Uluru Rock: अभी तक आपने यात्रायोग के ब्लॉग्स मे आपने तरह तरह की पहाड़ियों जैसे सुंदर पहाड़ी, पवित्र पहाड़ी और धार्मिक पहाड़ी के बारे मे पढ़ा होगा| जिनका रंग आमतौर पर साल मे एक जैसा ही रहता है लेकिन आज हम अपने ब्लॉग मे एक ऐसी पहाड़ी के बारे मे बताने जा रहे हैँ जो अपना रंग बदलती है|
इस पहाड़ी का नाम उलुरू पहाड़ी है| उलुरू पहाड़ी ऑस्ट्रेलिया देश मे स्थित है|
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उलुरू पहाड़ी दुनियाभर के शोधकर्ताओं के लिए एक खोज का विषय है| ये पहाड़ी पर्यटकों को रोमांचित करती है| इस पहाड़ी का दूसरा नाम आयर्स राक (Ayers Rock) भी है| आयर्स राक नाम इस पहाड़ी की खोज से जुड़ा हुआ है|
ये पहाड़ी ऑस्ट्रेलिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले आकर्षणों मे से एक है जो दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है| वैज्ञानिकों की माने तो ये पहाड़ी 50 करोड़ वर्ष पुरानी है| ये पूरी पहाड़ी लाल रंग के बलुआ पत्थर से बनी हुई है जिसे कांग्लोमेरेट के नाम से भी जानते हैं|
इस पहाड़ी को आज से लगभग 150 साल पहले 1873 मे एक अंग्रेज अधकारी डब्ल्यू. जी. गोसे ने ढूंढा था| और उसी समय हेनरी आयर्स ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री थे इसलिए इसका एक दूसरा नाम आयर्स रॉक भी हो गया|
उलुरू पहाड़ी का साइज़ (Uluru Rock Size)
उलुरू पहाड़ी की ऊँचाई से आप सूर्योदय और सूर्यास्त के बहुत ही शानदार, अद्भुत और मनमोहक नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं| उलुरू पहाड़ी की पूरी गोलाई करीब 7 किलोमीटर की है और चौड़ाई लगभग 2.4 किलोमीटर की है|
उलुरू पहाड़ी की ऊंचाई (Uluru Rock Height)
उलुरू पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 348 मीटर है|
उलुरू पहाड़ी का रंग बदलना (Uluru Rock Colour Change)
चूंकि ये पहाड़ी बलुआ पत्थर से बनी हुई है इसलिए अधिकतर समय तक इस पहाड़ी का रंग लाल ही रहता है| ये पहाड़ी मुख्यतः अपना रंग सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अपना रंग बदलती है|
सुबह के समय जब सूर्य की किरने इस पहाड़ी पर पड़ती हैं तो ऐसा लगता है की जैसे पूरी पहाड़ी आग मे झुलस रही हो और उस झुलसाव से बैंगनी और गहरे लाल रंग की लपटें निकल रही हों|
इसके अलावा दोपहर को हल्की पीली या लाल और सूर्यास्त मे आपको इस पहाड़ी के कभी लाल, कभी नारंगी और कभी बैंगनी कलर देखने को मिल सकते हैं| पहाड़ी का रंग मे बदलाव सूर्य के किसी कोण मे झुकने और बदलते मौसम की वजह से होता है|
उलुरू पहाड़ी का पाप (Uluru Rock Curse)
ऐसा माना जाता है की अगर आप इस चट्टान का कोई भी हिस्सा अपने घर ले जाते हैं तो दुर्भाग्य और बुरी किस्मत आपके पीछे पड़ जाती है| जिससे उस ब्यक्ति के जीवन मे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है|
इस पहाड़ी के प्रति दुनियाभर के पर्यटकों मे भारी उत्साह को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस पहाड़ी के आस पास का लगभग 800 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में माउंट ओल्गा नेशनल पार्क का निर्माण कर दिया है|
