Places to Visit in Narsinghpur: वीरांगना रानी दुर्गावती की नगरी नरसिंहपुर एक प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी है जो अपने भव्य मंदिरों और समृद्ध इतिहास के लिए पूरे देश मे जानी जाती है| इस शहर का नाम जगतपालक भगवान विष्णु के एक रूप नरसिंह के नाम पर पड़ा है|
इस नगरी मे कई वंशों के राजाओं ने शासन किया है| नरसिंहपुर जिला जबलपुर संभाग के अंतर्गत आता है| ये शहर पवित्र नर्मदा किनारे स्थापित है| नरसिंहपुर का इतिहास गौरव से भरा हुआ है और कई नामचीन लोगो का संबंध नरसिंहपुर से रहा है| 1942 का चिचली सत्यगृह यहीं पर हुआ था|
नरसिंहपुर कैसे पहुंचे (How to reach Narsinghpur)
वायुमार्ग (By Air)
नरसिंहपुर शहर का नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर का डुमना हवाई अड्डा है जो नरसिंहपुर से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| जबलपुर हवाई अड्डे से बाहर आकर आप बस, कैब या ट्रेन लेकर नरसिंहपुर पहुँच सकते हैं| अगर आप जबलपुर के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
सड़क मार्ग (By Road)
नरसिंहपुर शहर सड़क मार्ग से अपने आस पास के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है| आप आस पास के किसी भी गाँव या शहर से सीधी और आरामदायक बस लेकर नरसिंहपुर शहर पहुँच सकते हैं|
रेल मार्ग (By Train)
नरसिंहपुर शहर का अपना खुद का विकसित रेलवे स्टेशन है जो की देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह कनेक्टेड है| आप देश के किसी भी बड़े शहर से ट्रेन पकड़कर नरसिंहपुर पहुँच सकते हैं| नरसिंहपुर स्टेशन के बाहर से ऑटो, टैक्सी या ई रिक्सा लेकर आप अपने होटल को पहुँच सकते हैं|
Top 12 Places to Visit in Narsinghpur for an Unforgettable Experience
1. ओशो आश्रम (Osho Ashram)
नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा स्थित ये आश्रम अध्यात्मिक गुरु ओशो को समर्पित है जो शक्कर नदी के किनारे स्थापित है| ओशो का पूरा बचपन गाडरवारा मे ही बीता है| इसी जगह पर ही ओशो ध्यान लगाया करते थे| उनकी शुरुआती शिक्षा गाडरवारा मे हुई थी|
नदी और चारों तरफ हरियाली से घिरा ये आश्रम आपको अद्भुत शांति पहुंचाएगा| ये एक ऐतिहासिक जगह है जहां पर हर साल देश विदेश से हजारों सैलानी आते हैं| आश्रम के नजदीक बह रही शक्कर नदी के गर्राघाट पर एक पुराना मंदिर था और इसी मंदिर के पास ओशो पूरा दिन ध्यान मे डूबे रहते थे|
इसी मंदिर के पास उन्हें मृत्युबोध हुआ था और उनके जीवन मे आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए थे और इन्ही परिवर्तनों ने जीवन के रहस्य समझने मे उनकी मदद की| जब भी आपका नरसिंहपुर आना हो कुछ समय निकालकर ओशो आश्रम जरूर विज़िट करें| ओशो आश्रम नरसिंहपुर मे घूमे जाने वाली जगहों (Places to Visit in Narsinghpur) मे से एक है|
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2. चौगान का किला (Chaugan Fort)
ये एक बेहद प्राचीन और ऐतिहासिक किला है जो अब जर्जर हो चुका है| इस किले का निर्माण 1543 में महान गोंड राजा संग्रामशाह ने कराया था| इस किले का निर्माण गाडरवारा से 35 किमोमीटर की दूरी पर स्थित चौगान गाँव मे सतपुड़ा पर्वत के चौरागढ़ पहाड़ी के शिखर पर किया गया था|
