा जी ने

Q2- सिंधुदुर्ग किला किसकी देखरेख मे बना था?

A- हीरोजी इंदुलकर

Q3- सिंधुदुर्ग किला कितने एकड़ मे बना हुआ है?

A- 48 एकड़

Q4- सिंधुदुर्ग किले की ऊंचाई कितनी है?

A- 30 फुट

Q5- सिंधुदुर्ग किला किस सागर के टापू मे स्थित और उस टापू का नाम क्या है?

A- अरब सागर और खुर्टे द्वीप मे

Q6- सिंधुदुर्ग किले को बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या था?

A- अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, पुर्तगाली व्यापारियों के समुद्री व्यापार को कम करना

Q7- सिंधुदुर्ग किले को बनाने मे कितने लोगों ने योगदान दिया था?

A- कुल 3100 से ज्यादा लोगों ने जिसमे 100 आर्किटेक्ट और 3000 से अधिक मजदूर थे

Q8- सिंधुदुर्ग किला कितने किलोमीटर लंबा है?

A- 3 किलोमीटर

Q9- सिंधुदुर्ग किले के बाहर किस राजा की मूर्ति का अनावरण किया गया है?

A- छत्रपती महाराज शिवा जी की मूर्ति का

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