और ओल्गा नेशनल पार्क मे कई तरह के जानवर जैसे कंगारू, बैंडीकूट, वालाबी और यूरो को रखा गया है साथ मे आकर्षक और सुंदर पेड़ पौधों को भी रखा गया है जिसे देखने लाखों पर्यटक हर वर्ष आते हैं|
कुछ पर्यटक जो मेरी तरह हैं वो ना तो नेशनल पार्क घूमते हैं और ना ही वो इस पहाड़ी पर ट्रेकिंग करते हैं| वो कई किलोमीटर दूरी पर कुर्सी मे बैठकर हाँथ मे एक कप चाय का लेकर इस पहाड़ी के बदलते हुए रंग को निहारते हैं|
जब विज्ञान के बारे मे लोग नहीं जानते थे तो ऐसी घटना को लोग भगवान का चमत्कार मानने लगते थे| ठीक वैसा ही इस पहाड़ी के आस पास रह रहे कबीले लोगों के साथ हुआ जो पिछले 10,000 वर्षों से रह रहे थे।
उन कबीले लोगों के लिए पहाड़ी का रंग बदलना एक चमत्कारिक घटना थी और उन्हने लगा की ये कोइ ऊपरी शक्ति कर रही है और इसीलिए उन कबीली लोगों ने पहाड़ी की तलहटी मे निर्मित गुफाओं मे पूजा अर्चना चालू कर दी| वर्ष 2021 मे उत्तरी ऑस्ट्रेलिया मे स्थित इस पहाड़ी को यूनेस्को ने इसे अपनी विश्व धरोहरों में शामिल कर लिया|
पिछले कुछ समय से स्थानीय अनंगू लोग उलुरू पहाड़ी मे चढ़ाई करने के सख्त खिलाफ थे| उनका मानना ये था की एक तो ये पुरुषों के लिए एक पवित्र पहाड़ी है| दूसरा इस पहाड़ी पर चढ़ना आगंतुकों के लिए खतरे से खाली नहीं है क्यूँ की उलुरू पहाड़ी की चढ़ाई अविश्वसनीय रूप से खड़ी और खतरनाक है|
इस पहाड़ी पर कई लोग पहले फंस भी चुके हैं और कई लोग की जान भी चली गई है| इसके अलावा पर्वतारोहियों ने इस पहाड़ी मे चढ़ चढ़कर इसको बहुत ज्यादा बदल दिया है| उन्होंने ने इसकी सतह को प्रभावित किया है जिससे की पूरी पहाड़ी पहले से ज्यादा फिसलन भरी और खतरनाक हो गई है|
कुछ आगंतुक तो गर्मी के कारण भी मारे जा चुके हैं क्यूँ की गर्मियों मे इस पहाड़ी का तापमान 47 डिग्री रहता है|
पर्वतारोही ऊपर तो पहुँच जाते हैं लेकिन पहाड़ी के ऊपर बुनियादी सुविधा जैसे बाथरूम उपलब्ध नहीं है और वो लोग इस पवित्र पहाड़ी के ऊपर ही बाथरूम करने लगते हैं| इन्ही सब कारणों से अनंगू लोगों की भावना को थेस पहुँचती है| इसलिए अनंगू लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए इस पहाड़ी पर चढ़ने मे प्रतिबंध लगया दिया गया है|
अनंगू लोगों की इस मांग को नवंबर 2017 को सर्वसम्मति से पारित किया गया और 26 अक्टूबर, 2019 से इस पहाड़ी पर चढ़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगया दिया गया| 25 अक्टूबर 2019 को दिन था शुक्रवार और इसी दिन इस पहाड़ी पर आखिरी बार चढ़ाई हुई थी|
उलुरू पहाड़ी तक कैसे पहुँचें (How To Reach Uluru Rock)
उलुरू पहाड़ी का नजदीकी हवाई अड्डा आयर्स रॉक हवाई अड्डा है जो यहाँ से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगर आप आयर्स रॉक हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट टिकट बुक करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें|
उलुरू पहाड़ी की इमेज (Uluru Rock Images)





उलुरू पहाड़ी का मैप (Uluru Rock Map)
Q1- उलुरू कहाँ स्थित है?
A- उत्तरी ऑस्ट्रेलिया मे
Q2- कौन सा पहाड़ रोज अपना रंग बदलता है?
A- उत्तरी ऑस्ट्रेलिया उलुरू पहाड़
Q3- उलुरु पर चढ़ने में कितना समय लगता है?
A- लगभग 2 घंटे
Q4- क्या लोगों को उलुरु को छूने की इजाजत है?
A- हाँ
Q5- उलुरु किस चीज से बनता है?
A- बलुआ पत्थर