यह ऊंचाई पर स्थित एक बेहद भव्य किला था जहां से दुश्मनों की सभी गतिविधियों को देखा जा सकता था| 1816 में इस किले को अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया था तब से ये किला वीरान ही है| किले के अंदर ही एक कुंड का निर्माण किया गया है जिसे रेवाकुंड हैं| इस किले मे ही आपको भगवान नरसिंह की एक प्राचीन खंडित मूर्ति देखने को मिल जाएगी|
वर्तमान समय मे इसकी देखरेख वन विभाग कर रहा है| यह किला गाडरवारा रेलवे स्टेशन से लगभग 19 किलोमीटर है| यह किला राजगौड़ों के 52 गढ़ों का था कोषालय था| इसलिए दुश्मनों की नजर हमेशा इस किले मे रहती थी| ऐसा माना जाता है की यहाँ पर स्थित रेवाकुंड मे जल नर्मदा से आता है इसलिए ये कुंड कभी नहीं सूखता|
ऐसा माना जाता है की इस कुंड मे पारस पत्थर भी है| कहानी के अनुसार इस पारस को ढूँढने के लिए अंग्रेजों ने चैन से बाँधकर एक हाथी को कुंड मे उतारा था पारस तो नहीं मिला लेकिन हाथी से बंधी चैन सोने की हो गई| प्रशासन की लापरवाही की वजह से ये गौरवशाली किला पूरी तरह जर्जर हो चुका है|
3. शिव मंदिर गरारू (Shiv Temple Gararu)
यह एक प्राचीन शिव मंदिर है जो नरसिंहपुर से 18 किलोमीटर दूर गरारू गाँव पर स्थापित है| यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है जहां पर पहुँचने के लिए आपको कुछ सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ सकती है| इंडो-फारसी शैली मे बने इस मंदिर का निर्माण 14 वीं से 15 वीं शताब्दी के बीच किया गया था लेकिन इस मंदिर का जीर्णोद्धार स्थानीय गोड़ शासक बलवंत सिंह ने 17वीं शताब्दी ने कराया था|
इस मंदिर की छत से आप आस पास के विहंगम दृश्य देख सकते हैं| मंदिर की छत से आप प्राचीन गरुण मंदिर और माँ नर्मदा के भी दर्शन कर सकते हैं| इस मंदिर मे आपको एक अद्भुत शांति का अनुभव होगा| जब भी आप नरसिंहपुर आए इस मंदिर मे दर्शन करने जरूर आयें|
4. गरुड़ मंदिर गरारू (Garud Temple Gararu)
यह एक बेहद प्राचीन मंदिर है जिसकी निर्माण 17वीं शताब्दी में गौड़ राजा बलवंत सिंह के द्वारा किया गया था| संभवतः ये मंदिर भगवान गरुण को समर्पित रहा होगा लेकिन वर्तमान समय मे इस मंदिर के गर्भगृह मे कोई भी प्रतिमा नहीं है बल्कि मंदिर के बाहर एक शिवलिंग स्थापित है|
यह मंदिर गाँव मे एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है| मंदिर के चारों ओर परिक्रमा पथ है| मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है| मंदिर से आप शिव मंदिर और माता नर्मदा के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं| इस मंदिर को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है| आप अपनी नरसिंहपुर यात्रा के दौरान इस प्राचीन मंदिर को जरूर घूमें|
5. बिनेकी टोला (Bineki Tola)
ये एक प्राचीन और अनोखे शैलचित्र हैं जिनको 10000 साल पुराना बताया जाता है| शैलचित्र आपको नरसिंहपुर जिले के करेली तहसील मे आने वाले बिनेकी टोला मे देखने को मिलेंगे| ये शैलचित्र शक्कर नदी के किनारे गुफाओं मे बने हुए हैं| ये शैलचित्र लाल, गेरू और सफेद रंग से निर्मित हैं|
इन चित्रों के विभन्ना प्रकार के जीव जन्तु और हथियार उकेरे गए हैं| यहाँ तक पहुँचने का रास्ता बेहद दुर्गम है| इस जगह पर पहुँचने के लिए आपको बाइक की जरूरत पड़ेगी और कुछ किलोमीटर तो आपको पैदल भी चलना पड़ेगा| ये पूरा क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है|
इतिहास प्रेमियों को इस जगह पर जरूर आना चाहिए| इस जगह पर आपको गाइड और भोजन की सुविधा मिल जाएगी| इसी बहाने आप ट्रेकिंग भी कर लेंगे और गाँव की प्राचीन संस्कृति का भी लुत्फ उठा पाएंगे|
6. टोन घाट (Ton Ghat)
टोन घाट नरसिंहपुर से 12 किलोमीटर दूर बरेहटा मे शेढ़ नदी पर स्थित है| यह घाट नरसिंहपुर का एक छिपा हुआ खजाना है| इस जगह का संबंध महाभारत काल से भी है| ऐसा माना जाता है की अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय यहाँ पर बिताया था| इस घाट को छोटा धुआँधार भी कहते हैं|
स्थानीय लोग छुट्टियों मे यहाँ पर परिवार और बच्चों के साथ पिकनिक मनाने भी आते हैं| इस प्राकृतिक संपदा से भरपूर जगह मे आप फोटोग्राफी भी कर सकते हैं| लेकिन इतनी सुंदर जगह प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो रही है| यहाँ तक पहुँचने का रास्ता दुर्लभ है और बेसिक सुविधायें भी नहीं है|
अगर सरकार इस तरफ थोड़ा ध्यान दे तो इस जगह पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है|
7. दादा महाराज मंदिर (Dada Maharaj Temple)
इस चमत्कारिक मंदिर मे विज्ञान भी फेल हो जाता है| ये मंदिर नरसिंहपुर से महज 6 किलोमीटर दूर झांसी नागपुर नेशनल हाईवे पर बना हुआ है| ये मंदिर दूल्हादेव महाराज को समर्पित है| ऐसी मान्यता है की दूल्हादेव महाराज अपनी जगह खुद चुनते हैं और उनको उस जगह से कोई भी नहीं हटा सकता|
जो भी इस मंदिर के सामने से गुजरता है वो दूल्हादेव के सामने सर जरूर झुकाता है| ये मंदिर करीब 150 साल पुराना है| इस मंदिर मे जो भी इंसान लगातार 5 शनिवार अपनी हाजिरी दे देता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है| इस मंदिर ने कइयों की किस्मत बदली है| एक रोड प्रोजेक्ट के तहत मंदिर हटाने का प्रयास किया गया लेकिन मंदिर टस से मस न हुआ|
मंदिर तोड़ने आई जेसीबी अपने आप बंद पड़ गईं और जिस इंजीनियर ने मंदिर तोड़ने का प्रयास किया उसका आगे चलकर एक्सीडेंट हो गया| बाद मे मंदिर के ऊपर से फ्लाइओवर बना दिया गया| लोग दूर दूर से इस मंदिर मे अर्जी लगाने आते हैं| बाबा हर तरह की समस्याओं का निवारण करते हैं|
8. नरसिम्हा मंदिर (Narsimha Temple)
नरसिम्हा मंदिर भगववान विष्णु के रौद्र रूप भगवान नरसिंह को समर्पित है| यह एक 600 साल पुराना मंदिर है और इसी मंदिर के नाम से ही नरसिंहपुर शहर का नाम करण हुआ है| इस मंदिर का निर्माण वीर जाट योद्धा नाथन सिंह ने करवाया था| यह एक अनोखा और अद्भुत मंदिर है|
आप भगवान के दर्शन दूर से करें या पास से आपको दर्शन जरूर मिलेंगे साथ मे हर दर्शन करने वाले भक्त को ऐसा लगेगा की भगवान उसी को देख रहे हैँ| इस मंदिर मे एक सुरंग और एक तलघर भी है जो केवल साल मे एक बार नरसिंह जयंती के दिन ही खुलती है बाकी समय बंद रहती है|
इस प्राचीन मंदिर का संबंध भृगु ऋषि से भी है| भृगु ऋषि ने यहाँ पर भगवान विष्णु की तपस्या की थी| इस मंदिर मे स्थित नरसिंह भगवान की मूर्ति को नेपाल के मूर्तिकार ने बनाया था| इस प्राचीन मंदिर को अब जीर्णोद्धार की बेहद जरूरत है|
आशा है की सरकार और प्रशासन इस मंदिर की ओर ध्यान देगा| यह मंदिर शहर की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है जिसे आपको जरूर देखन चाहिए|
9. बरमान घाट (Barman Ghat)
नरसिंहपुर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बरमान घाट नरसिंहपुर मे नर्मदा का सबसे लोकप्रिय घाट है| ऐसा माना जाता है की इस घाट पर ब्रह्मा जी ने तपस्या की थी| इस घाट के आस पास आपको बहुत सारे प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे| नर्मदा के बीचों बीच पवनपुत्र हनुमान जी बिराजे हैं|
इस घाट मे बरमान मेला लगता है जो संक्रांति से चालू होकर बसंत पंचमी तक चलता है| ये मेला दूर दूर तक मशहूर है| इस जगह पर आप वोटिंग का भी मजा ले सकते हैं| इस घाट पर विभन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन किये जाते हैं| यहाँ से आप सतधारा भी जा सकते हैं|
इस पवित्र जगह पर आ[प अपने परिवार के साथ शांति से कुछ समय बिता सकते हैं और फोटोग्राफी भी कर सकते हैं| इस घाट मे आकर आपका तन और मन भक्ति भवना से भाव विभोर हो जाएगा|
10. झोतेश्वर मंदिर (Jhoteshwar Temple)
इस मंदिर की स्थापना 1980 मे हुई थी जो त्रिपुर सुंदरी भगवती राजराजेश्वरी माता को समर्पित है| इस मंदिर प्राण प्रतिष्ठा तत्कालीन शंकराचार्य अभिनव तीर्थ महाराज द्वारा की गई थी| इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारत के कलाकारों द्वारा किया गया था इसलिए इस मंदिर की शैली मे आपको दक्षिण भारत की डिजाइन भी दिखाई देगी|
इस जगह पर बसंत पंचमी के अवसर पर सात दिवसीय मेला लगता है| इस मंदिर मे आप मां राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के अलावा सिद्धेश्वर महादेव व स्फटिक शिवलिंग के भी दर्शन कर सकते हैं| नवरात्रि मे यहाँ पर आपको ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी| यहाँ पर आपको एक परमहंसी आश्रम भी देखने को मिलेगा जिसमे एक प्राकृतिक कुंड भी बना हुआ है|
11. मढ़ के महादेव (Madh ke Mahadev)
ये एक बेहद प्राचीन और प्राकृतिक मंदिर है जो की एक गुफा के अंदर स्थापित है| ये गुफा शक्कर और हर्द नदी के संगम के नजदीक स्थित है| इस गुफा मे देवाधिदेव महादेव 37 फुट अंदर बिराजे हैं जहां से प्राकृतिक जलधारा भी फूटती है और इस जलधारा मे आपको 12 महीने जल प्रवाहित होता हुआ दिखेगा|
आपको इस गुफा मे 12 महीने 1-2 फुट तक पानी भरा हुआ मिलेगा|| इस गुफा तक पहुँचने के लिए आपको घोंदी नदी के किनारे किनारे कम से कम 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा| ये पूरा क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है|
पहले इस गुफा तक पहुँचने का रास्ता बेहद दुर्लभ था लेकिन मढ़ के महादेव शिवधाम सेवा समिति की सहायता से समस्याओं को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अधिकतम शिवभक्त अपने आराध्य के दर्शन बड़ी शुलभता के साथ कर सकें|
यह मंदिर आस पास के शिव भक्तों के लिए बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है| अपनी नरसिंहपुर यात्रा के दौरान इस आलोकिक मंदिर मे आकर भोलेनाथ के दर्शन करना बिल्कुल भी मिस न करें|
12. डमरू घाटी (Damru Ghati)
नरसिंहपुर स्थित प्रमुख रूप से भगवान भोलेनाथ को समर्पित ये एक भव्य मंदिर है जिसमे भगवान शिव की बड़े आकार की मूर्ति और एक एक बड़े आकार का शिवलिंग विद्यमान हैं| यह मंदिर मुख्य रोड से करीब 1 किलोमातर दूर स्थित है
| मंदिर के अंदर एक कुंड है जिसमे भगवान कृष्ण कालिया नाग के ऊपर बाँसुरी बजाते हुए आपको दिखेंगे| ये पूरी घाटी शक्कर नदी के किनारे स्थित है| इस मंदिर के चारों तरफ आपको खेत और हरियाली देखने को मिलेगी| अपनी नरसिंहपुर यात्रा के दौरान इस मंदिर को घूमना बिल्कुल भी न भूलें|